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भारत का राष्ट्रीय इंटरनेट एक्सचेंज

  • 17 Apr 2021
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने ‘भारत के राष्ट्रीय इंटरनेट एक्सचेंज’ (National Internet Exchange of India- NIXI) की तीन नई पहलों/सेवाओं का उद्घाटन किया है।

  • IPv4 से IPv6 तक सुगम संचरण सुनिश्चित करने तथा उसे अपनाने से संबंधित वातावरण के निर्माण के लिये IP गुरु, NIXI अकादमी, NIXI-IP-INDEX शुरू किये गए हैं।

प्रमुख बिंदु:

भारत का राष्ट्रीय इंटरनेट एक्सचेंज:

  • NIXI निम्नांकित गतिविधियों के माध्यम से इंटरनेट की बुनियादी अवसंरचना तक भारत के नागरिकों की पहुँच स्थापित करने के लिये वर्ष 2003 से काम कर रही एक गैर-लाभकारी संस्था (कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8 के तहत) है:
    • इंटरनेट एक्सचेंज के माध्यम से इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (ISP’s), डेटा केंद्रों और सामग्री वितरण नेटवर्क (CDNs) के बीच इंटरनेट डेटा का आदान-प्रदान करना।
    • .IN रजिस्ट्री, .IN कंट्री कोड डोमेन और .BHARAT IDN (अंतर्राष्ट्रीय डोमेन नाम) डोमेन का पंजीकरण, प्रबंधन और संचालन।
    • इंटरनेट नाम और संख्या (IRINN) के लिये भारतीय रजिस्ट्री, इंटरनेट प्रोटोकॉल (IPv4/IPv6) का प्रबंधन और संचालन।

तीन नई पहलें:

  • IPv6 विशेषज्ञ पैनल (IP गुरु):
    • यह उन सभी भारतीय संस्थाओं को समर्थन देने वाला समूह है, जो IPv6 को स्थानांतरित करने और अपनाने के लिये तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण है। यह अपनी सेवाएँ नि:शुल्क दे रहा है।
    • यह दूरसंचार विभाग (DOT), MeitY और उद्योग का एक संयुक्त प्रयास है।

NIXI अकादमी:

  • NIXI अकादमी भारत में लोगों को तकनीकी/गैर-तकनीकी शिक्षा प्रदान करने और IPv6 जैसी तकनीकों को फिर से तैयार करने के लिये बनाई गई है, जो आमतौर पर शैक्षिक संस्थानों में नहीं सिखाई जाती है।
  • सफल उम्मीदवार (परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद) NIXI से प्रमाण पत्र ले सकते हैं, जो उद्योगों में नौकरी खोजने के लिये उपयोगी होगा।

NIXI-IP-INDEX :

  • NIXI ने इंटरनेट कम्युनिटी के लिये एक IPv6 इंडेक्स पोर्टल विकसित किया है।
  • NIXI-IP-INDEX पोर्टल भारत और दुनिया भर में IPv6 को स्वीकार करने की दर को प्रदर्शित करेगा। इसका उपयोग दुनिया में अन्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत में प्रयोग होने वाले IPv6 दर की तुलना करने के लिये किया जा सकता है।
  • इसमें IPv6, IPv6 वेब ट्रैफिक आदि को अपनाने के बारे में विवरण भी शामिल होगा।

IPv4 से IPv6 में संचरण:

  • IP: 'IP' का मतलब 'इंटरनेट प्रोटोकॉल' है। यह नियमों का एक समूह है जो यह बताता है कि सार्वजनिक नेटवर्क (इंटरनेट) पर डेटा कैसे पहुँचाया जाना चाहिये।

IPv4:

  • IPv4, IP का पहला प्रमुख संस्करण था। यह वर्ष 1983 में ARPANET में उत्पादन के लिये तैनात किया गया।
  • यह सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला IP संस्करण है। इसका उपयोग एड्रेसिंग सिस्टम का उपयोग करके नेटवर्क पर उपकरणों की पहचान करने के लिये किया जाता है।
  • IPv4 एक ‘32-बिट एड्रेस स्कीम’ का उपयोग करता है। अब तक इसे प्राथमिक इंटरनेट प्रोटोकॉल माना जाता है और यह इंटरनेट ट्रैफिक का 94% वहन करता है।
  • यह लगभग 4.3 बिलियन एड्रेसेज़ की एड्रेसिंग क्षमता प्रदान करता है।

