कैंसर कोशिकाओं में विकिरण संवेदनशीलता | 17 Jun 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च (Jawaharlal Nehru Centre for Advanced Scientific Research- JNCASR), बेंगलुरु के शोधकर्त्ताओं ने एक आणविक तंत्र का अनावरण किया है जो एक ऐसा ऑटोफैगी मार्ग है (Autophagy Pathway, एक ऐसी क्रिया जिसके द्वारा अनावश्यक या बेकार कोशिका घटकों को पुन: चक्रित किया जाता है।) जो मानव कोशिकाओं को पराबैंगनी विकिरण के प्रतिरोधी बनाता है। उल्लेखनीय है कि शीघ्र ही कैंसर रोगियों पर इसका प्रयोग किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- मॉलीक्यूलर बायोलॉजी एंड जेनेटिक्स यूनिट (Molecular Biology and Genetics Unit) के संरक्षण में JNCASR के अनुसंधानकर्त्ताओं ने पाया कि एक विशेष प्रोटीन Positive Co-Activator 4 (PC4) की अनुपस्थिति या कमी ही मूल रूप से Autophagy के लिये ज़िम्मेदार है।
- जब कोई कोशिका प्रतिकूल स्थिति में विकृत होती है, तो उसका डीएनए क्षतिग्रस्त हो जाता है। ऐसी कोशिकाएँ या तो मर जाती हैं या फिर ऑटोफैगी मार्ग (Autophagy Pathway) को सक्रिय करके क्षतिग्रस्त कोशिकीय घटकों का पुनर्चक्रण कर और अधिक समय तक जीवित रह सकती हैं।
- मूल कोशिकाओं में PC4 प्रोटीन (PC4 protein) की कमी से इनका केन्द्रक अनियमित आकार का हो जाता है और इनका गुणसूत्र वितरण (Chromosome Distribution) भी अनिश्चित हो जाता है। हालाँकि इन परिवर्तनों से कोशिका की मृत्यु नहीं होती है, लेकिन इससे ऑटोफैगी को बढ़ावा मिलता है।
- ऑटोफैगी का बढ़ा हुआ स्तर कोशिकाओं को गामा विकिरण के विरुद्ध कोशिकाओं की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है।
- विशेषज्ञों के अनुसार, PC4 प्रोटीन की कमी वाली कोशिकाओं को 24 घंटे के लिये गामा विकिरण के संपर्क में रखा गया, तो आटोफैगी में तीव्र वृद्धि देखी गई। ऑटोफैगी की वैधता की जाँच करने हेतु जिन कोशिकाओं में PC4 प्रोटीन की कमी थी, उनमें ऑटोफैगी मार्ग को अवरुद्ध करने के लिये अवरोधकों का प्रयोग किया गया। इसके बाद ये कोशिकाएँ गामा विकिरण के संपर्क में आने के बाद नष्ट होने लगी। जब निष्कर्षों को पुनर्सत्यापित करने के लिये ऑटोफैगी प्रेरण के लिये ज़िम्मेदार जीन को निष्क्रिय किया गया तो इसमें तेज़ी से गिरावट दर्ज की गई।
- अध्ययन में ऐसा पहली बार पाया गया कि जीनोम संगठन ही कोशिकाओं में सीधे तौर पर ऑटोफैगी के लिये ज़िम्मेदार है जो कैंसर कोशिकाओं में अपेक्षाकृत कम आक्रामक होते हैं, उनमें PC4 का स्तर सामान्य होता है और ऑटोफैगी भी कम होता है। लेकिन ऐसी कोशिकाओं में यदि PC4 कम हो जाता है, तो कोशिकाएँ अत्यधिक आक्रामक हो जाती हैं।
- विशेषज्ञों के अनुसार, कैंसर रोगी की कुछ कोशिकाओं में ही में ऐसी वृद्धि देखने को मिलती है, अन्य सामान्य कोशिकाओं में नहीं।