सामाजिक न्याय
खाद्य संकट पर वैश्विक रिपोर्ट 2022
- 06 May 2022
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये: खाद्य संकट पर वैश्विक रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ, GNAFC, यूरोपीय संघ, FAO, WFP, खाद्य सुरक्षा से संबंधित पहल। मेन्स के लिये: बढ़ते खाद्य संकट का कारण और संबंधित मुद्दे, स्वास्थ्य, सरकारी नीतियांँ और हस्तक्षेप |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ग्लोबल नेटवर्क अगेंस्ट फ़ूड क्राइसिस (GNAFC) द्वारा ग्लोबल रिपोर्ट ऑन फ़ूड क्राइसिस 2022 नामक एक वार्षिक रिपोर्ट जारी की गई।
- यह रिपोर्ट GNAFC का प्रमुख प्रकाशन है और इसे खाद्य सुरक्षा सूचना नेटवर्क (FSIN) द्वारा सुगम बनाया गया है।
खाद्य सुरक्षा सूचना नेटवर्क:
- FSIN खाद्य और कृषि संगठन (FAO), विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) द्वारा सह-प्रायोजित एक वैश्विक पहल है, जो विश्लेषण और निर्णय लेने हेतु मार्गदर्शन के लिये विश्वसनीय और सटीक डेटा तैयार करता है तथा खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सूचना प्रणाली को मज़बूती प्रदान करता है। .
ग्लोबल नेटवर्क अगेंस्ट फ़ूड क्राइसिस:
- इसकी स्थापना वर्ष 2016 में यूरोपीय संघ, FAO और WFP द्वारा की गई थी।
- यह खाद्य संकटों को रोकने, इसके लिये तैयारी करने और प्रतिक्रिया देने व भूख को समाप्त करने के लिये सतत् विकास लक्ष्य (SDG2) का समर्थन करने हेतु एक साथ काम करने वाले मानवीय और विकास कार्यकर्त्ताओं का एक गठबंधन है।
रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ:
- परिचय:
- वर्ष 2020 की तुलना में 2021 में वैश्विक स्तर पर लगभग 40 मिलियन से अधिक लोगों ने संकट या बदतर स्तर पर तीव्र खाद्य असुरक्षा का अनुभव किया।
- इथियोपिया, दक्षिणी मेडागास्कर, दक्षिण सूडान और यमन में लगभग 5 लाख से भी अधिक लोग तीव्र खाद्य असुरक्षा से पीड़ित हैं।
- 53 देशों या क्षेत्रों में 193 मिलियन से अधिक लोगों ने वर्ष 2021 में संकट या बदतर स्तर पर तीव्र खाद्य असुरक्षा का अनुभव किया।
- वर्ष 2020 की तुलना में 2021 में वैश्विक स्तर पर लगभग 40 मिलियन से अधिक लोगों ने संकट या बदतर स्तर पर तीव्र खाद्य असुरक्षा का अनुभव किया।
- खाद्य असुरक्षा के कारक:
- संघर्ष:
- संघर्ष ने 24 देशों/क्षेत्रों के 139 मिलियन लोगों को तीव्र खाद्य असुरक्षा की स्थिति में रहने के लिये मजबूर किया।
- वर्ष 2020 में 23 देशों/क्षेत्रों में 99 मिलियन लोगों खाद्य असुरक्षा की स्थिति में रहने के लिये मजबूर किया।
- चरम मौसम:
- इसने आठ देशों/क्षेत्रों में 23 मिलियन से अधिक लोगों को तीव्र खाद्य असुरक्षा स्थिति में रहने के लिये मजबूर किया, वर्ष 2020 में 15 देशों/क्षेत्रों में यह संख्या 15.7 मिलियन से अधिक थी।
- आर्थिक संकट:
- आर्थिक संकट के कारण वर्ष 2021 में 21 देशों/क्षेत्रों के 30 मिलियन से अधिक लोग एवं वर्ष 2020 में 17 देशों/क्षेत्रों में 40 मिलियन से अधिक लोगों को तीव्र खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा।
- संघर्ष:
आगे की राह
- एकीकृत दृष्टिकोण:
- खाद्य संकट, संरचनात्मक ग्रामीण गरीबी, हाशिये के लोग, जनसंख्या वृद्धि और कमज़ोर खाद्य प्रणाली आदि के मूल कारणों का पता लगाने एवं रोकथाम, प्रत्याशा तथा स्थायी रूप से उचित लक्ष्यीकरण हेतु एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
- लघु जोत कृषि को प्राथमिकता:
- रिपोर्ट ने फ्रंटलाइन मानवीय प्रतिक्रिया के रूप में छोटी जोत वाली कृषि को अधिक प्राथमिकता देने की आवश्यकता को प्रदर्शित किया है ताकि बाधाओं और नकारात्मक प्रवृत्तियों का दीर्घकाल के लिये समाधान किया जा सके।
- एक सुदृढ़ समन्वित दृष्टिकोण अपनाना:
- यह सुनिश्चित करने हेतु एक मज़बूत समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता है ताकि मानवीय, विकास और शांति की स्थापना हेतु गतिविधियों को समग्र एवं समन्वित तरीके से वितरित किया जाए।
भारत और खाद्य असुरक्षा की स्थिति:
- भारत और खाद्य असुरक्षा के बारे में:
- द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड 2021 (SOFI) के अनुसार, भारत जो किविश्व में खाद्यान्न के सबसे बड़े भंडार वाला देश है (01 जुलाई 2021 तक 120 मिलियन टन), में विश्व की खाद्य-असुरक्षित आबादी का लगभग एक-चौथाई हिस्सा मौजूद है।
- अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2020 में वैश्विक स्तर पर 237 करोड़ से अधिक लोग खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे थे और वर्ष 2019 की तुलना में इनकी संख्या में लगभग 32 करोड़ की वृद्धि हुई थी।
- अकेले दक्षिण एशिया वैश्विक खाद्य असुरक्षा के 36 प्रतिशत का वहन करता है।
- संबंधित पहलें: