CITES में भारत का प्रस्ताव | 09 Aug 2019
चर्चा में क्यों?
भारत ने अगस्त के अंत में स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में होने वाली CITES सचिवालय (Secretariat) की बैठक में विभिन्न वन्यजीव प्रजातियों की सूची में बदलाव संबंधी एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया है।
प्रमुख बिंदु
- प्रस्तुत प्रस्ताव में Smooth-Coated Otter, छोटे-पंजे वाले ओटर (Small-Clawed Otter), भारतीय स्टार कछुआ, टोके गेको (Tokay Gecko), वेजफिश (Wedgefish) और भारतीय शीशम (Indian Rosewood) की सूची में बदलाव के बारे में बात की गई हैं।
- भारत उक्त सभी पाँच वन्यजीवों की प्रजातियों के संरक्षण को बढ़ावा देना चाहता है क्योंकि ये सभी प्रजातियाँ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के उच्च जोखिम का सामना कर रही हैं।
- भारतीय शीशम को CITES परिशिष्ट II से हटाने का प्रस्ताव किया गया है। CITES द्वारा सुरक्षा की आवश्यकता के आधार पर प्रजातियों को तीन परिशिष्टों में सूचीबद्ध किया गया है।
- TRAFFIC इंडिया के अनुसार, भारत अन्य देशों द्वारा चिह्नित प्रजातियों की सुरक्षा की स्थिति को बढ़ावा देने वाले प्रस्तावों का भी समर्थन करेगा।
CITES
- CITES ( The Convention of International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora) वन्यजीवों और वनस्पतियों की संकटापन्न प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर देशों के बीच एक समझौता है।
- यह समझौता 1 जुलाई, 1975 से लागू है। लेकिन भारत इस समझौते के लागू होने के लगभग एक साल बाद 18 अक्तूबर, 1976 को इसमें शामिल हुआ और इस समझौते में शामिल होने वाला 25वाँ सदस्य बना।
- वर्तमान में CITES के पक्षकारों की संख्या 183 है।
- समझौते के तहत संकटापन्न प्रजातियों को तीन परिशिष्टों में शामिल किया जाता है:
परिशिष्ट I: इसमें शामिल प्रजातियाँ ‘लुप्तप्राय’ हैं, जिन्हें व्यापार से और भी अधिक खतरा हो सकता है।
परिशिष्ट II: इसमें ऐसी प्रजातियाँ शामिल हैं जिनके निकट भविष्य में लुप्त होने का खतरा नहीं नहीं है लेकिन ऐसी आशंका है कि यदि इन प्रजातियों के व्यापार को सख्त तरीके से नियंत्रित नहीं किया गया तो ये लुप्तप्राय की श्रेणी में आ सकती हैं।
परिशिष्ट III: इसमें वे प्रजातियाँ शामिल हैं जिसकी किसी एक पक्ष/देश द्वारा नियंत्रण/संरक्षण के लिये पहचान की गई है। इस परिशिष्ट में शामिल प्रजातियों के व्यापार को नियंत्रित करने के लिये दूसरे पक्षों का सहयोग अपेक्षित है।
CITES की संरचना
TRAFFIC
- ट्रैफिक WWF एवं IUCN का संयुक्त संरक्षण कार्यक्रम है। जिसकी स्थापना वर्ष 1976 में IUCN के प्रजाति उत्तरजीविता आयोग द्वारा की गई थी।
- ट्रैफिक एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क है जिसका मुख्यालय कैम्ब्रिज यू.के. में है।
- ट्रैफिक सक्रिय रूप से वन्यजीव व्यापार की निगरानी और जाँच करता है तथा प्रभावी संरक्षण नीतियों तथा कार्यक्रमों के रूप में दुनिया भर की विभिन्न संस्थाओं को जानकारी प्रदान कराता है।
- यह गैर-सरकारी संगठन अपनी गतिविधियाँ विभिन्न राष्ट्रीय सरकारों तथा CITES मुख्यालय के सहयोग से चलाता है।
- भारत में ट्रैफिक की स्थापना वर्ष 1991 में WWF के एक विभाग के रूप में की गई।