हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में विनिवेश | 29 Aug 2020
प्रिलिम्स के लियेहिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, विनिवेश, आरंभिक सार्वजनिक निर्गम मेन्स के लियेसार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश की आवश्यकता और महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Limited-HAL) की 15 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव को निवेशकों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है।
प्रमुख बिंदु
- हाल ही में सरकार ने राज्य के स्वामित्त्व वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव किया था।
- इस संबंध में जारी किये गए प्रस्ताव के अनुसार, सरकार हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के 33.4 मिलियन शेयर या अपनी हिस्सेदारी का 10 प्रतिशत हिस्सा बेचेगी, हालाँकि अत्यभिदान (Oversubscription) या अधिक मांग होने की स्थिति में अतिरिक्त 5 प्रतिशत हिस्सेदारी या 16.71 मिलियन शेयर बेचने का विकल्प भी दिया गया है।
- प्रस्ताव के अनुसार, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के शेयर बेचने के लिये प्रति शेयर 1,001 रुपए न्यूनतम मूल्य निर्धारित किया गया है।
कारण
- गौरतलब है कि कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी ने सरकार के राजस्व को काफी बुरी तरह से प्रभावित किया है, और सरकार को महामारी तथा उसके आर्थिक प्रभावों से निपटने के लिये आवश्यक राजस्व के विषय पर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
- ऐसी स्थिति में राज्य के स्वामित्त्व वाली कंपनियों के विनिवेश को राजस्व एकत्रित करने के सबसे अच्छे विकल्प के रूप में देखा जा सकता है, यही कारण है कि सरकार हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के विनिवेश की प्रक्रिया को इतनी तेज़ी से पूरा कर रही है।
- ध्यातव्य है कि सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिये 2.1 लाख करोड़ रुपए का महत्त्वाकांक्षी विनिवेश लक्ष्य निर्धारित किया है।
पृष्ठभूमि
- सर्वप्रथम वर्ष 2018 में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने अपना आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) जारी किया था, जिसके माध्यम से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) में भारत सरकार की हिस्सेदारी 100 प्रतिशत से घटकर 89.97 प्रतिशत पर पहुँच गई थी, इसके माध्यम से सरकार ने तकरीबन 4,229 करोड़ रुपए प्राप्त किये थे।
- इस तरह हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के विनिवेश की शुरुआत सर्वप्रथम वर्ष 2018 में हुई थी।
- ध्यातव्य है कि जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर सार्वजनिक रूप से लोगों या संस्थाओं के लिये जारी करती है तो उसे आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) कहते हैं।
महत्त्वाकांक्षी विनिवेश लक्ष्य
- सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) में सरकार की हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया विनिवेश कहलाती है। परंतु विनिवेश के अंतर्गत सरकार उस उपक्रम पर अपना स्वामित्व अथवा मालिकाना हक बनाए रखती है।
- इसी वर्ष फरवरी माह में सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिये 2.1 लाख करोड़ रुपए का विनिवेश लक्ष्य निर्धारित किया है, जबकि सरकार ने 31 मार्च, 2020 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के लिये 1.05 ट्रिलियन रुपए का विनिवेश लक्ष्य निर्धारित किया था।
- इसी माह की शुरुआत में सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) के विनिवेश के लिये बोली लगाने की समय सीमा बढ़ा दी थी।
- सरकार अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिये भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के विनिवेश की भी तैयारी कर रही है।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और उसकी भूमिका
- हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) एक राज्य के स्वामित्त्व वाली भारतीय एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी है जिसका मुख्यालय भारत के बंगलूरू में स्थित है।
- इसकी स्थापना बंगलूरू में 23 दिसंबर, 1940 को वालचंद हीराचंद ने हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड के रूप में की थी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मार्च 1941 में सरकार ने कंपनी की एक-तिहाई हिस्सेदारी खरीद ली और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जनवरी 1951 में हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड को रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में ले लिया गया।
- जिसके पश्चात् अक्तूबर, 1964 में हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड का नवगठित एयरोनॉटिक्स इंडिया लिमिटेड के साथ विलय कर दिया गया और इस तरह हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) अस्तित्त्व में आया।
- 50 से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ वर्तमान में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) देश के लिये तमाम तरह के सैन्य हेलीकाप्टरों और विमानों का निर्माण कर रहा है।
- इस माह की शुरुआत में रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने भारतीय वायु सेना के लिये हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित किये जा रहे 106 HTT-40 बेसिक ट्रेनर एयरक्राफ्ट (BTA) की खरीद को मंज़ूरी दी थी।
- ध्यातव्य है कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने भारतीय सेना की सैन्य आवश्यकताओं को पूरा करने में काफी अहम भूमिका अदा की है, किंतु हालाँकि कई अवसरों पर उत्पादन प्रक्रिया मे देरी के कारण इसकी आलोचना की जाती रही है।