अंतर्राष्ट्रीय संबंध
सरकार ने पूंजीगत लाभ कर संबंधी नियमों को सरल किया
- 04 Apr 2017
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संदर्भ
गौरतलब है कि वैसी स्थिति में जब शेयरों की खरीद के समय सुरक्षा लेनदेन कर (securities transaction tax - STT) का भुगतान नहीं किया जाता है, वास्तविक लेनदेन कर्त्ताओं को राहत पहुँचाने के उद्देश्य से सरकार ने वित्त अधिनियम (Finance Act), 2017 में प्रस्तावित पूंजी लाभ कर संबंधी प्रावधानों को इस क्षेत्र के दायरे से बाहर रखने का निर्णय किया है|
निणर्य के कुछ प्रमुख बिंदु
- ध्यातव्य है कि उक्त सन्दर्भ में सीबीडीटी (Central Board of Direct Taxes - CBDT) द्वारा तीन परिदृश्यों के विषय में प्रस्ताव पेश किया गया था| जिनके माध्यम से पूंजीगत लाभ कर को अधिरोपित करने के साथ-साथ दूसरे अन्य लेनदेनों को इस दायरे से बाहर रखने संबंधी प्रस्तावों को शामिल किया गया|
- स्पष्ट है कि सीबीडीटी द्वारा पेश किये गए इन प्रस्तावों के अंतर्गत सबसे महत्त्वपूर्ण एवं प्रंशसनीय बात यह रही कि इनमें न्यूनतम लाभ के लिये पूंजी लाभ कर को न्यूनतम स्तर पर रखा गया| वस्तुतः जिसका परिणाम यह होगा कि सीबीडीटी का निर्णय निवेशकों को राहत पहुँचाने के साथ-साथ इस क्षेत्र में निवेश करने के उनके फैसले के संबंध में किसी भी प्रकार के डर को दूर करने का काम करेगा|
- उल्लेखनीय है कि इस निर्णय के संदर्भ में सरकार की मंशा अघोषित बेहिसाब आय को नकली लेनदेन के रूप में दर्शा कर दीर्घावधि पूंजीगत लाभ के रूप में छूट प्राप्त करने वाले पर नकेल कसना अर्थात उनके संबंध में कार्यवाही करना है|
उक्त तीनों परिदृश्य
- निणर्य में वर्णित पूंजीगत लाभ कर को आकर्षित करने वाले उक्त तीनो परिदृश्य हैं-
(अ). अधिभार आवंटन (Preferential Allotment) के माध्यम से उन सूचीबद्ध शेयरों का अधिग्रहण, जो शेयर एक्सचेंजों में नियमित रूप से कारोबार नहीं करते है|
(ब) . जहाँ एक्सचेंज के मंच पर सूचीबद्ध शेयरों की खरीद नहीं की जाती है|
(स). किसी भी कंपनी के सूची से हटाए जाने तथा पुन: सूचीबद्ध करने से पूर्व शेयरों का अधिग्रहण करना|
- ध्यातव्य है कि कुछ समय पहले ही वित्त अधिनियम 2017 में, कुछ महत्त्वपूर्ण संशोधन किये गए है| इन संशोधनों में, लेनदेन के संबंध में प्रदत्त छूट की अनुमति का दुरूपयोग होने से बचाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा यह संशोधन किया गया कि यदि शेयरों के अधिग्रहण के समय एसटीटी का भुगतान किया जाता है तो सीबीडीटी को इस विषय में कार्यवाही करने का पूर्ण अधिकार होगा|
- हालाँकि इस संशोधन से वास्तविक लेनदेन के संबंध में कुछ राहत अवश्य प्राप्त हुई है तथापि इस संबंध में इन नियमों को अभी ओर भी सख्त करने की आवश्यकता है|