अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत और कनाडा व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते को फिर से शुरू करेंगे
- 12 Mar 2022
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प्रिलिम्स के लिये:अंतरिम व्यापार समझौता, मुक्त व्यापार समझौता। मेन्स के लिये:भारत-कनाडा मुक्त व्यापार समझौते का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और कनाडा ने व्यापार और निवेश पर पाँचवीं मंत्रिस्तरीय वार्ता (MDTI) आयोजित की, जहाँ मंत्रियों ने भारत-कनाडा व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) हेतु वार्ता को औपचारिक रूप से फिर से शुरू करने पर सहमति व्यक्त की और एक अंतरिम समझौते या प्रारंभिक प्रगतिशील व्यापार समझौते पर भी विचार किया।
- इससे पूर्व भारत और ऑस्ट्रेलिया ने घोषणा की थी कि वे मार्च 2022 में एक अंतरिम व्यापार समझौता और उसके 12-18 माह बाद एक व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (CECA) करने को तैयार हैं।
प्रमुख बिंदु
- अंतरिम समझौते में वस्तुओं, सेवाओं, उत्पत्ति के नियमों, स्वच्छता और फाइटोसैनिटरी उपायों, व्यापार हेतु तकनीकी बाधाओं और विवाद निपटान में उच्च स्तरीय प्रतिबद्धताएँ शामिल होंगी तथा पारस्परिक रूप से सहमत किसी भी अन्य क्षेत्रों को भी शामिल किया जा सकता है।
- दोनों पक्षों ने फार्मास्यूटिकल्स और महत्त्वपूर्ण एवं दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के साथ-साथ पर्यटन, शहरी बुनियादी ढाँचे, नवीकरणीय ऊर्जा एवं खनन जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर ज़ोर दिया।
- दोनों देश दालों में कीट जोखिम प्रबंधन के लिये कनाडा द्वारा लागू प्रणाली को मान्यता देने और भारतीय कृषि वस्तुओं जैसे- स्वीट कॉर्न, बेबी कॉर्न और केला आदि के लिये बाज़ार पहुँच के संबंध में गहन कार्य करने पर सहमत हुए।
- कनाडा भारतीय जैविक निर्यात उत्पादों की सुविधा के लिये APEDA (कृषि एवं और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) को ‘अनुरूपता सत्यापन निकाय’ (CVB) की मान्यता दिये जाने के अनुरोध की शीघ्र जाँच करने पर भी सहमत हुआ।
- CVB एक ऐसा संगठन के रूप में होता है, जिसने कनाडाई खाद्य निरीक्षण एजेंसी के साथ-साथ कनाडाई खाद्य निरीक्षण एजेंसी अधिनियम की उप-धारा 14(1) के तहत प्रमाणन निकायों का आकलन करने, मान्यता के लिये अनुशंसा और निगरानी करने के लिये एक समझौता किया है।
- मंत्रियों ने महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में लचीली आपूर्ति शृंखला स्थापित करने के महत्त्व को स्वीकार किया और इस क्षेत्र में सहयोग पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
अंतरिम व्यापार समझौता:
- किसी मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने से पहले दो देशों या व्यापारिक ब्लॉकों के बीच कुछ वस्तुओं के व्यापार पर टैरिफ को उदार बनाने हेतु एक अंतरिम व्यापार समझौता (Interim Trade Agreement- ITA) अथवा ‘अर्ली हार्वेस्ट ट्रेड एग्रीमेंट’ (Early Harvest Trade Agreement) का उपयोग किया जाता है।
- अंतरिम समझौते पर सरकार का ज़ोर रणनीतिक दृष्टिकोण से प्रेरित हो सकता है ताकि न्यूनतम प्रतिबद्धताओं के साथ एक बेहतर समझौता संपन्न किया जा सके और विवादास्पद मुद्दों को बाद में हल करने का अवसर हो।
- ‘अर्ली हार्वेस्ट ट्रेड एग्रीमेंट’ जो पूर्ण पैमाने पर FTA में नहीं होते हैं, इन्हें अन्य देशों से कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सदस्य हैं।
- पूरे सौदे पर एक साथ बातचीत करना अक्सर फायदेमंद होता है, क्योंकि ‘अर्ली हार्वेस्ट ट्रेड एग्रीमेंट’ एक पक्ष के लिये एफटीए की दिशा में काम करने हेतु प्रोत्साहन को कम कर सकता है।
व्यापक आर्थिक सहयोग तथा भागीदारी समझौता (CEPA):
- यह एक प्रकार का मुक्त व्यापार समझौता है जिसमें सेवाओं एवं निवेश के संबंध में व्यापार और आर्थिक साझेदारी के अन्य क्षेत्रों पर बातचीत करना शामिल है।
- यह व्यापार सुविधा और सीमा शुल्क सहयोग, प्रतिस्पर्द्धा तथा बौद्धिक संपदा अधिकारों जैसे क्षेत्रों पर बातचीत किये जाने पर भी विचार कर सकता है।
- साझेदारी या सहयोग समझौते मुक्त व्यापार समझौतों की तुलना में अधिक व्यापक हैं।
- CEPA व्यापार के नियामक पहलू को भी देखता है और नियामक मुद्दों को कवर करने वाले एक समझौते को शामिल करता है।
- भारत ने दक्षिण कोरिया और जापान के साथ CEPA पर हस्ताक्षर किये हैं।
कनाडा के साथ भारत के वर्तमान व्यापार संबंध:
- भारत, कनाडा का 11वांँ सबसे बड़ा निर्यात बाज़ार (Export Market) है और कुल मिलाकर 12वांँ सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार देश है।
- वर्ष 2020-21 में भारत द्वारा कनाडा को 2.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया गया, जबकि वर्ष 2019-20 में यह 2.85 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। वर्ष 2020-21 में भारत द्वारा कनाडा से 2.68 बिलियन अमेरिकी डाॅलर का आयात किया गया,जबकि वर्ष 2019-20 में यह 3.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- भारत में कनाडा की वाणिज्यिक प्राथमिकताएंँ भारत के नीतिगत उद्देश्यों और उन क्षेत्रों पर लक्षित हैं जहांँ कनाडा को तुलनात्मक लाभ प्राप्त है। इन प्राथमिकताओं में शामिल हैं:
- पारंपरिक और परमाणु ऊर्जा के निर्यात में वृद्धि के साथ-साथ स्वच्छ व नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी के माध्यम से भारत की ऊर्जा सुरक्षा महत्त्वाकांक्षाओं का समर्थन करना।
- वित्तपोषण, उपकरण, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग सेवाओं के प्रावधान के माध्यम से भारत को इसकी पर्याप्त शहरी एवं परिवहन बुनियादी ढांँचे की ज़रूरतों को पूरा करने में मदद करना।
- कनाडा और भारतीय शैक्षिक एवं तकनीकी कौशल संस्थानों के बीच अधिक सहयोग के माध्यम से उन्नत शिक्षा व कौशल प्रशिक्षण।
- सूचना और संचार प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये वाणिज्यिक अनुसंधान एवं विकास।
- भारत की खाद्य सुरक्षा ज़रूरतों को पूरा करने हेतु खाद्य उत्पादों और उर्वरकों के निर्यात में वृद्धि।