भारतीय नदियाँ तथा भारी धातु संदूषण | 12 Dec 2019

प्रीलिम्स के लिये:

भारतीय मानक ब्यूरो

मेन्स के लिये:

भारतीय नदियों में भारी धातु संदूषण

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय जल आयोग (Central Water Commission- CWC) द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, भारत की प्रमुख नदियों में भारी धातुओं द्वारा संदूषण की स्थिति देखी गई है।

मुख्य बिंदु:

  • भारत की कई प्रमुख नदियों में स्थित जल गुणवत्ता केंद्रों से एकत्रित किये गए दो-तिहाई जल के नमूनों में भारी धातुओं की उपस्थिति मिली है, जिनकी मात्रा भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards- BIS) द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से अधिक है।
  • ये निष्कर्ष मई 2014 से अप्रैल 2018 तक केंद्रीय जल आयोग द्वारा किये गए एक नदी जल परीक्षण के तीसरे संस्करण से संबंधित रिपोर्ट का हिस्सा हैं।

रिपोर्ट से संबंधित प्रमुख बिंदु:

  • इस परीक्षण में केवल एक-तिहाई जल गुणवत्ता केंद्रों से प्राप्त जल के नमूने ही सुरक्षित थे बाकी लगभग 65% (287) जल के नमूनों को भारी धातुओं से संदूषित पाया गया।
  • 101 जल गुणवत्ता केंद्रों से प्राप्त जल के नमूनों में दो भारी धातुओं की उपस्थित पाई गई, वहीं 6 जल गुणवत्ता केंद्रों से प्राप्त जल के नमूनों में तीन भारी धातुओं की उपस्थिति पाई गई।
  • 156 जल गुणवत्ता केंद्रों से प्राप्त जल के नमूनों में सुरक्षित सीमा से अधिक पाई गई धातुओं में सर्वाधिक मात्रा लौह धातु की थी।
  • इस परीक्षण के दौरान लिये गए जल के नमूनों में लौह के अलावा लेड (Lead), निकिल (Nickel), क्रोमियम (Chromium), कैडमियम (Cadmium) तथा कॉपर (Copper) संदूषक का भी पता चला।
  • गैर-मानसून अवधि में सीसा, कैडमियम, निकिल, क्रोमियम और तांबे के कारण अधिक संदूषण पाया गया, जबकि मानसून की अधिकांश अवधि में लोहा, सीसा, क्रोमियम और तांबा द्वारा अधिक संदूषण पाया गया।
  • आर्सेनिक और जस्ता ऐसी दो विषाक्त धातुएँ थीं जिनकी सांद्रता अध्ययन की अवधि में हमेशा सुरक्षित सीमा के अंदर पाई गई।
  • आर्सेनिक संदूषण एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा है यह भूजल को अधिक प्रभावित करता है परंतु केंद्रीय जल आयोग द्वारा किया गया परीक्षण सतही जल तक ही सीमित था।
  • इस परीक्षण में सभी नदियों से समान रूप से नमूने नहीं लिये गए। कई नदियों से केवल एक ही स्थान से नमूने एकत्रित किये गए जबकि गंगा, यमुना और गोदावरी जैसी प्रमुख नदियों से कई स्थानों से नमूने एकत्रित किये गए।
  • मौसम के आधार पर भी संदूषण के स्तर में काफी भिन्ना पाई गई। उदाहरण के लिये मानसून के दौरान गंगा में लोहे द्वारा संदूषण लगातार बना रहा लेकिन गैर-मानसून अवधि के दौरान इसमें काफी गिरावट आई।
  • इस परीक्षण के लिये मानसून-पूर्व, मानसून तथा उत्तर-मानसून अवधि में नमूने एकत्रित किये गए।

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संदूषित जल के प्रभाव:

  • हालाँकि पीने योग्य जल में कुछ मात्रा में धातुओं की उपस्थिति अच्छे स्वास्थ्य के लिये आवश्यक है परंतु जब जल में इन धातुओं की मात्रा सुरक्षित सीमा से ऊपर पहुँच जाती है तो यह विभिन्न शारीरिक विकारों का कारण बनती है।
  • एक लंबी अवधि तक भारी धातुयुक्त जल पीने के परिणामस्वरूप अल्ज़ाइमर (Alzheimer), पार्किंसन (Parkinson) रोग से ग्रसित होने का खतरा बढ़ने के साथ-साथ शारीरिक, मांसपेशीय, और तंत्रिका संबंधी अपक्षयी प्रक्रियाओं में भी धीरे-धीरे वृद्धि हो सकती है।

जल के भारी धातु से संदूषित होने के कारण:

  • नदी जल के भारी धातु से संदूषित होने का मुख्य कारण खनन, कबाड़ उद्योग तथा धातु सतह परिष्करण उद्योग हैं जो पर्यावरण में विभिन्न प्रकार की ज़हरीली धातुओं को मुक्त करते हैं।
  • इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ दशकों में नदी के पानी और तलछटों में भी इन भारी धातुओं की सांद्रता तेज़ी से बढ़ी है।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, नदी जल संदूषण का प्रमुख कारण जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ कृषि तथा औद्योगिक गतिविधियों में वृद्धि है।

केंद्रीय जल आयोग

(Central Water Commission- CWC):

  • केंद्रीय जल आयोग जल संसाधन के क्षेत्र में भारत का एक प्रमुख तकनीकी संगठन है और वर्तमान में यह जल शक्ति मंत्रालय के अधीन कार्य कर रहा है।
  • केंद्रीय जल आयोग (तत्कालीन केंद्रीय जलमार्ग, सिंचाई एवं नौसंचालन आयोग- Central Waterways, Irrigation and Navigation Commission-CWINC) की स्थापना वायसराय की कार्यकारी परिषद में श्रम सदस्य डॉ. बी.आर. अंबेडकर की सलाह पर वर्ष 1945 में हुई थी।
  • डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने न सिर्फ इस निकाय की अवधारणा और आवश्यकता पर बल दिया बल्कि इसके उद्देश्यों, संगठनात्मक संरचना और इसके कार्यक्रमों को भी निर्धारित किया।
  • CWINC की स्थापना का अंतिम प्रस्ताव सिंचाई विभाग के परामर्शदाता इंजीनियर राय बहादुर ए.एन. खोसला द्वारा तैयार किया गया था।
  • डॉ. ए.एन. खोसला को CWINC के संस्थापक अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।

स्रोत- द हिंदू