एचआईवी/एड्स अधिनियम, 2017 को लागू करने हेतु अधिसूचना जारी | 12 Sep 2018
चर्चा में क्यों?
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने ह्यूमन इम्यूनो डेफिसीएंसी वायरस तथा एक्वायर्ड इम्यून डेफिसीएंसी सिंड्रोम (निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 2017 को 10 सितंबर, 2018 से लागू करने के लिये अधिसूचना जारी की है।
अधिनियम का उद्देश्य
- इस अधिनियम का उद्देश्य एचआईवी के शिकार और इससे प्रभावित लोगों को सुरक्षा प्रदान करना है।
- इस अधिनियम के प्रावधानों में एचआईवी से संबंधित भेदभाव, कानूनी दायित्त्व को शामिल करके वर्तमान कार्यक्रम को मज़बूत बनाना तथा शिकायतों और शिकायत निवारण के लिये औपचारिक व्यवस्था करना है।
- इस अधिनियम का उद्देश्य एचआईवी तथा एड्स का निवारण और नियंत्रण, एचआईवी तथा एड्स के शिकार व्यक्तियों के साथ भेदभाव का निषेध है।
प्रमुख बिंदु
- इस अधिनियम में रोज़गार और स्वास्थ्य सेवा की प्राप्ति के लिये पूर्व शर्त के रूप में एचआईवी परीक्षण का निषेध किया गया है।
- 18 वर्ष से कम आयु के एचआईवी के शिकार और प्रभावित प्रत्येक व्यक्ति को घर में साझा रूप से रहने तथा घरेलू की सुविधाएँ लेने का अधिकार है।
- इस अधिनियम में एचआईवी पॉज़िटिव व्यक्तियों के साथ भेदभाव के विभिन्न आधारों की सूची दी गई है जिनके आधार पर भेदभाव का निषेध किया गया है। इनमें शामिल हैं - (i) रोजगार, (ii) शिक्षण संस्थान, (iii) स्वास्थ्य सेवाएँ, (iv) आवास या संपत्ति किराए पर देना (v) सावर्जनिक और निजी पद के लिये उम्मीदवारी (vi) बीमा प्रावधान से संबंधित इनकार, समाप्ति, अनिरंतरता और अनुचित व्यवहार।
- नोट: मिशन 2030 वर्ष 2016 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की एक उच्च स्तरीय सभा में भारत ने एचआईवी/एड्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये खतरे के रूप में प्रस्तुत करते हुए अगले पाँच सालों में इसके संबंध में तेज़ गति से कार्यवाही करने और वर्ष 2030 तक इस महामारी को समाप्त करने का वचन दिया है।
- इस अधिनियम में एचआईवी पॉज़िटिव लोगों के बारे में गलत सूचना और घृणा भाव फैलाने के लिये किसी व्यक्ति द्वारा इस संबंध में किसी प्रकार के प्रकाशन पर निषेध है।
- इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, 12 से 18 वर्ष के बीच की आयु के व्यक्ति में एचआईवी या एड्स से प्रभावित परिवार के कार्यों को समझने और उनका प्रबंधन करने के लिये पर्याप्त परिपक्वता होती है और ऐसा व्यक्ति शिक्षण संस्थान में नामांकन, बैंक खाता प्रबंधन, संपत्ति प्रबंधन, चिकित्सा और स्वास्थ्य से संबंधित मामलों में 18 वर्ष से कम आयु के अपने भाई-बहन के अभिभावक के रूप में कार्य करने के लिये सक्षम होगा।
- इसके अलावा इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, राज्य की देख-रेख में रह रहे प्रत्येक व्यक्ति को एचआईवी निवारण, परीक्षण, इलाज और परामर्श सेवा का अधिकार होगा।