ग्रेट बैरियर रीफ: आईपीसीसी | 07 Mar 2022
प्रिलिम्स के लिये:ग्रेट बैरियर रीफ, इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज। मेन्स के लिये:कोरल रीफ का महत्त्व और इसकी रक्षा हेतु पहल, संरक्षण। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रेट बैरियर रीफ संकट में है और जलवायु परिवर्तन के कारण गंभीर रूप से प्रभावित है।
- रिपोर्ट वर्ष 2016 से 2020 तक पिछले तीन सामूहिक विरंजन (Bleaching) घटनाओं की ओर इशारा करती है, जिसके तहत महत्त्वपूर्ण प्रवालों की हानि हुई है तथा जानकारी दी गई है कि कुछ प्रवाल प्रजातियों की "सामूहिक मृत्यु" भी हुई है।
- ग्रेट बैरियर रीफ दुनिया का सबसे बड़ा प्रवाल भित्ति क्षेत्र है जो उत्तरपूर्वी ऑस्ट्रेलिया से दूर प्रशांत महासागर में स्थित है।
रिपोर्ट के निष्कर्ष:
- समुद्र के पानी का लगातार गर्म होना प्रवाल विरंजन का कारण है।
- वर्ष 2016 की प्रवाल विरंजन (Bleaching) घटना के कारण 90% से अधिक कोरल रीफ प्रभावित हुए हैं और विरंजन की इस घटना ने रीफ सिस्टम के उत्तरी एवं मध्य भाग को अत्यधिक खराब स्थिति में डाल दिया है।
- भले ही वैश्विक समुदाय पूर्व-औद्योगिक समय के बाद से भविष्य में वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ले, फिर भी यह बड़े पैमाने पर विरंजन की घटनाओं को रोकने के लिये पर्याप्त नहीं होगा, हालाँकि यह उन घटनाओं को कम कर सकता है।
- महासागर का गर्म होना और मरीन हीट वेव्स उष्णकटिबंधीय उथले प्रवाल भित्तियों के नुकसान और क्षरण का कारण बनेगा, जिससे प्रवाल भित्ति पारिस्थितिकी तंत्र का "व्यापक विनाश" होगा।
- यदि विरंजन की घटना जारी रहती है, तो IPCC का अनुमान है कि अकेले पर्यटन में गिरावट से प्रतिवर्ष 10,000 नौकरियों तथा 1 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर के राजस्व का नुकसान होगा।
- दुनिया भर में लगभग एक अरब लोग अपने दैनिक जीवन के लिये प्रवाल भित्तियों पर निर्भर हैं, यही वजह है कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को तत्काल कम करने में विफलता मानवता के लिये विनाशकारी प्रभाव डाल सकती है।
- रीफ के अलावा जलवायु परिवर्तन के चलते ऑस्ट्रेलिया में गर्मी के कारण होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि, कुछ जानवरों की प्रजातियों का विलुप्त होना और जंगल की आग की अधिक घटनाएँ देखी जाएँगी।
- बढ़ते सूखे और तापमान के कारण कोआला की स्थानीय आबादी के विलुप्त होने का खतरा है।
- तथा हाल ही में बढ़ता समुद्री स्तर और तूफानी लहरें ब्रैम्बल के मेलोमिस (Bramble Cay Melomys) नामक एक कृंतक प्रजाति (Rodent Species) के विलुप्त होने का कारण बना, जो ग्रेट बैरियर रीफ के उत्तरी भाग में एक दूरस्थ खाड़ी पर पाया जाता था।
- वर्ष 2019 के अंत और वर्ष 2020 की शुरुआत में ब्लैक समर फायर (Black Summer Fires) ने कम-से-कम 33 लोगों की जान ली और 3,000 से अधिक घरों को नष्ट कर दिया।
- यहांँ तक कि ऑस्ट्रेलिया के प्रसिद्ध नीलगिरि के पेड़, जो देश की मौसमी आग हेतु स्वाभाविक रूप से सुभेद्य हैं, पूर्वानुमानित अग्नि की तीव्रता और आवृत्ति का सामना करने में सक्षम नहीं है, जिससे जंगलों का विनाश हो सकता है।
- रिपोर्ट में जलवायु अनुकूलन रणनीतियों की व्यापक सूची भी प्रदान की गई है, जैसे- भवन मानकों में सुधार करना ताकि संभावित घातक गर्मी की लहरों के दौरान घर ठंडे रहें।
विगत वर्षों के प्रश्नवैज्ञानिक दृष्टिकोण यह है कि विश्व तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2C से अधिक नहीं बढ़ना चाहिये। यदि विश्व तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 3C के परे बढ़ जाता है, तो विश्व पर उसका संभावित असर क्या होगा? 1- स्थलीय जीवमंडल एक नेट कार्बन स्रोत की ओर प्रवृत्त होगा। नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) |
ग्रेट बैरियर रीफ:
- यह विश्व का सबसे व्यापक और समृद्ध प्रवाल भित्ति पारिस्थितिकी तंत्र है, जो कि 2,900 से अधिक भित्तियों और 900 से अधिक द्वीपों से मिलकर बना है।
- यह ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड के उत्तर-पूर्वी तट पर 1400 मील तक फैला हुआ है।
- इसे बाह्य अंतरिक्ष से देखा जा सकता है और यह जीवों द्वारा बनाई गई विश्व की सबसे बड़ी एकल संरचना है।
- यह समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र अरबों छोटे जीवों से मिलकर बना है, जिन्हें प्रवाल पॉलिप्स के रूप में जाना जाता है।
- ये समुद्री पौधों की विशेषताओं को प्रदर्शित करने वाले सूक्ष्म जीव होते हैं, जो कि समूह में रहते हैं। चूना पत्थर (कैल्शियम कार्बोनेट) से निर्मित इसका निचला हिस्सा (जिसे कैलिकल्स भी कहते हैं) काफी कठोर होता है, जो कि प्रवाल भित्तियों की संरचना का निर्माण करता है।
- इन प्रवाल पॉलिप्स में सूक्ष्म शैवाल पाए जाते हैं जिन्हें जूजैंथिली (Zooxanthellae) कहा जाता है जो उनके ऊतकों के भीतर रहते हैं।
- इसे वर्ष 1981 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में चुना गया था।
‘कोरल’ की सुरक्षा से संबंधित पहलें:
- इस मुद्दे के समाधान के लिये कई वैश्विक पहलें की जा रही हैं, जिसमें:
- अंतर्राष्ट्रीय कोरल रीफ पहल
- ग्लोबल कोरल रीफ मॉनीटरिंग नेटवर्क (GCRMN)
- ग्लोबल कोरल रीफ एलायंस (GCRA)
- ग्लोबल कोरल रीफ आर-एंड-डी एक्सेलेरेटर प्लेटफार्म
- इसी प्रकार पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) ने तटीय क्षेत्र अध्ययन (CZS) के तहत प्रवाल भित्तियों पर अध्ययन को शामिल किया है।
- भारत में भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (ZSI), गुजरात के वन विभाग की मदद से "बायोरॉक" या खनिज अभिवृद्धि तकनीक का उपयोग करके प्रवाल भित्तियों को पुनर्स्थापित करने की प्रक्रिया का प्रयास कर रहा है।
- देश में प्रवाल भित्तियों की रक्षा एवं उन्हें बनाए रखने के लिये राष्ट्रीय तटीय मिशन कार्यक्रम।
विगत वर्षों के प्रश्ननिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
उत्तर: D |