भारत के राष्ट्रीय ध्वज संबंधी नियम | 16 Aug 2021
प्रिलिम्स के लियेभारतीय ध्वज संबंधी विभिन्न नियम, भारतीय मानक ब्यूरो मेन्स के लियेभारतीय ध्वज संहिता, 2002 |
चर्चा में क्यों?
15 अगस्त, 2021 को भारत ने अपना 75वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाया और हर वर्ष की तरह इस बार भी भारतीय प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
प्रमुख बिंदु
भारतीय झंडे को अपनाने का इतिहास
- 1906:
- ध्यातव्य है कि पहला राष्ट्रीय ध्वज, जिसमें लाल, पीले और हरे रंग की तीन क्षैतिज पट्टियाँ शामिल थीं, 07 अगस्त, 1906 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में ‘लोअर सर्कुलर रोड’ के पास पारसी बागान स्क्वायर पर फहराया गया था।
- 1921:
- बाद में वर्ष 1921 में स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकय्या ने महात्मा गांधी से मुलाकात की और ध्वज के एक मूल डिज़ाइन का प्रस्ताव रखा, जिसमें दो लाल और हरे रंग के बैंड शामिल थे।
- 1931:
- कई बदलावों से गुज़रने के बाद वर्ष 1931 में कराची में काॅन्ग्रेस कमेटी की बैठक में तिरंगे को हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था।
- 1947:
- 22 जुलाई, 1947 को हुई संविधान सभा की बैठक के दौरान भारतीय ध्वज को उसके वर्तमान स्वरूप में अपनाया गया था।
भारतीय तिरंगे से संबंधित नियम
- प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग रोकथाम) अधिनियम, 1950:
- यह राष्ट्रीय ध्वज, सरकारी विभाग द्वारा उपयोग किये जाने वाले चिह्न, राष्ट्रपति या राज्यपाल की आधिकारिक मुहर, महात्मा गांधी और प्रधानमंत्री के चित्रमय निरूपण तथा अशोक चक्र के उपयोग को प्रतिबंधित करता है।
- राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971:
- यह राष्ट्रीय ध्वज, संविधान, राष्ट्रगान और भारतीय मानचित्र सहित देश के सभी राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान को प्रतिबंधित करता है।
- यदि कोई व्यक्ति अधिनियम के तहत निम्नलिखित अपराधों में दोषी ठहराया जाता है, तो वह 6 वर्ष की अवधि के लिये संसद एवं राज्य विधानमंडल के चुनाव लड़ने हेतु अयोग्य हो जाता है।
- राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करना।
- भारत के संविधान का अपमान करना।
- राष्ट्रगान के गायन को रोकना।
- भारतीय ध्वज संहिता, 2002:
- इसने ध्वज के सम्मान और उसकी गरिमा को बनाए रखते हुए तिरंगे के अप्रतिबंधित प्रदर्शन की अनुमति दी।
- ध्वज संहिता, ध्वज के सही प्रदर्शन को नियंत्रित करने वाले पूर्व मौजूदा नियमों को प्रतिस्थापित नहीं करता है।
- हालाँकि यह पिछले सभी कानूनों, परंपराओं और प्रथाओं को एक साथ लाने का एक प्रयास था।
- भारतीय ध्वज संहिता, 2002 को तीन भागों में बाँटा गया है:
- पहले भाग में राष्ट्रीय ध्वज का सामान्य विवरण है।
- दूसरे भाग में जनता, निजी संगठनों, शैक्षिक संस्थानों आदि के सदस्यों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन के विषय में बताया गया है।
- संहिता का तीसरा भाग केंद्र और राज्य सरकारों तथा उनके संगठनों और अभिकरणों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने के विषय में जानकारी देता है।
- इसमें उल्लेख है कि तिरंगे का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिये नहीं किया जा सकता है।
- इसके अलावा ध्वज का उपयोग उत्सव के रूप में या किसी भी प्रकार की सजावट के प्रयोजनों के लिये नहीं किया जाना चाहिये।
- आधिकारिक प्रदर्शन के लिये केवल भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित विनिर्देशों के अनुरूप और उनके चिह्न वाले झंडे का उपयोग किया जा सकता है।
- संविधान का भाग IV-A:
- संविधान का भाग IV-A (जिसमें केवल एक अनुच्छेद 51-A शामिल है) ग्यारह मौलिक कर्तव्यों को निर्दिष्ट करता है।
- अनुच्छेद 51 A (a) के अनुसार, भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों एवं संस्थानों, राष्ट्रीय ध्वज तथा राष्ट्रगान का सम्मान करे।