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डेली न्यूज़


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-टोगो संबंध

  • 03 Feb 2020
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में टोगोलीज़ गणतंत्र (Togolese Republic), जिसे टोगो के नाम से भी जाना जाता है) और भारत ‘दापोंग’(दलवाक क्षेत्र) एवं ‘मैंगो’ (सवेंस क्षेत्र) में लगभग 300 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाओं के विकास हेतु सहयोग करने पर सहमत हुए हैं।

मुख्य बिंदु:

  • राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (National Thermal Power Corporation:NTPC) लिमिटेड इन परियोजनाओं के लिए परियोजना प्रबंधन सलाहकार (Project Management Consultant- PMC) के रूप में कार्य करेगा।
  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (nternational Solar Alliance: ISA) में टोगो पहला देश होगा जो NTPC की सेवाओं का लाभ उठाएगा।
  • टोगो ने अपनी सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही वर्ष 2030 तक बिजली तक सार्वभौमिक पहुंच प्राप्त करने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना बनाई है।

राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लिमिटेड (NTPC)

  • भारत की सबसे बड़ी विद्युत कंपनी, एनटीपीसी की स्‍थापना वर्ष 1975 में भारत के विद्युत विकास में तेजी लाने के लिए की गई थी।
  • हालाँकि एनटीपीसी एक ताप विद्युत कंपनी है, लेकिन वर्तमान में यह विद्युत उत्‍पादन व्‍यापार की संपूर्ण मूल्‍य श्रृंखला में उपस्थिति के साथ एक वैविध्‍यपूर्ण विद्युत कंपनी के रूप में उभर रही है।
  • इसका मिशन नवप्रवर्तन एवं स्फूर्ति द्वारा संचालित रहते हुए किफायती, दक्षतापूर्ण एवं पर्यावरण-हितैषी तरीके से विश्वसनीय विद्युत-ऊर्जा एवं संबद्ध सेवाएँ प्रदान करना है।
  • NTPC को वर्ष 2010 में महारत्न कंपनी का दर्जा प्राप्त हुआ। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
  • इसकी बिजली उत्पादन क्षमता 58,000 मेगावाट से अधिक है जिसमें 870 मेगावाट की सौर परियोजनाएँ शामिल है और 1062 मेगावाट की परियोजनाएँ निर्माणाधीन हैं।

मुख्य बिंदु

  • NTPC ने सौर परियोजनाओं के कार्यान्वयन हेतु सदस्य देशों को परियोजना प्रबंधन परामर्श देने के लिये ISA के समक्ष एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया था।
  • इस प्रस्ताव को ISA की वेबसाइट पर स्विस चुनौती(Swiss challenge ) के लिये रखा गया और बाद में ISA वित्त समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जिसे अक्टूबर 2019 में आयोजित ISA की द्वितीय सम्मेलन में मंजूरी दी गई।

स्विस चैलेंज (Swiss Challenge)

  • स्विस चैलेंज बोली लगाने की एक विधि है, जिसका उपयोग अक्सर सार्वजनिक परियोजनाओं की बोली लगाने में किया जाता है, जिसमें एक इच्छुक पार्टी किसी परियोजना के लिए अनुबंध या बोली के लिये प्रस्ताव प्रस्तुत करती है।
  • इसके बाद सरकार परियोजना का विवरण जनता के समक्ष रखती है और इसे क्रियान्वित करने के इच्छुक अन्य लोगों से प्रस्तावों को आमंत्रित करती है।
  • प्राप्त बोलियों के आधार पर मूल प्रस्तावक को सर्वश्रेष्ठ बोली के साथ मिलान करने का मौका दिया जाता है। यदि मूल प्रस्तावक बोली का मिलान करने में विफल रहता है, तो परियोजना सर्वश्रेष्ठ बोली लगाने वाले को दे दी जाती है।

टोगो गणतंत्र (Togo Republic):

यह पश्चिम अफ्रीकी देश है जो दक्षिण में गिनी की खाड़ी तक फैला हुआ है इसकी सीमा उत्तर में बुर्किना फासो, पूर्व में बेनिन और पश्चिम में घाना तक है

India-Togo-Relations

  • टोगो की राजधानी लोम (Lomé) है जो गिनी की खाड़ी में स्थित है। यह देश का सबसे बड़ा शहर और बंदरगाह भी है।
  • टोगो एक उप-सहारा राष्ट्र है,जिसकी जलवायु कृषि हेतु अनुकूल है जो कृषि पर इसकी निर्भरता की दृष्टि से सहायक है।
    • इसकी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि उत्पादों जैसे कॉफी, कोको बीन्स और मूंगफली आदि पर निर्भर है।
    • फॉस्फेट के व्यापक भंडारों की अवस्थिति के कारण यह दुनिया के सबसे बड़े फॉस्फेट उत्पादकों देशों में से एक है।
  • टोगो की आधिकारिक भाषा फ्रेंच है और गबे परिवार (Gbe family) की कई अन्य भाषाएँ भी यहाँ बोली जाती हैं।

इतिहास

  • टोगो को शुरू में विभिन्न जनजातियों द्वारा आबाद किया गया था और बाद में 16 वीं शताब्दी में दास व्यापार के केंद्र के रूप में ‘स्लेव कोस्ट’ के रूप में जाना जाने लगा।
  • बाद में यह प्रथम विश्व युद्ध तक जर्मनी का उपनिवेश था जब इसे इंग्लैंड और फ्रांस द्वारा विभाजित किया गया था।
  • वर्ष 1914 में टोगोलैंड टोगो बन गया। ब्रिटिश टोगोलैंड अंततः घाना और फ्रांसीसी टोगोलैंड का हिस्सा बन गया।
  • टोगो ने वर्ष 1960 में स्वतंत्रता प्राप्त की।

स्रोत- पीआईबी

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