हेपेटाइटिस-बी | 11 Sep 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और थाईलैंड विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में सफलतापूर्वक हेपेटाइटिस-बी (Hepatitis-B) को नियंत्रित करने वाले पहले देश बन गए हैं।
प्रमुख बिंदु
- यदि पाँच साल से कम आयु के बच्चों में हेपेटाइटिस-बी का प्रसार 1% से कम हो तो वायरस को नियंत्रित माना जाता है।
- वर्ष 2002 में यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (Universal Immunisation Programme -UIP) के अंतर्गत हेपेटाइटिस-बी का टीका लगाने और वर्ष 2011 में देश भर में स्केलिंग-अप करने के बाद भी भारत में लगभग 10 लाख लोग प्रतिवर्ष वायरस से संक्रमित होते हैं।
- कम उम्र में हेपेटाइटिस-बी का संक्रमण होने की स्थिति में लीवर सिरोसिस या लीवर कैंसर का खतरा होता है।
- शिशु के जन्म के 24 घंटों के अंदर दी जाने वाली हेपेटाइटिस-बी वैक्सीन माँ से बच्चे में वायरस के उर्ध्व संचरण (Vertical Transmission) को रोकने में मदद करती है।
- भारत में उर्ध्व संचरण के कारण हेपेटाइटिस-बी से संक्रमित 70%-80% शिशु वायरस के स्थायी वाहक बन जाते हैं।
- हालाँकि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) ने वर्ष 2008 में जन्म के समय खुराक दिये जाने को मंज़ूरी दी थी। लेकिन वर्ष 2019 के स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, इसकी कवरेज़ वर्ष 2015 में 45% और वर्ष 2016 में 60% रही।
- कम कवरेज़ का कारण:
- इसकी एक शीशी 10-खुराक वाली होती है जिसका प्रयोग किया जाना होता है लेकिन वैक्सीन (Vaccine) के व्यर्थ जाने के भय से इसका प्रयोग नहीं किया जाता है।
- अधिकाँश स्वास्थ्य कर्मचारियों में WHO की वैक्सीन की खुली हुई शीशी के प्रयोग की नीति के बारे में अनभिज्ञता है।
- यह नीति वैक्सीन की खुली हुई शीशी को निश्चित दशा में 28 दिन तक रखने का समर्थन करती है, ताकि यह दूसरे अन्य शिशुओं को दी जा सके।
हेपेटाइटिस-बी (Hepatitis-B)
- यह एक वायरल संक्रमण (Viral Infection) है जो लीवर की बीमारी का कारण बन सकता है।
- यह वायरस जन्म और प्रसव के दौरान माँ से बच्चे में तथा रक्त या शरीर के अन्य तरल पदार्थों के संपर्क में आने के कारण फैलता है।
- यह लीवर कैंसर का प्राथमिक कारण है।
- वैक्सीन द्वारा हेपेटाइटिस-बी की रोकाथाम की जा सकती है जो कि एक सुरक्षित और प्रभावी उपाय हैं।