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भारतीय अर्थव्यवस्था

वैश्विक खाद्य नीति रिपोर्ट

  • 27 Apr 2019
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

वाशिंगटन डीसी स्थित अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (International Food Policy Research Institute-IFPRI) द्वारा हाल ही में वैश्विक खाद्य नीति रिपोर्ट (Global Food Policy Report-GFPR), 2019 जारी की गई है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

  • रिपोर्ट के मुताबिक भूख और कुपोषण, गरीबी, सीमित आर्थिक अवसर तथा पर्यावरण क्षरण के कारण दुनिया के कई हिस्सों में ग्रामीण क्षेत्र संकट की स्थिति से गुज़र रहे हैं जो सतत् विकास लक्ष्यों, वैश्विक जलवायु लक्ष्यों और बेहतर खाद्य तथा पोषण सुरक्षा की प्रगति की दिशा में बाधक है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की कुल आबादी में 45.3 प्रतिशत ग्रामीण आबादी है और दुनिया की कम-से-कम 70 प्रतिशत आबादी अत्यंत गरीब है।
  • सबसे कमज़ोर और हाशिये पर होने के अलावा ग्रामीण आबादी तीव्र जनसंख्या वृद्धि दर, अपर्याप्त रोजगार और उद्यम निर्माण, खराब बुनियादी ढाँचा तथा अपर्याप्त वित्तीय सेवाओं के कारण पीड़ित है।
  • इसके अलावा ग्रामीण समुदाय जलवायु परिवर्तन प्रभावों का खामियाजा भी भुगत रहे हैं, जो 2019 के लिये ग्रामीण पुनरुद्धार (Rural Revitalisation) को एक महत्त्वपूर्ण विषय बनाता है।
  • रिपोर्ट के मुताबिक, नव-प्रवर्तनशील और समग्र पुनरुद्धार के बिना नए अवसरों का लाभ उठाने और बढ़ती चुनौतियों का सामना करने के लिये 2030 तक सभी के लिये खाद्य सुरक्षा प्राप्त करना मुश्किल होगा, शायद असंभव भी।
  • ग्रामीण पुनरुत्थान केवल एक दशक में ही भूख और कुपोषण को समाप्त करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।

ध्यान दिये जाने वाले क्षेत्र

  • इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये महिलाओं और ग्रामीण युवाओं पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है।
  • कई देशों में 60 प्रतिशत खेती उन महिलाओं द्वारा की जाती है जिनके पास संपत्ति या राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं होती है या जिनकी कृषि विस्तार सेवाओं तक पहुँच नहीं है।
  • स्वच्छ पेयजल और प्रदूषण रहित वायु की सीमित पहुँच के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन यापन की स्थिति बेहद खराब है।
  • इसके अलावा दुनिया भर में लगभग 50 प्रतिशत ग्रामीण युवाओं के पास कोई औपचारिक रोज़गार नहीं है, वे या तो बेरोज़गार हैं या अस्थायी रोज़गार में लगे हैं।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के प्रयास

  • रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण परिवर्तन और पुनरुद्धार स्वतंत्रता के बाद से भारत के विकास के प्रयासों का प्रमुख लक्ष्य रहा है।
  • भारत में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने तथा बुनियादी सेवाओं तक पहुँच बढ़ाने के साथ-साथ कृषि और ग्रामीण बुनियादी ढाँचे में निवेश बढ़ाकर ग्रामीण आजीविका को बेहतर बनाने के कई उपाय किये गए हैं।
  • देश में हाल के वर्षों में प्रमुख फसलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य उनके उत्पादन लागत का 1.5 गुना अधिक किया गया है।
  • भारत में 22,000 ग्रामीण हाटों (स्थानीय अनौपचारिक बाज़ार) को ग्रामीण कृषि बाज़ार (GrAMs) से जोड़ने तथा कृषि विपणन बुनियादी ढाँचे को उन्नत करने की योजना बनाई गई है।

चुनौतियाँ

  • प्रगति के बावजूद भारत लगातार जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना कर रहा है। भूमि क्षरण, मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट और जैव विविधता के नुकसान ने ग्रामीण रूपांतरण (Rural Transformation) के कार्य को धीमा कर दिया है।
  • रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि बदलते उपभोग पैटर्न ने भारत में शहरीकरण, जनसांख्यिकीय बदलाव, आय में वृद्धि और खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाओं (Food Supply Chains) तथा खाद्य प्रणालियों के बढ़ते एकीकरण से ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता और रोज़गार के नए अवसर प्रदान किये हैं।

अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के बारे में

  • अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) विकासशील देशों में गरीबी, भूख और कुपोषण को कम करने के लिये अनुसंधान आधारित नीतिगत समाधान प्रदान करता है।
  • 1975 में स्थापित IFPRI में वर्तमान में 50 से अधिक देशों में काम करने वाले 600 से अधिक कर्मचारी हैं।
  • यह CGIAR (Consultative Group for International Agricultural Research) का एक अनुसंधान केंद्र है।

CGIAR के बारे में

  • CGIAR एक वैश्विक साझेदारी है जो खाद्य-सुरक्षित भविष्य (Food-secured Future) के लिये अनुसंधान में लगे संगठनों को एकजुट करती है।
  • CGIAR अनुसंधान ग्रामीण गरीबी को कम करने, खाद्य सुरक्षा बढ़ाने, मानव स्वास्थ्य और पोषण में सुधार करने और प्राकृतिक संसाधनों के स्थायी प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिये समर्पित है।

स्रोत : द हिंदू बिज़नेस लाइन

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