भारत और रूस के विदेश मंत्रियों की बैठक | 09 Apr 2021
चर्चा में क्यों?
भारत और रूस के बीच एक आम सहमति विकसित करने के लिये दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने एक दूसरे की चिंताओं से संबंधित विभिन्न मुद्दों को संबोधित किया।
- इन मुद्दों में रक्षा आपूर्ति, S-400 वायु रक्षा प्रणाली, अफगानिस्तान में भारत की भूमिका और तालिबान की भागीदारी तथा कोरोना वायरस वैक्सीन पर सहयोग आदि शामिल हैं।
प्रमुख बिंदु
दोनों देशों के बीच निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की गई
- रूस के सुदूर पूर्व में आर्थिक अवसर
- रूस के सुदूर पूर्व में बैकाल झील, जो कि विश्व की सबसे बड़ी ताज़े पानी की झील है, से लेकर प्रशांत महासागर तक इसमें रूस का लगभग एक तिहाई क्षेत्र शामिल है।
- यद्यपि यह क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों जैसे- खनिज, हाइड्रोकार्बन, लकड़ी और मछली आदि के मामले में समृद्ध है, किंतु इसके बावजूद यह आर्थिक रूप से काफी कम विकसित है।
- भारत में विनिर्माण को बढ़ावा देने हेतु ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का लाभ उठाना।
- ‘इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर’ के माध्यम से कनेक्टिविटी स्थापित करना।
- इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC), सदस्य राज्यों के बीच परिवहन सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ईरान, रूस और भारत द्वारा सितंबर 2000 में सेंट पीटर्सबर्ग में स्थापित एक मल्टी मॉडल परिवहन मार्ग है।
- चेन्नई-व्लादिवोस्तोक पूर्वी समुद्री गलियारा।
- यह भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने के उद्देश्य से लगभग 5,600 समुद्री मील लंबा एक समुद्री मार्ग है।
- अंतरिक्ष और परमाणु क्षेत्रों में साझेदारी।
S-400 वायु रक्षा प्रणाली
- दोनों देशों के बीच S-400 वायु रक्षा प्रणाली की बिक्री से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई।
- एस-400 ट्रायम्फ रूस द्वारा डिज़ाइन की गई एक गतिशील (Mobile) और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है।
- यह विश्व में लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने में सक्षम सबसे खतरनाक आधुनिक मिसाइल प्रणाली है, जिसे अमेरिका द्वारा विकसित ‘टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस सिस्टम’ (THAAD) से भी बेहतर माना जाता है।
- यद्यपि भारत इसे खरीदने के लिये उत्सुक है, किंतु संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा प्रतिद्वंद्वियों के विरोध हेतु बनाए गए दंडात्मक अधिनियम (CAATSA) के तहत प्रतिबंध लगाए जाने का खतरा अभी भी बना हुआ है।
सैन्य गठबंधन और इंडो-पैसिफिक
- सैन्य गठबंधन
- रूस के विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि रूस और चीन के द्विपक्षीय संबंध वर्तमान में काफी बेहतर हैं, किंतु दोनों देश किसी भी प्रकार के सैन्य गठबंधन स्थापित पर विचार नहीं कर रहे हैं।
- उन्होंने क्वाड समूह का भी उल्लेख किया और इसे ‘एशियाई नाटो’ के रूप में संदर्भित किया, जिसका प्रयोग प्रायः चीन द्वारा किया जाता है।
- क्वाड, जो कि भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक अनौपचारिक रणनीतिक वार्ता है, का उद्देश्य ‘मुक्त, स्वतंत्र और समृद्ध’ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र सुनिश्चित करना है।
- इंडो-पैसिफिक
- रूस और भारत दोनों देश इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता और कनेक्टिविटी स्थापित करने की दिशा में काम कर रहे हैं तथा दोनों देशों ने एशिया में किसी भी प्रकार का ‘सैन्य गठबंधन’ स्थापित न करने का आग्रह किया।
- रूस ने इस क्षेत्र को ‘एशिया प्रशांत’ के रूप में संबोधित किया, जबकि भारत ने इसे ‘इंडो-पैसिफिक’ के रूप में संबोधित किया।
अफगान शांति
- दोनों देशों ने स्पष्ट किया कि अफगानिस्तान की शांति वार्ता से संबंधित विभिन्न हितधारकों के मध्य ‘सामंजस्य’ स्थापित करना काफी महत्त्वपूर्ण है।
- शांति प्रक्रिया मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिये और एक राजनीतिक समाधान का आशय स्वतंत्र, संप्रभु, एकजुट एवं लोकतांत्रिक अफगानिस्तान से होना चाहिये।
- अफगानिस्तान में शांति समझौते का अंतिम निर्णय देश के सभी राजनीतिक, जातीय और धार्मिक समूहों की भागीदारी को ध्यान में रखकर लिया जाना चाहिये। अन्यथा यह समाधान स्थिर और संतुलित नहीं होगा।
चिकित्सा सहयोग
- ‘रशियन फंड फॉर डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट’ ने रूस की वैक्सीन ‘स्पुतनिक वी’ की 700 से 750 मिलियन खुराक के लिये विभिन्न भारतीय निर्माताओं के साथ अनुबंध किया है।
- दोनों मंत्रियों ने रूस को कोवैक्सीन के संभावित निर्यात पर चर्चा की, जिसे जल्द ही रूस के विशेषज्ञों द्वारा मंज़ूरी दिये जाने की संभावना है।
भारत-रूस संबंध
- राजनीतिक: भारत के प्रधानमंत्री और रूस के राष्ट्रपति के बीच वार्षिक शिखर बैठक भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी में सर्वोच्च संस्थागत संवाद तंत्र है।
- आर्थिक: वर्ष 2019-2020 में भारत और रूस के बीच कुल 10.11 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ, जो कि क्षमता से काफी कम है। दोनों देशों ने वर्ष 2025 तक द्विपक्षीय व्यापार को 30 बिलियन डॉलर तक पहुँचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
- रक्षा और सुरक्षा: ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम, SU-30 एयरक्राफ्ट और T-90 टैंकों का भारत में उत्पादन, दोनों देशों के बीच बढ़ रहे रक्षा और सुरक्षा संबंधों का एक उदाहरण है।
- परमाणु ऊर्जा में सहयोग: कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (KKNPP) भारत में रूस के सहयोग से बनाया जा रहा है।
- अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग: गगनयान कार्यक्रम में सहयोग।
- समान बहुपक्षीय मंच
- ब्रिक्स
- रूस-भारत-चीन समूह (RIC)
- शंघाई सहयोग संगठन (SCO)
- सैन्य अभ्यास:
- अभ्यास- TSENTR
- इंद्र सैन्य अभ्यास- संयुक्त त्रि-सेवा (सेना, नौसेना, वायु सेना) अभ्यास
आगे की राह
- इंडो-पैसिफिक धारणा में रूस की संलग्नता: भारत को इंडो-पैसिफिक में रूस की संलग्नता को बढ़ाने पर विचार करना चाहिये।
- इस क्षेत्र में रूस की सक्रिय भागीदारी इंडो-पैसिफिक को सही मायनों में ‘स्वतंत्र और समावेशी’ बनाने में योगदान करेगी।
- भारतीय विदेश नीति में रूस-भारत-चीन समूह को प्राथमिकता: भारत रूस, चीन और भारत के बीच पारस्परिक लाभप्रद त्रिपक्षीय सहयोग को बढ़ावा दे सकता है, जो भारत एवं चीन के बीच अविश्वास और मतभेद को कम करने में योगदान कर सकता है।