अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-जर्मनी
- 04 Nov 2019
- 7 min read
प्रीलिम्स के लिये:
प्रमुख समझौते और जर्मनी की भौगोलिक स्थिति
मेन्स के लिये:
भारत-जर्मनी संबंधों के विभिन्न आयाम
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने भारत की यात्रा की, साथ ही भारत के प्रधानमंत्री के साथ 5वें भारत-जर्मन अंतर सरकारी परामर्श (Inter-Governmental Consultation) की सह-अध्यक्षता भी की।
महत्त्वपूर्ण समझौते:
वार्ता के दौरान भारत-जर्मनी के बीच 17 समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और जर्मन एयरोस्पेस सेंटर (German Aerospace Centre) के बीच सहयोग।
- नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में सहयोग।
- अंतर्राष्ट्रीय स्मार्ट शहरों के नेटवर्क के क्षेत्र में सहयोग।
- कौशल विकास, व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में सहयोग।
- स्टार्ट-अप के क्षेत्र में आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर समझौता।
- कृषि बाज़ार विकास के संबंध में द्विपक्षीय सहयोग परियोजना की शुरुआत।
- व्यावसायिक रोगों (Occupational Diseases), दिव्यांग व्यक्तियों और उनके पूनार्वासन (Re-habilitation) एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में समझौता।
- अंतर्देशीय, तटीय और समुद्री प्रौद्योगिकी में सहयोग के लिए समझौता।
- वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने के लिये समझौता।
- आयुर्वेद और योग के क्षेत्र में अकादमिक सहयोग की स्थापना पर समझौता।
- भारत और जर्मनी के बीच उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग (Cooperation) पर समझौता।
- उच्च शिक्षा में भारत-जर्मन भागीदारी के विस्तार (Extension) पर समझौता।
- कृषि तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता।
- सतत् विकास के क्रियान्वयन पर समझौता।
- नेशनल म्यूज़ियम, नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट और इंडियन म्यूज़ियम कोलकाता तथा जर्मनी के सांस्कृतिक संस्थानों के मध्य समझौता।
- अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ और जर्मनी के फुटबॉल संघ के बीच समझौता।
- भारत-जर्मनी प्रवासन और गतिशीलता साझेदारी समझौता ( Mobility Partnership Agreement)।
भारत-जर्मनी संबंधों के प्रमुख आयाम:
- आर्थिक संबंध:
- वार्ता के बाद दोनों देशों ने संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि भारत-जर्मनी, भारत और यूरोपीय-संघ के बीच मुक्त-व्यापार संबंधी ठप पड़ी वार्ता को आगे बढाएंगे।
- इसके अतिरिक्त भारत-यूरोपीय संघ के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश समझौते (BTIA) का भी प्रयास किया जाएगा।
- जर्मनी भारत का एक प्रमुख आर्थिक भागीदार है जहाँ से भारत में विभिन्न वस्तुओं जैसे- गारमेंट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेटल गुड्स, सिंथेटिक सामग्री का व्यापार होता है, साथ ही भारत में जर्मनी से बड़ी मात्रा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आता है।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद:
- भारत और जर्मनी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता हेतु अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।
- ज्ञातव्य है कि भारत और जर्मनी G-4 (भारत, जर्मनी, जापान, ब्राज़ील) देशों के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिये प्रयासरत हैं।
- आतंकवाद:
- भारत और जर्मनी ने आतंकवाद एवं उग्रवाद से निपटने के लिये द्विपक्षीय, बहुपक्षीय सहयोग को और आगे बढ़ाने में एक-दूसरे का समर्थन कर रहे हैं।
- दोनों देशों, फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (Financial Action Task Force- FATF) की बैठकों में समन्वय और इनके आदेशों के क्रियान्वयन में सहयोग हेतु प्रतिबद्धता व्यक्त करते रहे हैं।
- कृषि:
- भारत-जर्मनी के बीच कृषि में मशीनीकरण और फसल कटाई प्रबंधन जैसे मुद्दे पर सहायता से संबंधी समझौते पर विचार चल रहा है, इसके अतिरिक्त वर्ष 2022 तक भारत में कृषकों की आय दोगुना करने में भारत की हर-तरह से सहायता करने की बात कही।
- रक्षा:
- प्रधानमंत्री ने जर्मनी को उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में स्थित रक्षा गलियारों में रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में अवसरों का लाभ उठाने के लिये आमंत्रित किया।
अन्य क्षेत्र:
- ई-मोबिलिटी, स्मार्ट शहर, नदियों की सफाई और पर्यावरण संरक्षण में सहयोग की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 2022 तक नए भारत के निर्माण का संकल्प लिया है और इसमें जर्मनी जैसी प्रौद्योगिकी विशेषज्ञता और आर्थिक शक्तियाँ बेहद उपयोगी होगी।
भारत के दृष्टिकोण से जर्मनी का महत्त्व:
- राजनीतिक वार्ता में अंतराल के बावजूद दोनों देशों के बीच वाणिज्यिक संबंध मज़बूत हैं।
- भारत द्वारा वर्ष 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया है, इसके लिये भारत यूरोपीय संघ से मुक्त व्यापार समझौता करना चाहता है।
- जर्मनी अत्याधुनिक तकनीकी के क्षेत्र में विश्व का अव्वल देश है। भारत अभी भी कौशल, विकास और तकनीकी के क्षेत्र में काफी पीछे है।
- जर्मनी के साथ नए भू-सामरिक संबंधों से भारत-जर्मनी के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा इसके अतिरिक्त भारत को प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी क्षेत्र में बेहतर सहयोग प्राप्त होगा।