थायराइड के बढ़ते मामले | 29 Jul 2019
चर्चा में क्यों?
भारत में थायराइड के बढ़ते मामलों को देखते हुए एक सार्वभौमिक थायरॉयड स्क्रीनिंग कार्यक्रम (Universal Thyroid Screening Programme) शुरू करने की बात की जा रही है।
प्रमुख बिंदु:
- इंडियन थायरॉइड सोसाइटी के अनुसार, भारत की कुल जनसंख्या में से 8% लोगों को मधुमेह और 10% लोगों को थायराइड की समस्या है।
थायराइड:
- थायराइड ग्रंथि, गर्दन के सामने वाले हिस्से में पाई जाती है।
- प्रत्येक 10वाँ वयस्क हाइपोथायरायडिज्म (Typothyroidism) रोग से ग्रसित है, इस रोग में थायराइड ग्रंथि पर्याप्त थायराइड हारमोंस का उत्पादन नहीं कर पाती है।
- थायराइड की वजह से महिलाओं में पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम (Poly Cystic Ovary Syndrome) और बांझपन का अधिक खतरा रहता है।
पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम
(Poly Cystic Ovary Syndrome- PCOS):
- पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम प्रजनन आयु की महिलाओं में एक हार्मोनल विकार है।
- PCOS के कारण महिलाओं में मासिक धर्म की निरंतरता प्रभावित होती है, साथ ही एंड्रोजन हार्मोन का स्तर भी कम या ज़्यादा हो सकता है।
- PCOS में नियमित रूप से अंडाणु भी नही विकसित हो पाते हैं।
- इंडियन थायरॉइड सोसाइटी और भारत के प्रसूति और स्त्री रोग संबंधी संघ (Federation of Obstetric and Gynaecological Societies of India-FOGSI) चिकित्सा समुदाय एवं लोगों में थायराइड संबंधी जागरूकता बढ़ाने के लिये एक उत्तरदायी संस्थान हैं।
- हाल ही में दोनों संस्थान, बहुराष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा प्रदाता कंपनी एबट (Abbott) के साथ मिलकर मेकिंग इंडिया थायराइड (Making India Thyroid) की शुरुआत कर रहे हैं। इस अभियान का उद्देश्य एबट (Abbott) द्वारा थायराइड के लिये बनाई गई दवा थायरोनोर्म (Thyronorm) को बढ़ावा देना है।
- भारत में व्यक्तिगत, पेशेवर और घरेलू तनावों के कारण थायराइड के मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। थायराइड पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है; इसी लिये जागरूकता अभियान में महिलाओं को विशेष रूप से जागरूक करने का प्रयास किया गया है।
थायराइड और मधुमेह:
- किसी व्यक्ति को थायरॉयड और मधुमेह दोनों रोग हो सकता है।
- मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic Syndrome), इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin Resistance), टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज आदि, थायराइड के जोखिम को दोगुना कर देते हैं। साथ ही थायरॉइड भी मेटाबॉलिक सिंड्रोम और टाइप 2 डायबिटीज की प्रभावित को बढ़ाती है।
- अधिक वज़न या मोटापे से ग्रस्त लोगों में इस प्रकार के रोगों के पाए जाने की संभावना सामान्य लोगों की अपेक्षा ज़्यादा होती है।