भारतीय अर्थव्यवस्था
अन्य देशों में भारत की डिजिटल भुगतान प्रणाली
- 15 Jun 2020
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारत की विभिन्न डिजिटल भुगतान प्रणालियाँ। मेन्स के लिये:विदेशों में भारतीय डिजिटल भुगतान प्रणाली संभावनाएँ, समस्याएँ तथा समाधान। |
चर्चा में क्यों?
कई देशों द्वारा अनुरोध किये जाने बाद भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) विदेशों में अपनी भुगतान प्रणाली के विस्तार की संभावनाएँ तलाश रहा है।
प्रमुख बिंदु
भुगतान प्रणाली के लिये अनुरोध:
- RBI को अपनी भुगतान प्रणालियों जैसे- चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS), राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (National Electronic Fund Transfer-NEFT), एकीकृत भुगतान इंटरफेस (Unified Payments Interface-UPI) और संदेशों को प्रसारित करने संबंधी समाधानों को लागू करने के लिये विदेशों से अनुरोध प्राप्त हुए हैं।
कारण:
- भारत में कम लागत वाले नवीन डिजिटल भुगतान विकल्पों की उपलब्धता के कारण कई देशों ने भारतीय भुगतान प्रणाली में अपनी रुचि व्यक्त की है।
भारत के बाहर भुगतान प्रणाली की उपलब्धता:
- वर्तमान में RBI द्वारा अधिकृत भुगतान प्रणाली का ऐसा कोई भी ऑपरेटर नहीं है जो भारत के बाहर ऐसी किसी भी प्रकार की सेवा प्रदान करता हो।
- हालाँकि CTS, नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (NACH) और NEFT के सहयोग से भूटान के साथ एक क्रॉस कंट्री को-ऑपरेशन पर कार्य किया जा रहा है। NEFT की सुविधा भारत से नेपाल में होने वाले एकतरफा अंतरण के लिये भी उपलब्ध है
भारत के बाहर भुगतान प्रणाली के विस्तार की संभावना:
- RBI के अनुसार, भुगतान प्रणाली के मानकों में कुछ बदलाव और अंतर्राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय मंचों पर सक्रिय भागीदारी एवं आवश्यक सहयोग के माध्यम से भारतीय भुगतान प्रणालियों को वैश्विक मंच पर उपलब्ध कराया जा सकता है। इसमें प्रेषण को भी शामिल किया जा सकता है।
- गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर RuPay कार्ड योजना और UPI के ब्रांड मूल्य, दायरे, कवरेज़ और उपयोग को बढ़ाने एवं अधिक व्यापक रूप देने के विभिन्न प्रयास भी किये गए हैं।
इसमें निहित अन्य मुद्दे:
- विदेशी फंड्स (डिजिटल भुगतानों के माध्यम से प्राप्त होने वाले फंड्स) पर अत्यधिक निर्भरता भारत में संभावित तरलता जोखिम जैसे मुद्दों को बढ़ावा दे सकती है।
- विभिन्न देशों की अलग-अलग समय प्रणाली डिजिटल भुगतान में जोखिम पैदा कर सकती हैं।
डिजिटल भुगतान और भारत
(Digital Payments and India):
- भारत में खुदरा डिजिटल भुगतान का बढ़ता उपयोग नकदी के इस्तेमाल को प्रभावित करता प्रतीत हो रहा है।
- RBI के अनुसार, देश में डिजिटल भुगतान में मात्रा और मूल्य के मामले में क्रमशः 61% और 19% की वृद्धि देखी गई है।
- सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के लिये डिजिटल भुगतान का मूल्य भी वर्ष 2014-15 के 660% से बढ़कर वर्ष 2018-19 में 862% हो गया है।
- पॉइंट ऑफ सेल (PoS) टर्मिनल 35% की उच्च गति से बढ़ें हैं जबकि इसके विपरीत नए ATMs लगाने की गति कम (4%) हुई है।
एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI)
- यह तत्काल भुगतान सेवा (IMPS)- कैशलेस भुगतान को तीव्र, आसान और सुगम बनाने के लिये राउंड-द-क्लॉक (अर्थात् 24 घंटे उपलब्ध) सेवा, का एक उन्नत संस्करण है।
