ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस | 16 Jun 2020
प्रीलिम्स के लियेग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मेन्स के लियेAI से संबंधित विभिन्न महत्त्वपूर्ण पहलू, भारत द्वारा इस संबंध में किये गए प्रयास |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ‘ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ (Global Partnership on Artificial Intelligence-GPAI) में एक संस्थापक सदस्य के तौर पर शामिल हो गया है।
प्रमुख बिंदु
- भारत के अतिरिक्त इस पहल से जुड़ने वाले अन्य सदस्यों में विश्व की तमाम बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ, जैसे- अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ (EU), ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांँस, जर्मनी, इटली, जापान, मैक्सिको, न्यूज़ीलैंड, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर आदि शामिल हैं।
ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GPAI)
- ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GPAI) एक अंतर्राष्ट्रीय और बहु-हितधारक पहल है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के ज़िम्मेदारीपूर्ण विकास और मानवाधिकारों, समावेशन, विविधता, नवाचार और आर्थिक विकास में उपयोग का मार्गदर्शन करने पर आधारित है।
- उपरोक्त लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये इस पहल के तहत AI से संबंधित प्राथमिकताओं पर अत्याधुनिक अनुसंधान और अनुप्रयुक्त गतिविधियों की सहायता से AI के संबंध में सिद्धांत (Theory) और व्यवहार (Practice) के बीच मौजूद अंतर को समाप्त करने की कोशिश की जाएगी।
- यह पहल प्रतिभागी देशों के अनुभव और विविधता का उपयोग करके AI से जुड़ी चुनौतियों और अवसरों की बेहतर समझ विकसित करने का अपने प्रकार का पहला प्रयास है।
- GPAI पहल के अंतर्गत AI के ज़िम्मेदारीपूर्ण विकास को बढ़ावा देने के लिये साझेदारों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से उद्योग, नागरिक समाज, सरकारों और शिक्षाविदों को एक साथ लाया जाएगा और ऐसी कार्यप्रणाली विकसित की जाएगी, जिनसे यह दर्शाया जा सके कि COVID-19 के मौजूदा वैश्विक संकट से बेहतर ढंग से निपटने के लिये किस प्रकार AI का लाभ उठाया जा सकता है।
ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GPAI) और भारत
- ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GPAI) में संस्थापक सदस्य के रूप में शामिल होने से भारत समावेशी विकास के लिये डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग के अपने अनुभव का लाभ उठाते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के वैश्विक विकास में सक्रिय भूमिका निभा सकेगा।
- उल्लेखनीय है कि भारत ने बीते कुछ वर्षों में अपनी विभिन्न पहलों के माध्यम से मानव के समावेशन और सशक्तीकरण के दृष्टिकोण के साथ शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य सेवा, ई-कॉमर्स, वित्त, दूरसंचार जैसे विभिन्न क्षेत्रों में AI का लाभ उठाना शुरू कर दिया है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का अर्थ
- आधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की शुरुआत या उसके अतीत को दार्शनिकों द्वारा मानव विचार को एक प्रतीकात्मक प्रणाली के रूप में वर्णित करने के प्रयास में खोजा जा सकता है।
- हालाँकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की औपचारिक शुरुआत 1950 के दशक से मानी जाती है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का तात्पर्य बनावटी अर्थात् कृत्रिम तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता होता है।
- इसके ज़रिये कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास किया जाता है जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क कार्य करता है।
- सरल शब्दों में कहें तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का अर्थ एक मशीन में सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता विकसित करने से होता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का महत्त्व
- नीति आयोग (NITI Aayog) के अनुमान के अनुसार, यदि भारत में सही ढंग से AI अपनाया गया तो इसके प्रभावस्वरूप वर्ष 2035 तक अर्थव्यवस्था के सकल मूल्य वर्धन (Gross Value Added- GVA) में 15 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
- AI गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा की पहुँच और सामर्थ्यता बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है।
- कृषि क्षेत्र में यह तकनीक किसानों की आय बढ़ाने, कृषि उत्पादकता बढ़ाने और अपव्यय को कम करने में योगदान कर सकती है।
- इसके माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता और पहुँच में भी सुधार किया जा सकता है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) बढ़ती शहरी आबादी के लिये कुशल बुनियादी ढाँचे के निर्माण में मददगार साबित हो सकता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) संबंधी चुनौतियाँ
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से हमारे रहने और कार्य करने के तरीकों में व्यापक बदलाव आएगा। रोबोटिक्स और वर्चुअल रियलिटी जैसी तकनीकों से तो उत्पादन और निर्माण के तरीकों में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिलेगा। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के मुताबिक अकेले अमेरिका में आगामी दो दशकों में डेढ़ लाख रोज़गार खत्म हो जाएंगे।
- विशेषज्ञों का कहना है कि सोचने और समझने वाले रोबोट यदि किसी कारण या परिस्थिति में मनुष्य को अपना दुश्मन मानने लगे तो यह मानवता के लिये बड़ा खतरा बन सकता है।