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डेली न्यूज़


भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत में मुद्रास्फीति

  • 04 Jun 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय (Ministry of Labour and Employment) ने औद्योगिक श्रमिकों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक [Consumer Price Index: Industrial Labour (CPI:IW)] जारी किया।

भारत में मुद्रास्फीति की माप

थोकमूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index-WPI)

  • यह भारत में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला मुद्रास्फीति संकेतक (Inflation Indicator) है।
  • इसे वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) के आर्थिक सलाहकार (Office of Economic Adviser) के कार्यालय द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
  • इसमें घरेलू बाज़ार में थोक बिक्री के पहले बिंदु किये जाने-वाले (First point of bulk sale) सभी लेन-देन शामिल होते हैं।
  • इस सूचकांक की सबसे प्रमुख आलोचना यह है कि आम जनता थोक मूल्य पर उत्पाद नहीं खरीदती है।
  • वर्ष 2017 में अखिल भारतीय WPI के लिये आधार वर्ष 2004-05 से संशोधित कर 2011-12 कर दिया गया है।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index-CPI)

  • यह खुदरा खरीदार के दृष्टिकोण से मूल्य परिवर्तन को मापता है।
  • यह चयनित वस्तुओं और सेवाओं के खुदरा मूल्यों के स्तर में समय के साथ बदलाव को मापता है, जिस पर एक परिभाषित समूह के उपभोक्ता अपनी आय खर्च करते हैं।
  • CPI के चार प्रकार निम्नलिखित हैं:

1. औद्योगिक श्रमिकों (Industrial Workers-IW) के लिये CPI 
2. कृषि मज़दूर (Agricultural Labourer-AL) के लिये CPI
3. ग्रामीण मज़दूर (Rural Labourer-RL) के लिये CPI
4. CPI (ग्रामीण/शहरी/संयुक्त)

  • इनमें से प्रथम तीन को श्रम और रोज़गार मंत्रालय में श्रम ब्यूरो (labor Bureau) द्वारा संकलित किया गया है। जबकि चौथे प्रकार की CPI को सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation) के अंतर्गत केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (Central Statistical Organisation-CSO) द्वारा संकलित किया जाता है।
  • CPI का आधार वर्ष 2012 है।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक बनाम थोक मूल्य सूचकांक

  • थोक मूल्य सूचकांक (WPI) का उपयोग थोक स्तर पर वस्तुओं की कीमतों का पता लगाने के लिये किया जाता है। अर्थव्यवस्था में सभी वस्तुओं की कीमतों में परिवर्तन को मापना या पता लगाना वास्तव में असंभव है। इसलिये थोक मूल्य सूचकांक में एक नमूने को लेकर मुद्रास्फीति को मापा जाता है। इसके पश्चात् एक आधार वर्ष तय किया जाता है जिसके सापेक्ष में वर्तमान मुद्रास्फीति को मापा जाता है।
  • भारत में थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर महँगाई की गणना की जाती है।
  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में मुद्रास्फीति की माप खुदरा स्तर पर की जाती है जिसमें उपभोक्ता प्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहते हैं। यह पद्वति आम उपभोक्ता पर मुद्रास्फीति के प्रभाव को बेहतर तरीके से मापती है।
  • WPI, आधारित मुद्रास्फीति की माप उत्पादक स्तर पर की जाती है जबकि और CPI के तहत उपभोक्ता स्तर पर कीमतों में परिवर्तन की माप की जाती है।
  • दोनों बास्केट व्यापक अर्थव्यवस्था के भीतर मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति (मूल्य संकेतों की गति) को मापते हैं, दोनों सूचकांक अलग-अलग होते हैं जिसमें भोजन, ईंधन और निर्मित वस्तुओं का भारांक (Weitage) निर्धारित किया गया है।
  • WPI सेवाओं की कीमतों में परिवर्तन को शामिल नहीं करता है, जबकि CPI में सेवाओं की कीमतों को शामिल किया जाता है।
  • अप्रैल 2014 में, RBI ने मुद्रास्फीति के प्रमुख मापक के रूप में CPI को अपनाया था।

स्रोत: पी.आई.बी. एवं टीम दृष्टि इनपुट

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