- UPI एक ऐसी प्रणाली है जो कई बैंक खातों को एक ही मोबाइल एप्लिकेशन (किसी भी भागीदार बैंक) में, कई बैंकिंग सुविधाओं, एक ही फंड में समेकित फंड रूटिंग और मर्चेंट भुगतान को, सन्निहित कर देती है।
- नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने वर्ष 2016 में 21 सदस्य बैंकों के साथ UPI को लॉन्च किया था।
नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर
(National Electronic Funds Transfer)
- नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (National Electronic Funds Transfer-NEFT) देश की प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण प्रणालियों में से एक है। इसकी शुरुआत नवंबर 2005 में की गई थी।
- नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (NEFT) एक राष्ट्रव्यापी भुगतान प्रणाली है। इस योजना के तहत व्यक्ति, फर्म और कॉरपोरेट संस्था/संगठन किसी भी बैंक शाखा से देश के किसी भी कोने में स्थापित अन्य बैंक शाखा (योजना के तहत शामिल बैंक) के खाताधारक किसी भी व्यक्ति, फर्म या कॉर्पोरेट संस्था/संगठन को धनराशि हस्तांतरित कर सकते हैं।
- NEFT के माध्यम से कितनी भी न्यूनतम अथवा अधिकतम धनराशि हस्तांतरित की जा सकती है, अर्थात् इसकी कोई सीमा नहीं है।
- हालाँकि भारत के भीतर नकद आधारित प्रेषणों और भारत-नेपाल प्रेषण सुविधा योजना के तहत नेपाल के लिये होने वाले प्रेषण के लिये प्रति लेन-देन अधिकतम 50,000 रुपए की सीमा तय की गई है।
RuPay कार्ड योजना
- RuPay भारत में अपनी तरह का पहला घरेलू डेबिट और क्रेडिट कार्ड भुगतान नेटवर्क है।
- यह नाम रुपे (Rupee) और, पेमेंट (Payment) दो शब्दों से मिलकर बना है जो इस बात पर ज़ोर देता है कि यह डेबिट और क्रेडिट कार्ड भुगतानों के लिये भारत की स्वयं की पहल है।
- इस कार्ड का उपयोग सिंगापुर, भूटान, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), बहरीन और सऊदी अरब में लेन-देन के लिये भी किया जा सकता है।
चेक ट्रंकेशन सिस्टम
Cheque Truncation System (CTS)
- ट्रंकेशन वह प्रक्रिया है जिसमें आहरणकर्त्ता द्वारा जारी किये गए भौतिक (मूल) चेक को चेक के प्रस्तुतीकरण वाले बैंक से अदाकर्त्ता बैंक शाखा तक की यात्रा नहीं करनी पड़ती है। चेक के स्थान पर क्लियरिंग हाउस द्वारा इसकी इलेक्ट्रॉनिक फोटो अदाकर्त्ता शाखा को भेज दी जाती है जिसके साथ इससे संबंधित जानकारी जैसे- प्रस्तुति की तारीख, प्रस्तुत करने वाला बैंक इत्यादि भी भेज दी जाती है। इस तरह से चेक ट्रंकेशन के माध्यम से समाशोधन (Clearing) के प्रयोजनों हेतु कुछ अपवादों को छोड़कर, लिखतों की एक शाखा से दूसरी शाखा में जाने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। यह प्रभावी ढंग से चेक के एक स्थान से दूसरे स्थान जाने में लगने वाली लागत को समाप्त करता है, उनके संग्रहण में लगने वाले समय को कम करता है और चेक प्रोसेसिंग की समस्त प्रक्रिया को बेहतर बनाता है।
राष्ट्रीय स्वचालित समाशोधन गृह
National Automated Clearing House (NACH)
- राष्ट्रीय स्वचालित समाशोधन गृह/नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (NACH) को भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payments Corporation of India-NPCI) द्वारा उपलब्ध कराई गई एक सेवा है। NACH इलेक्ट्रॉनिक अंतरण/ट्रांसफर, हाई वॉल्यूम ट्रांसफर और आवधिक अंतर-बैंक लेन-देन के लये उपयुक्त है।