विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
भारत 2022 तक 100 GW सौर ऊर्जा लक्ष्य तक नहीं पहुँच सकता: क्रिसिल रिपोर्ट
- 13 Aug 2018
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चर्चा में क्यों?
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा है कि वर्ष 2022 तक भारत 100 GW सौर ऊर्जा उत्पादन के अपने महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाएगा। एक रिपोर्ट में क्रिसिल की उद्योग अनुसंधान शाखा ने यह भी कहा है कि सबसे अच्छी स्थिति में देश 21.65 GW की वर्तमान क्षमता के मुकाबले 78-80 GW तक सौर ऊर्जा उत्पादन करने में सक्षम होगा।
प्रमुख बिंदु
- क्रिसिल को वित्तीय वर्ष 2019 और 2023 के बीच देश में अतिरिक्त 56-58 GW सौर ऊर्जा के उत्पादन की उम्मीद है।
- वर्ष 2014-18 के दौरान 20 GW सौर ऊर्जा में यह एक बड़ा सुधार है, लेकिन यह अभी भी पाँचवें स्थान के साथ राष्ट्रीय सौर मिशन के लक्ष्य से कम है।
- इसके अलावा राज्यों ने व्यक्तिगत रूप से संबंधित सौर नीतियों के तहत लक्ष्य निर्धारित किये हैं।
- हालाँकि, राज्य सरकार की परियोजनाएँ अच्छी तरह से वित्तपोषित नहीं हैं और उनके पास सस्ते वित्त पोषण की कमी है।
- चिंता का एक प्रमुख क्षेत्र रूफटॉप सोलर सेगमेंट है। इसके लिये सौर मिशन का लक्ष्य वर्ष 2022 तक वाणिज्यिक और औद्योगिक इकाइयों की छतों का उपयोग करके अपने लिये 40 GW शक्ति का उत्पादन करना और ग्रिड पर निर्भरता को कम करना है।
- क्रिसिल को उम्मीद है कि यह आँकड़ा वर्ष 2023 तक 8 GW सौर ऊर्जा उत्पादन से अधिक नहीं हो पाएगा, क्योंकि बिजली की लागत ग्रिड की तुलना में कहीं अधिक होने की उम्मीद है।
- उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि सुरक्षा शुल्क 15-20% तक पूंजीगत लागत बढ़ाएगा, जिससे नीलामी लगाने के लिये प्रति यूनिट 30 से 40 पैसे टैरिफ जोड़े जाएंगे ताकि डेवलपर्स अपने निवेश पर रिटर्न की समान दर बनाए रख सकें।
- गौरतलब है कि भारत ने मई 2017 में ₹ 2.44 प्रति यूनिट रिकॉर्ड कम सौर ऊर्जा शुल्क हासिल किया। जबकि जुलाई में SECI द्वारा आयोजित नीलामी में टैरिफ ने फिर से ₹ 2.44 प्रति यूनिट को छुआ।
- वहीं राज्य भी टैरिफ वृद्धि से जूझ रहे हैं। जुलाई की नीलामी में उत्तर प्रदेश द्वारा 1000 मेगावाट के लिये सबसे कम नीलामी ₹ 3.48 यूनिट लगाई थी किंतु बाद में इसे रद्द कर दिया गया।
- SECI ने जुलाई में 950 मेगावॉट की सौर निविदाएँ भी रद्द कर दीं दरअसल, यह डेवलपर्स द्वारा लगाए गए टैरिफ से नाखुश थे।
- आवश्यक रूप से सरकार को नीलामी मूल्य के नतीजे के साथ रहना चाहिये और इन परियोजनाओं को आगे बढाना चाहिये भले ही टैरिफ ज़्यादा हो क्योंकि यदि नीलामियों को रोक दिया जाता है तो समग्र कार्यक्रम में और देरी होगी।
- अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता देश है और इसके लिये महत्त्वाकांक्षी अक्षय ऊर्जा कार्यक्रम को बढ़ावा देना ही सही विकल्प है।