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भारतीय फुटवियर और चमड़ा विकास कार्यक्रम

  • 07 Feb 2022
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

IFLDP योजना

मेन्स के लिये:

चमड़ा उद्योग, सरकारी नीतियांँ और हस्तक्षेप।

चर्चा में क्यों? 

वर्ष 2021-22 से भारतीय फुटवियर और चमड़ा विकास कार्यक्रम (Indian Footwear and Leather Development Programme- IFLDP) को जारी रखने के लिये वित्तीय परिव्यय 1700 करोड़ रुपए अनुमोदित किया गया है।

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा IFLDP को  31 मार्च, 2026 तक या अगली समीक्षा तक जो भी पहले हो, पूर्ववर्ती IFLADP (भारतीय फुटवियर चमड़ा और सहायक उपकरण विकास कार्यक्रम) की निरंतरता के रूप में अनुमोदित किया गया है।
  •  IFLADP की घोषणा 2,600 करोड़ रुपए के व्यय के साथ तीन वित्तीय वर्षों (2017-18 से 2019-20 तक) के लिये की गई थी।

प्रमुख बिंदु 

IFLDP योजना:

  • यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसका उद्देश्य चमड़ा क्षेत्र हेतु बुनियादी ढांँचे का विकास करना, विशिष्ट पर्यावरणीय चिंताओं को दूर करना, अतिरिक्त निवेश की सुविधा, रोज़गार सृजन और उत्पादन में वृद्धि करना है।
  • कार्यक्रम के तहत स्वीकृत उप-योजनाएँ:
    • सतत् प्रौद्योगिकी और पर्यावरण सवर्द्धन, चमड़ा क्षेत्र का एकीकृत विकास (IDLS), संस्थागत सुविधाओं की स्थापना, मेगा चमड़े के जूते और सहायक उपकरण क्लस्टर विकास,  ब्रांड प्रचार,  और डिज़ाइन स्टूडियो का विकास।
  • डिज़ाइन स्टूडियो का विकास (100 करोड़ रुपए प्रस्तावित परिव्यय) एक नई उप-योजना है जो विपणन/निर्यात संबंधों को बढ़ावा देगी, क्रेता-विक्रेता एक मंच प्रदान करेगी, अंतर्राष्ट्रीय खरीदारों को डिज़ाइन प्रदर्शित करने और व्यापार मेलों हेतु इंटरफेस के रूप में कार्य करेगी।

पूर्ववर्ती IFLADP का प्रभाव:

  • यह कार्यक्रम विशेष रूप से महिलाओं के लिये गुणवत्तापूर्ण रोज़गार सृजन, कौशल विकास, उचित कार्य, उद्योग को अधिक पर्यावरण अनुकूल बनाने और एक स्थायी उत्पादन प्रणाली को बढ़ावा देने की दिशा में लाभ प्रदान करता है।
  • देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित लेदर क्लस्टरस ने गरीबी के स्तर में कमी लाने, लैंगिक समानता, क्षेत्र विशिष्ट कौशल/शिक्षा आदि के संदर्भ में लाभ अर्जित किया है, इस प्रकार इसने कई सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त किया है। 
  • अन्य राष्ट्रीय विकास योजनाएँ (NDPs) जैसे कि आर्थिक विकास, रोज़गार सृजन, अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण, बुनियादी ढाँचा विकास, सस्ती व स्वच्छ ऊर्जा तथा अन्य पर्यावरणीय लाभ IFLAD कार्यक्रम द्वारा सुनिश्चित किये जाते हैं।
    • अधिकांश एनडीपी (NDPs), SDGs के साथ संरेखित होते हैं।

भारत के चमड़ा उद्योग की वर्तमान स्थिति:

  • भारत दुनिया में चीन के बाद जूते और चमड़े के कपड़ों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक तथा दुनिया में चमड़े के कपड़ों का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक (चीन के बाद) है।
  • इस उद्योग को उच्च निर्यात आय में निरंतरता के लिये जाना जाता है और यह देश के लिये शीर्ष दस विदेशी मुद्रा अर्जकों में से एक है।
  • भारत में चमड़े के कच्चे माल के रूप में विश्व के मवेशियों और भैंसों की कुल आबादी का 20% तथा बकरी और भेड़ की कुल आबादी का 11% हिस्सा है।
  • चमड़ा उद्योग एक रोज़गार प्रधान उद्योग है जो समाज के कमज़ोर वर्गों के 4 मिलियन से अधिक लोगों को रोज़गार प्रदान करता है।
  • चमड़ा उत्पाद उद्योग में लगभग 30% हिस्सेदारी महिलाओं की है। भारत में चमड़ा उद्योग 35 वर्ष से कम आयु के 55% कार्यबल के साथ सबसे युवा कार्यबल में से एक है।
  • भारतीय चमड़ा उत्पादों के प्रमुख बाज़ार यूएसए, जर्मनी, यूके, इटली, फ्राँस, स्पेन, नीदरलैंड, यूएई आदि हैं।

स्रोत: पी.आई.बी.

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