IPv6:

  • यह इंटरनेट प्रोटोकॉल का सबसे नवीनतम संस्करण है। ‘इंटरनेट इंजीनियर टास्क फोर्स’ ने वर्ष 1994 की शुरुआत में इसे शुरू किया था। इसके डिज़ाइन और विकसित अवस्था को अब IPv6 कहा जाता है।
  • अधिक इंटरनेट एड्रेस की आवश्यकता को पूरा करने के लिये इस नए आईपी एड्रेस संस्करण का प्रयोग किया जा रहा है।
  • IPv6 को IPng (इंटरनेट प्रोटोकॉल की अगली पीढ़ी) भी कहा जाता है।
  • इसमें अनंत संख्या में इंटरनेट एड्रेस प्रदान करने की क्षमता है।
  • 128-बिट एड्रेस स्पेस के साथ यह 340 अनडीसिलियन (Undecillion) यूनीक एड्रेस स्पेस प्रदान करता है। यह दुनिया भर में नेटवर्क की बढ़ती संख्या को आसानी से समायोजित कर सकता है और ‘आईपी एड्रेस एक्जहोस्ट’ की समस्या को हल करने में मदद करता है।

IPv6 को अपनाने के लाभ:

  • IPv6 द्वारा प्रदान किया जाने वाला सबसे प्रमुख लाभ ‘एक्सपोनेंशियल एड्रेस स्पेस’ है जो कि व्यावहारिक रूप से भविष्य के लिये अति महत्त्वपूर्ण है। यह सेवा प्रदाताओं, उद्यमों और अंतिम उपयोगकर्ताओं को सरल, सहज एवं लागत प्रभावी कनेक्टिविटी की अनुमति देता है।
    • यह 5G के साथ विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण माना जाता है, जो इंटरनेट से कनेक्ट होने वाले उपकरणों की कुल संख्या में बड़े पैमाने पर वृद्धि करेगा।
  • IPv6 ऑपरेटिंग सिस्टम स्वचालित रूप से दो IPv6 एड्रेसेज़ का निर्माण करता है। डिवाइस पहचान को छिपाने के लिये सफिक्स में यादृच्छिक मैक एड्रेसेज़ के साथ एक IPv6 और वास्तविक मैक पते के साथ एक और IPv6 जो केवल एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड अनुप्रयोगों के लिये उपयोग किया जाता है।
  • IPv6 में ‘एंड-यूज़र प्राइवेसी’ की सुरक्षा के लिये एक प्राइवेसी प्रोटोकॉल है। वर्तमान इंटरनेट (v4) में प्रभावी गोपनीयता और प्रभावी प्रमाणीकरण तंत्र का अभाव है।

भारत का महत्त्व:

  • वैश्विक साइबर स्पेस और डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिये इंटरनेट अवसंरचना का सतत् विकास और उद्भव आवश्यक है और IPv6 रूट सर्वर जो कि इंटरनेट को नियंत्रित एवं प्रबंधित करता है, एक बेहतरीन उपकरण के रूप में काम कर सकता है।
  • राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे का निर्माण किया जाना आवश्यक है। एक महत्वपूर्ण इंटरनेट संसाधन के रूप में IPv6 रूट सर्वर सिस्टम इंटरनेट की सुरक्षा और स्थिरता का प्रबंधन करने के लिये ज़रूरी है।
  • यह महत्त्वपूर्ण IT अवसंरचना देश में विशेषज्ञता निर्माण में योगदान देगा और साथ ही देश के भीतर एक प्रमुख तकनीकी ज्ञान आधार को बढ़ावा देगी तथा देश के भीतर एक रूट सर्वर होने से भारतीय कानूनी अधिकारियों को निगरानी की सुविधा प्राप्त होगी।

स्रोत-पीआईबी

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