अंतर्राष्ट्रीय संबंध
बीटी कपास पर सरकार की राय यथार्थ से दूर
- 26 Aug 2017
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चर्चा में क्यों ?
कॉन्ग्रेस सांसद रेणुका चौधरी की अध्यक्षता में विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति की शुक्रवार को ज़ारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी एजेंसियों ने बीटी कपास के मामले में एक "गुलाबी तस्वीर" प्रस्तुत की है, जो यथार्थ से कोसों दूर है।
क्या कहा गया है इस रिपोर्ट में
- रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने केवल कपास के कुल उत्पादन का हवाला दिया है, न कि किसी क्षेत्र में औसत उपज का।
- पिछले 15 वर्षों का हवाला देकर रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में वर्ष 2000 से 2005 तक की अवधि में कपास की पैदावार में 69 फीसदी की वृद्धि हुई थी और तब बीटी कपास, कपास के कुल क्षेत्र से 6% से कम था।
- परन्तु 2005 से 2015 तक, जब बीटी कपास की बुवाई में 94 फीसदी की वृद्धि हुई थी, तब भी कपास के उत्पादन में केवल 10 फीसदी की ही वृद्धि हुई। अतः कपास के उत्पादन संबंधी इस दोहरे दावे की जाँच की आवश्यकता है।
- सरकार जितने भी अध्ययनों की बात कर रही है, दरअसल वे सभी दूसरे देशों में किये गए हैं। समिति ने स्वास्थ्य पर जीएम (जेनेटिकली मोडिफाइड) फसलों के प्रभावों की वैज्ञानिक जाँच के प्रति ढुलमुल रवैये के लिये सरकार की खिंचाई की है।
- समिति ने यह जानना चाहा कि यदि जीएम तकनीक इतनी अच्छी है तो आखिर क्या कारण है कि बीटी कपास के आगमन के बीस वर्षों (1996 से) के बाद भी दुनिया में सिर्फ छह देश ही इसकी खेती कर रहे हैं।
- गौरतलब है कि वर्तमान में अमेरिका, ब्राजील, अर्जेंटीना, कनाडा, चीन और भारत ही दुनिया के वे देश हैं, जहाँ जीएम फसलों की 90-95 फीसदी खेती की जा रही है।
कृषि मंत्रालय का विचार
- कृषि मंत्रालय का विचार है कि पीड़क सहिष्णु जीन पराग से निकल कर खेतों में फैल कर जीएम और गैर-जीएम फसलों तक पहुँच सकता है।
- अतः यदि इन फसलों को अपने देशी प्रजातियों के बीच उगाने की अनुमति देते हैं तो संदूषण को रोका नहीं जा सकता है। जिसका अर्थ होगा कि हम अनोखे उत्पादों की प्रतिस्पर्द्धा में बढ़त को खो सकते हैं।
समिति की सिफारिश
- अंत में, समिति ने सिफारिश की है कि जब तक इस विषय में जैव-सुरक्षा और सामाजिक आर्थिक आयामों के प्रभावों का स्वतंत्र एवं पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से अध्ययन नहीं किया जाता, तब तक किसी भी जीएम फसल को उगाने की मंज़ूरी नहीं दी जानी चाहिये।
जेनेटिकली मॉडिफाइड फसल : एक नज़र
- ऐसे पौधे या फसल, जिनके जींस (genes) हस्त कौशल द्वारा परिवर्तित किये जा चुके हैं आनुवंशिकतः रूपांतरित (जेनेटिकली मॉडिफाइड) पौधे या फसल कहलाते हैं।
- बीटी कपास और जीएम सरसों इसी तरह की फसल प्रजातियाँ हैं, जिन्हें आनुवंशिक रूप से रूपांतरित कर कीट प्रतिरोधी और अधिक पैदावार वाली प्रजाति तैयार की गई है।
इनसे लाभ
- जी.एम. फसलों का उपयोग कई प्रकार से लाभदायक है ।
- जी.एम. तकनीक द्वारा सूखा, लवण, शीत तथा ताप के प्रति अधिक सहिष्णु फसलों का निर्माण किया जा सकता है।
- इससे पीड़कनाशी प्रतिरोधी फसलों का भी निर्माण किया जा सकता है।
- इससे खाद्य पदार्थों के पोषणिक स्तर में वृद्धि की जा सकती है।
- सोयाबीन, मक्का, कपास और सरसों ही मुख्य रूप से जीएम फसलों के रूप में उगाई जा रही हैं।
बी.टी. क्या है ?
- बी.टी. (Bt) एक प्रकार का जीव विष है, जो एक जीवाणु, जिसे बैसीलस थूरीनजिएंसिस कहते हैं, से निर्मित होता है।
- यह पीड़कों के प्रति प्रतिरोधकता पैदा करता है जिससे कीटनाशकों के उपयोग की आवश्यकता नहीं रहती है।
- बीटी की कुछ नस्लें ऐसे प्रोटीन का निर्माण करती हैं जो कुछ विशिष्ट कीटों को मारने में सहायक है।