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भारतीय अर्थव्यवस्था

अल्पसंख्यक निवेशकों को वित्तीय सहायता

  • 06 May 2019
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

  • कंपनी कानून (Company Law) के अंतर्गत सरकार द्वारा अल्पसंख्यक निवेशकों (Minority Investors) को वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु एक योजना ‘क्लास एक्शन लॉ सूट’ (Class Action Lawsuits) तैयार की जा रही है। यह योजना निवेशकों के हितों की सुरक्षा हेतु सरकार द्वारा उठाया गया एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय (Corporate Affairs Ministry) भी निवेशकों के हितों की रक्षा के उपायों पर आगे की कार्रवाई के लिये क्लास एक्शन सूट (Class Action Suits) के तहत निवेशकों को प्रोत्साहन प्रदान कर रहा है।

क्लास एक्शन सूट (Class Action Suit)

  • इसके अंतर्गत एक जैसे कानूनी मामलों का सामना कर रहे निवेशकों को एक साथ आने और एक मुकदमे में शामिल होने का मौका दिया जाता है।
  • यह वैध तरीके से मामले को प्रस्तुत करने का सस्ता तरीका भी है।
  • इसकी अनुपस्थिति में शेयरहोल्डर्स के लिये कोई मुकदमा करना और मुआवजे की मांग करना महँगा पड़ता है।

कंपनी अधिनियम के संदर्भ में

  • कंपनी अधिनियम की धारा 245 के तहत यदि निवेशकों को लगता है कि किसी कंपनी के मामलों का प्रबंधन या आचरण निवेशकों के हितों के प्रतिकूल है तो ये ‘क्लास एक्शन सूट’ के अंतर्गत मुकदमा दायर कर सकते हैं।
  • क्लास एक्शन सूट की यह अवधारणा जो कि निवेशकों को सामूहिक रूप से उपाय ढूंढने का विकल्प देती है, पश्चिमी देशों में ज़्यादा प्रसिद्ध है।

कंपनी अधिनियम 1956

  • कंपनी अधिनियम 1956 एक अति महत्त्वपूर्ण विधान है जो केंद्र सरकार को कंपनी के गठन और कार्यों को विनियमित करने की शक्ति प्रदान करता है।
  • इसे भारत की संसद द्वारा 1956 में पारित किया गया तथा समय-समय पर इसमें संशोधन किये गए।
  • ये अधिनियम कम्पनियों के गठन को पंजीकृत करने के साथ ही उनके निर्देशकों और सचिवो की ज़िम्मेदारी का निर्धारण करते हैं।
  • कंपनी अधिनियम, 1956 भारत के संघीय सरकार द्वारा कार्पोरेट मामलों के मंत्रालय, कंपनियों के रजिस्ट्रार के कार्यालय, सार्वजनिक न्यासी, कंपनी लॉ बोर्ड आदि के माध्यम से प्रशासित किया जाता है।
  • 2013 में संसद द्वारा कंपनी अधिनियम में महत्त्वपूर्ण संशोधन किया गया। कंपनी अधिनियम, 2013 को 29 अगस्त, 2013 को भारत के राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई है।
  • क्लास एक्शन सूट का निरीक्षण सरकार द्वारा किया जाएगा, सरकार जल्द ही निवेशक शिक्षा और संरक्षण निधि (Investor Education and Protection Fund- IEPF) के सहयोग से अल्पसंख्यक निवेशकों को क्लास एक्शन फाइल करने के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु योजना प्रस्तुत करेगी।
  • IEPF क्लास एक्शन सूट पर किये गए कानूनी खर्चों की प्रतिपूर्ति के लिये एक योजना प्रस्तुत करेगी।
  • निवेशक शिक्षा और संरक्षण निधि (IEPF) का प्रबंधन IEPF प्राधिकरण द्वारा किया जाता है, जो मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
  • पिछले महीने जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, IEPF का संचित कोष 4,138 करोड़ रुपए है।

निवेशक शिक्षा और संरक्षण निधि
Investor Education and Protection Fund Authority

  • निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष (IEPF) को कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 205C के तहत कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 1999 के माध्यम से स्थापित किया गया है।
  • अधिनियम के अनुसार, भुगतान के लिये दी गई तारीख से सात वर्ष की अवधि के लिये लावारिस और अनपेड (Unpaid) राशि जैसे- कंपनियों के अनपेड लाभांश खाते, मेच्योर डिपाजिट, मेच्योर डिबेंचर (ऋणपत्र), केंद्र सरकार, राज्य सरकार, कंपनियों या किसी अन्य संस्थानों द्वारा अनुदान और दान, फंड से किये गए निवेश से प्राप्त ब्याज या अन्य आय आदि को IEPF में जमा किया जाएगा।
  • फंड की स्थापना का मुख्य उद्देश्य निवेशक शिक्षा, जागरूकता और सुरक्षा से संबंधित गतिविधियों का समर्थन करना है।

इसकी आवश्यकता क्यों?

  • क्लास एक्शन सूट को बढ़ावा देना निवेशकों के कई उदाहरणों की पृष्ठभूमि के खिलाफ महत्त्वपूर्ण है जो अवैध मनी पूलिंग योजनाओं के साथ-साथ कॉर्पोरेट प्रशासन के मुद्दों और कुछ कंपनियों में धोखाधड़ी प्रथाओं से प्रभावित हो रहे हैं।
    हालाँकि, क्लास एक्शन योजना शुरू करना आसान नहीं है, क्योंकि इससे संबंधित जानकारी असममिति (Asymmetry) है।
  • अल्पसंख्यक निवेशक क्लास एक्शन को आगे बढाने के लिये पूरी तरह से तैयार नहीं हैं। साथ ही इसमें असहमति के लिये भी प्रावधान है।
  • क्लास एक्शन सूट अल्पसंख्यक शेयरधारकों (जो सबसे ज़्यादा परेशानियों का सामना कर रहे हैं) को सशक्त बनाने का एक महत्त्वपूर्ण तरीका है।
  • पीड़ित अल्पसंख्यक निवेशकों को कंपनी अधिनियम में प्रदान किये गए क्लास एक्शन सूट का सहारा लेना चाहिये।
  • क्लास एक्शन सूट के तहत निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिये आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
  • यदि वैधानिक लेखापरीक्षक निवेशकों के हित में कोई लापरवाही करते हैं या गलत बयानों का समर्थन करते हैं तो निवेशक उनके खिलाफ क्लास एक्शन के तहत कार्रवाई के लिये आगे आ सकते हैं।

स्रोत- द इकोनॉमिक टाइम्स

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