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भारतीय अर्थव्यवस्था

वैश्विक चिप की कमी पर रूसी आक्रमण का प्रभाव

  • 03 Mar 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

चालक, अर्द्धचालक, इंसुलेटर, अर्द्धचालक का उपयोग, अर्द्धचालक के उदाहरण।

मेन्स के लिये:

अर्द्धचालक संकट का कारण, इसका प्रभाव और संभावित समाधान।

चर्चा में क्यों?

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष से वैश्विक चिप की कमी का संकट बढ़ता जा रहा है।

  • इससे पहले यह पूर्वानुमान लगाया गया था कि चिप की कमी कम-से-कम वर्ष 2023 तक बढ़ेगी।
  • यह पूर्वानुमान महामारी के प्रभाव पर आधारित था जो हमारे द्वारा प्रतिदिन उपयोग किये जाने वाले अधिकांश गैजेट्स के लिये एक जीवन रेखा बन गई है।
  • सेंसर के दोहरे अंकों की वृद्धि और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, ऑटोमोटिव सेफ्टी तथा इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) के हालिया रुझानों से प्रेरित होकर वैश्विक अर्द्धचालक बाज़ार 8.8% बढ़कर 601 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है, जिससे अर्द्धचालकों की मांग में वृद्धि हो सकती है।

चिप में कमी की शुरुआत:

  • घर पर रहने के नियमों ने भी कई लोगों को कंसोल-आधारित गेमिंग के लिये प्रेरित किया।
  • महामारी के दौरान वाहन के निर्माण में कटौती करने वाले वाहन निर्माता कंपनी इस बात को कम करके आँकते हैं कि कार की बिक्री कितनी जल्दी प्रतिकूल हो जाएगी। वाहन निर्माताओं ने वर्ष 2020 के अंत में फिर से ऑर्डर देने में जल्दीबाजी की क्योंकि चिप मेकर्स कंप्यूटिंग और स्मार्टफोन की आपूर्ति में लगे हुए थे।
    • जबकि बड़े वफ़र का उपयोग ज़्यादातर उन्नत उपकरणों के लिये किया जाता है, जिन उपकरणों की उच्च मांग थी उन्हें छोटे भंडार की आवश्यकता थी।
    • लेकिन उन्हें बनाने के लिये आवश्यक निर्माण उपकरण की आपूर्ति महामारी शुरू होने से पहले ही कम थी। ऐसा इसलिये है क्योंकि उद्योग 5G की दिशा में आगे बढ़ रहा था जिसके लिये अधिक आपूर्ति की आवश्यकता थी।
  • कम उत्पादों की उच्च उपभोक्ता मांग, टेक फर्मों के बड़े ऑर्डर के साथ ही चिप निर्माताओं को रोक दिया गया, जिनकी फैक्ट्रियाँ भी लॉकडाउन के दौरान बंद थीं।
    • जैसे-जैसे उद्योग ने धीरे-धीरे आपूर्ति की कमी से स्वयं को बाहर निकालने की कोशिश की, रसद संबंधी जटिलताओं ने समस्या को और बढ़ा दिया।
    • और फिर दुनिया भर में कंटेनरों को ले जाने की लागत ने अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और ऑटोमोबाइल में उपयोग किये जाने वाले मुख्य घटक की कीमत बढ़ा दी।

रूसी आक्रमण चिप की कमी को क्यों प्रभावित कर रहा है?

  • यूक्रेन सेमीकंडक्टर फैब लेज़रों का उत्पादन करने के लिये उपयोग की जाने वाली दुर्लभ गैसों की आपूर्ति करता है और रूस अर्द्धचालक बनाने के लिये पैलेडियम जैसी दुर्लभ धातुओं का निर्यात करता है।
    • चिपसेट बनाने के लिये इन दोनों के संयोजन की आवश्यकता होती है, जो ऑटोमोबाइल से लेकर स्मार्टफोन तक कई प्रकार के उपकरणों में प्रयोग किया जाता है।
  • रूस और दक्षिण अफ्रीका पैलेडियम के दो सबसे बड़े उत्पादक हैं। वर्ष 2021 में रूस ने 2.35 मिलियन औंस (66 मिलियन ग्राम) पैलेडियम की आपूर्ति की थी।
  • पैलेडियम  बाज़ार आपूर्ति के बिना गंभीर घाटे में चला जाएगा, जिससे कीमत बढ़ जाएगी।
    • यद्यपि प्लेटिनम और रोडियम को पैलेडियम के लिये प्रतिस्थापित किया जा सकता है, रूस अन्य प्लेटिनम समूह धातुओं का भी एक प्रमुख उत्पादक है।
  • जैसे-जैसे यूक्रेन में रूस का आक्रमण बढ़ता जा रहा है, कई देश पश्चिमी प्रतिबंधों की चपेट में आ रहे हैं, जो देश के निर्यात को बाधित कर सकता है, जिससे सेमीकंडक्टर फर्मों को चिप सेट बनाने के लिये कच्चे माल के स्रोत के कम विकल्प मिलेंगे।

