मानसिक स्वास्थ्य संबंधित मुद्दे | 09 Nov 2021
प्रिलिम्स के लिये:विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस, किरण हेल्पलाइन मेन्स के लिये:मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ, संबंधित चुनौतियाँ और इस संबंध में सरकार द्वारा किये गए प्रयास |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के प्रति न्यायपालिका की संवेदनशीलता बनाए रखने की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए कहा कि किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को ‘वन-साइज़-फिट-फॉर-ऑल’ के दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिये।
- सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि एक व्यक्ति विभिन्न तरह के खतरों का सामना करता है, जिसमें शारीरिक और भावनात्मक (प्यार, दुख व खुशी) दोनों शामिल हैं, जो कि मानव मन एवं भावनाओं की बहुआयामी प्रकृति के अनुसार अलग-अलग तरह से व्यवहार करते हैं।
- विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस प्रतिवर्ष 10 अक्तूबर को मनाया जाता है।
प्रमुख बिंदु
- मानसिक स्वास्थ्य:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य का आशय ऐसी स्थिति से है, जिसमें एक व्यक्ति अपनी क्षमताओं को एहसास करता है, जीवन में सामान्य तनावों का सामना कर सकता है, उत्पादक तरीके से कार्य कर सकता है और अपने समुदाय में योगदान देने में सक्षम होता है।
- शारीरिक स्वास्थ्य की तरह मानसिक स्वास्थ्य भी जीवन के प्रत्येक चरण अर्थात् बचपन और किशोरावस्था से वयस्कता के दौरान महत्त्वपूर्ण होता है।
- चुनौतियाँ:
- उच्च सार्वजनिक स्वास्थ्य भार: भारत के नवीनतम राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार, पूरे देश में अनुमानत: 150 मिलियन लोगों को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता है।
- संसाधनों का अभाव: भारत में प्रति 100,000 जनसंख्या पर मानसिक स्वास्थ्य कर्मचारियों की संख्या का अनुपात काफी कम है जिनमें मनोचिकित्सक (0.3), नर्स (0.12), मनोवैज्ञानिक (0.07) और सामाजिक कार्यकर्ता (0.07) शामिल हैं।
- स्वास्थ्य सेवा पर जीडीपी का 1 प्रतिशत से भी कम वित्तीय संसाधन आवंटित किया जाता है जिसके चलते मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंँच में सार्वजनिक बाधा उत्पन्न हई है।
- अन्य चुनौतियाँ: मानसिक बीमारी के लक्षणों के प्रति जागरूकता का अभाव, इसे एक सामाजिक कलंक के रूप में देखना और विशेष रूप से बूढ़े एवं निराश्रित लोगों में मानसिक रोग के लक्षणों की अधिकता, रोगी के इलाज हेतु परिवार के सदस्यों में इच्छा शक्ति का अभाव इत्यादि के कारण सामाजिक अलगाव की स्थिति उत्पन्न होती है।
- इसके परिणामस्वरूप उपचार में एक बड़ा अंतर देखा गया है। उपचार में यह अंतर किसी व्यक्ति की वर्तमान मानसिक बीमारी को और अधिक खराब स्थिति में पहुँचा देता है।
- पोस्ट-ट्रीटमेंट गैप: मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के उपचार के बाद उनके उचित पुनर्वास की आवश्यकता होती है जो वर्तमान में मौजूद नहीं है।
- गंभीरता में वृद्धि: आर्थिक मंदी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ जाती हैं, इसलिये आर्थिक संकट के समय विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
- सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
- संवैधानिक प्रावधान: सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत स्वास्थ्य सेवा को मौलिक अधिकार के रूप में स्वीकार किया है।
- राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP): मानसिक विकारों के भारी बोझ और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में योग्य पेशेवरों की कमी को दूर करने के लिये सरकार वर्ष 1982 से राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP) को लागू कर रही है।
- वर्ष 2003 में दो योजनाओं को शामिल करने हेतु इस कार्यक्रम को सरकार द्वारा पुनः रणनीतिक रूप से तैयार किया गया, जिसमें राजकीय मानसिक अस्पतालों का आधुनिकीकरण और मेडिकल कॉलेजों/सामान्य अस्पतालों की मानसिक विकारों से संबंधित इकाइयों का उन्नयन करना शामिल था।
- मानसिक स्वास्थ्यकर अधिनियम, 2017: यह अधिनयम प्रत्येक प्रभावित व्यक्ति को सरकार द्वारा संचालित या वित्तपोषित मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और उपचार तक पहुँच की गारंटी देता है।
- अधिनयम ने आईपीसी की धारा 309 (Section 309 IPC) के उपयोग को काफी कम कर दिया है और केवल अपवाद की स्थिति में आत्महत्या के प्रयास को दंडनीय बनाया गया है।
- किरण हेल्पलाइन: वर्ष 2020 में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने चिंता, तनाव, अवसाद, आत्महत्या के विचार और अन्य मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं का सामना कर रहे लोगों को सहायता प्रदान करने के लिये 24/7 टोल-फ्री हेल्पलाइन 'किरण' शुरू की थी।
आगे की राह
- भारत में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति सरकार द्वारा सक्रिय नीतिगत हस्तक्षेप और संसाधन आवंटन की मांग करती है।
- मानसिक स्वास्थ्य के प्रति कलंक को कम करने के लिये हमें समुदाय/समाज को प्रशिक्षित और संवेदनशील बनाने के उपायों की आवश्यकता है।
- जब मानसिक बीमारी वाले रोगियों को सही देखभाल प्रदान करने की बात आती है, तो हमें रोगियों के लिये मानसिक स्वास्थ्य देखभाल हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है, हमें सेवाओं और कर्मचारियों की पहुँच को बढ़ाने के लिये नए मॉडल की आवश्यकता है।
- ऐसा ही एक मॉडल- ‘अक्रेडिटेड सोशल हेल्थ एक्टिविस्ट’ (आशा) स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया है।
- भारत को मानसिक स्वास्थ्य और इससे संबंधित मुद्दों के बारे में शिक्षित करने और जागरूकता पैदा करने के लिये निरंतर धन की आवश्यकता है।
- स्वच्छ मानसिकता अभियान जैसे अभियानों के माध्यम से लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानने के लिये प्रेरित करना समय की मांग है।