प्राचीन स्मारकों एवं स्थलों के आस-पास संरचनाओं की अनुमति | 18 Aug 2017
चर्चा में क्यों ?
प्राचीन स्मारकों और पुरातात्त्विक स्थलों के आसपास निषिद्ध क्षेत्रों में बुनियादी संरचनाओं के निर्माण की अनुमति मिलनी चाहिये। इस संबंध में लोकसभा में लंबित ‘प्राचीन स्मारक और पुरातात्त्विक स्थल एवं अवशेष (संशोधन) विधेयक, 2017 (The Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains (Amendment) Bill, 2017 ) इस मुद्दे को हल करने का प्रयास करता है।
प्रमुख बिंदु
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संसद में प्राचीन स्मारक और पुरातात्त्विक स्थल अवशेष (संशोधन) विधेयक, 2017 प्रस्तुत करने के लिए अपनी मंज़ूरी प्रदान कर दी है।
- इसमें प्रतिबंधित स्थलों पर सार्वजनिक रूप से आवश्यक निर्माण कार्यों और परियोजनाओं के लिये प्राचीन स्मारक और पुरातात्त्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 में निम्नलिखित संशोधनों को मंज़ूरी दी गई है-
- अधिनियम की धारा 2 में ‘लोक कार्य’ की नई परिभाषा शामिल करना।
- अधिनियम की धारा 20(A) में संशोधन, जिससे कि केंद्र सरकार के किसी भी विभाग के कार्यालय को केंद्र सरकार से अनुमति प्राप्त करने के बाद प्रतिबंधित क्षेत्र में लोक कार्य करने हेतु दिया जा सके।
- मुख्य अधिनियम की धारा 20(I) में नया खंड जोड़ना।
संसोधन की आवश्यकता क्यों ?
- उल्लेखनीय है कि प्राचीन स्मारक और पुरातात्त्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 (वर्ष 2010 में यथा संशोधित) केंद्र सरकार द्वारा संरक्षित स्मारकों /स्थलों के निषिद्ध क्षेत्र में किसी भी नए निर्माण कार्य की अनुमति प्रदान करने का प्रतिबंध करता है।
- निषिद्ध क्षेत्र में नए निर्माण कार्य के प्रतिबंध से केंद्र सरकार के विभिन्न लोक कार्यों और विकासात्मक परियोजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
- इस संशोधन से प्रतिबंधित स्थान पर सार्वजनिक रूप से आवश्यक निर्माण कार्यों और परियोजनाओं के लिये सख्त रूप से सीमित कुछ निर्माण कार्य किये जा सकेंगे।
प्राचीन स्मारकों की परिभाषा
- प्राचीन स्मारक तथा पुरातात्त्विक स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 प्राचीन स्मारकों को इस प्रकार परिभाषित करता है- कोई संरचना, निर्माण, स्मारक, स्तूप, कब्रगाह, गुफा, शैल मूर्तिकला, ऐतिहासिक शिलालेख या केवल पत्थर का खंभा, जो पुरातात्त्विक या कलात्मक रुचि का है और जो कम से कम सौ वर्षों से विद्यमान है, प्राचीन स्मारक है।