पैलेडियम और इसके उपयोग

  • पैलेडियम का उपयोग प्रायः विभिन्न उपकरणों को बनाने में सोने के विकल्प के रूप में किया जाता है क्योंकि यह धातु अत्यधिक लचीली है और जंग-प्रतिरोधी है।
  • इस दुर्लभ धातु को सोने की तुलना में नरम माना जाता है, लेकिन फिर भी यह सोने की तुलना में बहुत मज़बूत और टिकाऊ होती है।
  • पैलेडियम का यह गुण इसके प्रभाव से अधिक सुरक्षा और डेंटिंग के लिये अधिक प्रतिरोध प्रदान करता है। इसलिये ऑटोमोबाइल निर्माता, इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माता और बायोमेडिकल डिवाइस निर्माता इस धातु को पसंद करते हैं।
  • पैलेडियम का उपयोग लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जाता है और यह धातु चिपसेट और सर्किट बोर्ड बनाने की कुंजी है। इसका उपयोग ‘मल्टी-लेयर सिरेमिक कैपेसिटर’ (एमएलसीसी) बनाने के लिये किया जाता है, जो स्मार्टफोन स्क्रीन, स्टीरियो सिस्टम और पावर सर्किट ब्रेकर बनाने के लिये महत्त्वपूर्ण है।

व्यवसाय और सरकारें इन परिवर्तनों को कैसे अपना रही हैं?

  • व्यवसाय अपनी ऑफशोरिंग योजनाओं को उलट रहे हैं। वे वैश्विक आपूर्ति शृंखला व्यवधानों से बचाव के विकल्प के रूप में 'रीशोरिंग' पर विचार कर रहे हैं।
    • रीशोरिंग, जिसे ऑनशोरिंग के रूप में भी जाना जाता है, ऑफशोरिंग के विपरीत है और इसमें कंपनी के मूल देश में माल के उत्पादन और निर्माण की वापसी शामिल है।
  • इंटेल ने फरवरी, 2022 में ओहायो (यूएस) राज्य में दो नई चिप निर्माण सुविधाओं के लिये 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर की घोषणा की है। कंपनी की योजना अगले दशक में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करने तथा राज्य में आठ और फैब कारखानों का निर्माण करने की है।
    • इंटेल उन कुछ कंपनियों में से एक है जो अपने खुद के चिपसेट डिज़ाइन बनाती है।
  • इसका दूसरा दृष्टिकोण अर्द्ध कारखानों के निर्माण संबंधी सुविधाओं को स्थापित करने हेतु व्यवसायों के अनुकूल वातावरण प्रदान करने के लिये सरकारी समर्थन है।
  • अमेरिकी सरकार CHIPS अधिनियम पारित करना चाह रही है, एक ऐसा कानून जो सेमीकंडक्टर फर्मों को देश में चिप निर्माण को आगे बढ़ाने के लिये 52 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सब्सिडी प्रदान करेगा।

सेमीकंडक्टर चिप:

  • यह एक विद्युत परिपथ है जिसमें अर्द्धचालक वेफर पर बने ट्रांज़िस्टर और वायरिंग जैसे कई घटक शामिल होते हैं। कई घटकों से युक्त इस इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को इंटीग्रेटेड सर्किट (Integrated Circuit- IC) कहा जाता है जिसका उपयोग कंप्यूटर, स्मार्टफोन, उपकरण, गेमिंग हार्डवेयर और चिकित्सा उपकरण जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जा सकता है।
  • इन उपकरणों को लगभग सभी उद्योगों में और विशेष रूप से ऑटोमोबाइल उद्योग में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
    • सेमीकंडक्टर ऐसी सामग्री होती है जिसमें कंडक्टर और इंसुलेटर के बीच चालकता होती है तथा इसमें सिलिकॉन या जर्मेनियम या गैलियम, आर्सेनाइड या कैडमियम सेलेनाइड के यौगिकों का प्रयोग होता है।

भारत की सेमीकंडक्टर मांग और संबंधित पहल:

  • भारत वर्तमान में सभी चिप्स का आयात करता है और वर्ष 2025 तक भारतीय बाज़ार 24 अरब डॉलर से 100 अरब डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
  • हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक 'सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र' के विकास का समर्थन करने हेतु 76,000 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं।
    • यद्यपि यह कदम काफी देरी से लिया गया है, किंतु यह आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिये एकीकृत सर्किट या चिप्स के रणनीतिक महत्त्व को देखते हुए एक स्वागत योग्य कदम है।
  • भारत ने ‘इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स और सेमीकंडक्टर्स’ (SPECS) के निर्माण को बढ़ावा देने के लिये योजना भी शुरू की है, जिसके तहत इलेक्ट्रॉनिक्स घटकों और सेमीकंडक्टर के निर्माण के लिये आठ वर्ष की अवधि में 3,285 करोड़ रुपए का बजट परिव्यय शामिल है।

स्रोत: द हिंदू

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