गंगा डॉल्फिन | 19 Feb 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ ज़िले में एक गंगा डॉल्फिन की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी।
- गौरतलब है कि गंगा डॉल्फिन का शिकार करना वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत दंडनीय अपराध है।
प्रमुख बिंदु:
संक्षिप्त परिचय:
- वैज्ञानिक नाम: प्लैटनिस्टा गैंगेटिका (Platanista gangetica)
- गंगा डॉल्फिन की खोज आधिकारिक तौर पर वर्ष 1801 में की गई थी।
- गंगा डॉल्फिन नेपाल, भारत और बांग्लादेश की गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना और कर्नाफुली-सांगु नदी प्रणालियों में रहती है।
- गंगा डॉल्फिन केवल मीठे पानी में रह सकती है और यह वास्तव में दृष्टिहीन होती है।
- ये पराश्रव्य ध्वनियों का उत्सर्जन करके शिकार करती हैं, जो मछलियों और अन्य शिकार से टकराकर वापस लौटती है तथा उन्हें अपने दिमाग में एक छवि "देखने" में सक्षम बनाती है। इन्हें 'सुसु' (Susu) भी कहा जाता है।
- गंगा डॉल्फिन की आबादी लगभग 1200-1800 के बीच है।
महत्त्व:
- यह संपूर्ण नदी पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य का एक विश्वसनीय संकेतक है।
- गंगा डॉल्फिन को वर्ष 2009 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय जलीय जीव (National Aquatic Animal) के रूप में मान्यता दी थी।
गंगा डॉल्फिन के लिये खतरे:
- अवांछित शिकार: लोगों की तरह ही ये डॉल्फिन नदी के उन क्षेत्रों को पसंद करती हैं जहाँ मछलियाँ बहुतायत मात्रा में हों और पानी का प्रवाह धीमा हो। इसके कारण लोगों को मछलियाँ कम मिलती हैं और मछली पकड़ने के जाल में गलती से फँस जाने के कारण गंगा डॉल्फिन की मृत्यु हो जाती है, जिसे बायकैच (Bycatch) के रूप में भी जाना जाता है।
- प्रदूषण : औद्योगिक, कृषि एवं मानव प्रदूषण इनके प्राकृतिक निवास स्थान के क्षरण का एक और गंभीर कारण है।
- बाँध: बाँधों और सिंचाई से संबंधित अन्य परियोजनाओं का निर्माण उन्हें सजातीय प्रजनन (Inbreeding) के लिये संवेदनशील बनाने के साथ अन्य खतरों के प्रति भी सुभेद्य बनाता है क्योंकि ऐसे निर्माण के कारण वे अन्य क्षेत्रों में नहीं जा सकते हैं।
- एक बाँध के अनुप्रवाह में भारी प्रदूषण, मछली पकड़ने की गतिविधियों में वृद्धि और पोत यातायात से डॉल्फिन के लिये खतरा उत्पन्न होता है। इसकी वजह से उनके लिये भोजन की भी कमी होती है क्योंकि बाँध मछलियों और अन्य शिकारों के प्रवासन, प्रजनन चक्र तथा निवास स्थान को प्रभावित करता है।
संरक्षण स्थिति:
- भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I के तहत गंगा डॉल्फिन का शिकार करना प्रतिबंधित है।
- गंगा डॉल्फिन को IUCN की रेड लिस्ट में संकटग्रस्त (Endangered) की श्रेणी में रखा गया है।
- गंगा डॉल्फिन को ‘वन्यजीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन’ (The Convention of International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora- CITES) के परिशिष्ट-I में शामिल किया गया है।
- वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय (CMS): परिशिष्ट II (प्रवासी प्रजातियाँ जिन्हें संरक्षण और प्रबंधन की आवश्यकता है या जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से काफी लाभ होगा)।
संरक्षण के लिये उठाए गए कदम:
- प्रोजेक्ट डॉल्फिन (Project Dolphin): भारतीय प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस-2020 पर दिये गए अपने भाषण में प्रोजेक्ट डॉल्फिन को लॉन्च करने की घोषणा की। यह प्रोजेक्ट टाइगर की तर्ज पर होगा, जिसने बाघों की आबादी बढ़ाने में मदद की।
- डॉल्फिन अभयारण्य: बिहार के भागलपुर ज़िले में विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य की स्थापना की गई है।
- संरक्षण योजना:‘गंगा डॉल्फिन संरक्षण कार्य योजना 2010-2020’ गंगा डॉल्फिन के संरक्षण के प्रयासों में से एक है, इसके तहत गंगा डॉल्फिन और उनकी आबादी के लिये प्रमुख खतरों के रूप में नदी में यातायात, सिंचाई नहरों और शिकार की कमी आदि की पहचान की गई है।.
- राष्ट्रीय गंगा डॉल्फिन दिवस: राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा प्रतिवर्ष 5 अक्तूबर को गंगा डॉल्फिन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972
- यह अधिनियम पर्यावरण और पारिस्थितिकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये देश में जंगली जानवरों, पक्षियों और पादप प्रजातियों के संरक्षण का प्रावधान करता है। अन्य प्रावधानों के अलावा यह अधिनियम कई पशु प्रजातियों के शिकार को प्रतिबंधित करता है। इस अधिनियम में अंतिम बार वर्ष 2006 में संशोधन किया गया था।
- इस अधिनियम की छह अनुसूचियाँ बनाईं गई हैं जिसके माध्यम से वनस्पतियों और जीवों को उनकी श्रेणी के अनुरूप अलग-अलग सुरक्षा प्रदान की जाती है।
- इसके तहत अनुसूची I और अनुसूची II में शामिल जीवों को पूर्ण संरक्षण प्राप्त है तथा इन अनुसूचियों से जुड़े अपराध के मामलों में अधिकतम दंड दिया जा सकता है।
- अनुसूची 5 में वे प्रजातियाँ शामिल हैं जिनका शिकार किया जा सकता है।
संबंधित संवैधानिक प्रावधान:
- अनुच्छेद 48 (A):
- यह राज्य को पर्यावरण की रक्षा और सुधार के साथ वन्यजीवों तथा जंगलों की सुरक्षा करने का निर्देश देता है। इस अनुच्छेद को वर्ष 1976 में 42वें संशोधन द्वारा संविधान में जोड़ा गया था।
- अनुच्छेद 51 (A):
- अनुच्छेद 51(A) भारत के लोगों के लिये कुछ मूलभूत कर्तव्यों को लागू करता है। इनमें से एक जंगलों, झीलों, नदियों और वन्य जीवन सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना तथा जीवित प्राणियों के प्रति दया रखना है।