हरिद्वार और उन्नाव के बीच गंगा का जल पीने व स्नान योग्य नहीं | 28 Jul 2018
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने हरिद्वार और उत्तर प्रदेश में उन्नाव के बीच गंगा में प्रदूषण के स्तर पर चिंता व्यक्त की और कहा कि गंगा का जल पीने व स्नान करने के योग्य नहीं है।
प्रमुख बिंदु
- एनजीटी अध्यक्ष आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता में एक खंडपीठ ने स्वच्छ गंगा के लिये राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) को 100 किलोमीटर के अंतराल पर डिस्प्ले बोर्ड स्थापित करने का निर्देश दिया, जो कि भक्तों को प्रदूषण स्तर के बारे में जागरूक करने के लिये यह दर्शाता है कि पानी पीने और स्नान करने के लिये उपयुक्त है या नहीं।
- खंडपीठ ने कहा कि भोले-भाले लोग श्रद्धा और सम्मान के कारण गंगा का जल पी रहे हैं और इसमें स्नान कर रहे हैं। वे नहीं जानते हैं कि यह जल उनके स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है। यदि सिगरेट के पैकेट पर यह चेतावनी दी जा सकती है कि “यह स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है” तो नदी जल के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में लोगों को क्यों नहीं बताया जाना चाहिये?
जीवन का अधिकार
- गंगा के जल का उपयोग करने वाले व्यक्तियों के जीवन के अधिकार के अनुपालन हेतु यह अत्यंत आवश्यक है कि उन्हें पानी की गुणवत्ता के बारे में सूचित कराया जाए।
- इस बीच, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एनएमसीजी को उनकी वेबसाइटों पर उन क्षेत्रों को इंगित करने के लिये कहा गया है जहाँ पानी स्नान और पीने के लिये उपयुक्त है।
स्वच्छ गंगा के लिये राष्ट्रीय मिशन (National Mission for Clean Ganga)
- यह एक स्वायत्त निकाय है जो केंद्र में वित्तीय योजना, निगरानी और समन्वय संबंधी कार्य करता है।
- इसे राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के दो उद्देश्यों - प्रदूषण के उपशमन और गंगा नदी के संरक्षण के लिये उपयुक्त राज्य स्तरीय कार्यक्रम प्रबंधन समूह द्वारा मदद दी जा रही है।
- एनएमसीजी को अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये आवश्यक या आकस्मिक प्रकार की सभी कार्रवाइयाँ करने का अधिकार है।