कृष्णा वन्यजीव अभयारण्य | 13 Aug 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वन विभाग ने कृष्णा वन्यजीव अभयारण्य (Krishna Wildlife Sanctuary-KWS) में शामिल करने के लिये लगभग 300 हेक्टेयर भूमि की पहचान की है।
प्रमुख बिंदु :
- KWS को मिलने वाले इस नए क्षेत्र को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation-DRDO) द्वारा ली गई भूमि के मुआवज़े के रूप में देखा जा रहा है।
- चिह्नित गई भूमि को कृष्णा वन्यजीव अभयारण्य में शामिल करने की सिफारिश राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (National Board for Wildlife-NBWL) द्वारा की गई थी।
कृष्णा वन्यजीव अभयारण्य
(Krishna Wildlife Sanctuary-KWS):
- कृष्णा वन्यजीव अभयारण्य आंध्र प्रदेश (भारत) में स्थित है।
- यह अभयारण्य आंध्र प्रदेश में मैंग्रोव वेटलैंड का एक हिस्सा है और कृष्णा डेल्टा के तटीय मैदान में स्थित है तथा आंध्र प्रदेश के कृष्णा और गुंटूर जिलों में फैला हुआ है।
- कृष्णा नदी का मुहाना कृष्णा वन्यजीव अभयारण्य से होकर गुजरता है।
- यह माना जाता है कि इस क्षेत्र में संभवतः मछली पकड़ने वाली बिल्लियों (Fishing Cats) की सबसे ज़्यादा आबादी है।
मछली पकड़ने वाली बिल्लियाँ
(Fishing Cats):
- मछली पकड़ने वाली बिल्लियाँ दक्षिण और दक्षिण पूर्व-एशिया की एक मध्यम आकार की जंगली बिल्ली होती है।
- इसका वैज्ञानिक नाम प्रियनैलुरस विवरिनस (Prionailurus Viverrinus) है।
- इनकी संख्या में पिछले एक दशक में काफी ज़्यादा गिरावट देखने को मिली है।
- इसे IUCN की रेड लिस्ट में लुप्त हो चुके जानवर के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
- भारत में इन बिल्लियों को भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में शामिल किया गया है, जिसके कारण भारत में इनके शिकार पर रोक है।
राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड
(National Board for Wildlife-NBWL):
- नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ एक वैधानिक बोर्ड है जिसका गठन वर्ष 2003 में वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत आधिकारिक तौर पर किया गया था।
- NBWL की अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है।
- यह एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण निकाय है क्योंकि यह वन्यजीव संबंधी सभी मामलों की समीक्षा करने और राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों में तथा आस-पास की परियोजनाओं को स्वीकृति देने के लिये सर्वोच्च निकाय के रूप में कार्य करता है।
- वर्तमान में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की संरचना के तहत इसमें 15 अनिवार्य सदस्य और तीन गैर-सरकारी सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान है।