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भारतीय अर्थव्यवस्था

लॉकडाउन (वर्ष 2020) के दौरान रोज़गार का नुकसान

  • 02 Dec 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ऑल-इंडिया क्वार्टरली इस्टैब्लिश्मेंट-बेस्ड एम्प्लॉयमेंट सर्वे

मेन्स के लिये: 

श्रम बाज़ार पर रोज़गार का प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय’ ने कोविड महामारी के कारण वर्ष 2020 में लागू लॉकडाउन के दौरान नौकरी छूटने के आँकड़े प्रस्तुत किये हैं।

  • डेटा ‘ऑल-इंडिया क्वार्टरली इस्टैब्लिश्मेंट-बेस्ड एम्प्लॉयमेंट सर्वे’ (AQEES) पर आधारित है।

Job-Losses

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • श्रम ब्यूरो द्वारा ‘ऑल-इंडिया क्वार्टरली इस्टैब्लिश्मेंट-बेस्ड एम्प्लॉयमेंट सर्वे’ को नौ चयनित क्षेत्रों के संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों में रोज़गार एवं प्रतिष्ठानों के संबंध में तिमाही आधार पर अद्यतन करने के लिये आयोजित किया जाता है।
      • 9 क्षेत्र विनिर्माण, निर्माण, व्यापार, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और रेस्तराँ, आईटी/बीपीओ, वित्तीय सेवा गतिविधियाँ हैं।
    • घटक:
      • त्रैमासिक रोज़गार सर्वेक्षण (QES): यह 10 या उससे अधिक श्रमिकों को रोज़गार देने वाले प्रतिष्ठानों का सर्वेक्षण करता है।
        • संशोधित QES का आयोजन पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2021) के दौरान किया गया था।
        • पेरोल डेटा के साथ संख्या में अंतर का हवाला देते हुए वर्ष 2018 में QES के पुराने संस्करण को निलंबित कर दिया गया था।
      • ‘एरिया फ्रेम इस्टैब्लिश्मेंट सर्वे’ (AFES): यह नमूना सर्वेक्षण के माध्यम से असंगठित क्षेत्र (10 से कम श्रमिकों के साथ) को कवर करता है।
  • प्रमुख निष्कर्ष:
    • विनिर्माण क्षेत्र: इसने प्री-लॉकडाउन (मार्च 2020) और पोस्ट-लॉकडाउन (जुलाई 2020) की अवधि के बीच 14.2 लाख नौकरियों का नुकसान दर्ज किया।
      • वर्ष 2020 में लागू लॉकडाउन के दौरान लगभग 7.5% नौकरियों का नुकसान हुआ।
    • वित्तीय सेवा क्षेत्र: सर्वेक्षण में इसी अवधि के दौरान आईटी/बीपीओ क्षेत्र में 0.4-1 लाख की नौकरी का नुकसान दर्ज किया गया।
    • अन्य क्षेत्र: निर्माण क्षेत्र में 1 लाख नौकरियों का नुकसान दर्ज किया गया, जबकि व्यापार और शिक्षा क्षेत्रों में क्रमशः 1.8 लाख और 2.8 लाख नौकरियों का नुकसान दर्ज किया गया।
    • महिला कामगार: नौ प्रमुख क्षेत्रों में महिलाओं ने 7.44% नौकरियाँ गँवाई हैं।
      • विनिर्माण क्षेत्र में महिला रोज़गार 26.7 लाख (मार्च 2020 तक) से घटकर 23.3 लाख (जुलाई 2020 तक) हो गया।
      • निर्माण क्षेत्र में महिला श्रमिकों की संख्या 1.8 लाख से घटाकर 1.5 लाख हो गई।
      • व्यापार क्षेत्र में महिला रोज़गार 4.5 लाख (मार्च 2020 तक) से घटकर 4 लाख (1 जुलाई, 2020 तक) हो गया।
    • पुरुष श्रमिक: प्री-लॉकडाउन और पोस्ट-लॉकडाउन अवधि के मध्य पुरुषों की 7.48% नौकरियों का नुकसान दर्ज किया गया।
      • इसी अवधि के दौरान विनिर्माण क्षेत्र में पुरुष कामगार 98.7 लाख से घटकर 87.9 लाख हो गए।
      • निर्माण क्षेत्र में लॉकडाउन के दौरान पुरुष श्रमिकों की संख्या 5.8 लाख से घटाकर 5.1 लाख हो गई।
      • व्यापार क्षेत्र में पुरुष रोज़गार 16.1 लाख (मार्च 2020 तक) से घटकर 14.8 लाख (जुलाई 2020 तक) हो गया।
  • नवीनतम निष्कर्ष:
    • सितंबर में जारी नए तिमाही रोज़गार सर्वेक्षण में प्रमुख नौ क्षेत्रों में रोज़गार बढ़कर अप्रैल-जून 2021 में 3.08 करोड़ हो गया, जो वर्ष 2013-14 में 2.37 करोड़ था।
      • इसके लिये आधार वर्ष छठी आर्थिक जनगणना के आधार पर चुना गया था।
    • महामारी के कारण 27% प्रतिष्ठानों में संगठित गैर-कृषि क्षेत्र में रोज़गार में कमी आई है।
      • लॉकडाउन अवधि (मार्च 2020-जून 2020) के दौरान 81% श्रमिकों को पूरा वेतन मिला, 16% को कम मज़दूरी मिली और केवल 3% श्रमिकों को कोई वेतन नहीं मिला।
  • महत्त्व:
    • इन सर्वेक्षणों के माध्यम से एकत्र की गई जानकारी सरकार को महत्त्वपूर्ण मुद्दों को समझने और साक्ष्य-आधारित राष्ट्रीय रोज़गार नीति तैयार करने में मदद करेगी।
      • इसके अलावा मंत्रालय ने ‘प्रवासी कामगारों का अखिल भारतीय सर्वेक्षण’ और ‘घरेलू कामगारों पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण’ नाम से दो और सर्वेक्षण शुरू किये हैं।
  • संबंधित पहलें:

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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