कूकिंग आयल को जैव ईंधन में परिवर्तित करने की पहल | 11 Aug 2018
चर्चा में क्यों?
खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने हाल ही में RUCO (Response Used Cooking Oil) लॉन्च किया| यह पहल प्रयुक्त कुकिंग आयल को बायो-डीज़ल में संग्रह और रूपांतरण करने में सक्षम होगी। खाद्य सुरक्षा नियामक ने खाना पकाने के लिये उपयोग में लाए जाने वाले आयल के मानकों को अधिसूचित करने के लगभग एक महीने बाद यह पहल शुरू की है।
प्रमुख बिंदु
- एफएसएसएआई यह सुनिश्चित करने के लिये नियमों को पेश करने पर भी विचार कर सकता है कि बड़ी मात्रा में कुकिंग आयल का उपयोग करने वाली कंपनियाँ इसे पंजीकृत संग्रहण एजेंसियों को जैव ईंधन में परिवर्तित करने के लिये सौंपें।
- इस पहल के तहत इस्तेमाल किये गए कुकिंग आयल के संग्रह को सक्षम बनाने के लिये 101 स्थानों पर 64 कंपनियों की पहचान की गई है। उदाहरण के लिये, मैकडॉनल्ड्स ने पहले ही मुंबई और पुणे में 100 आउटलेटों में प्रयुक्त कुकिंग आयल को बायोडीज़ल में परिवर्तित करना शुरू कर दिया है।
- नियामक का मानना है कि भारत में 2022 तक एक समन्वित कार्रवाई के माध्यम से बायोडीज़ल के उत्पादन के लिये 220 करोड़ लीटर प्रयुक्त कुकिंग आयल को प्राप्त करने की क्षमता है।
- यद्यपि प्रयुक्त कुकिंग आयल से उत्पादित बायोडीज़ल की मात्रा वर्तमान में बहुत कम है, लेकिन भारत में रूपांतरण और संग्रह के लिये एक मज़बूत पारिस्थितिकी तंत्र तेज़ी से बढ़ रहा है और जल्द ही यह बड़ा आकार ले लेगा।
- एफएसएसएआई कारोबार हेतु एक स्टॉक रजिस्टर तैयार करना चाहता है जिसमें 100 लीटर से अधिक आयल के उपयोग संबंधी समस्त जानकारी उपलब्ध होगी| ऐसी संभावना है कि इन बिंदुओं पर एक विनियमन प्रणाली विकसित की जाएगी|
- एफएसएसएआई नियमों के अनुसार, कुल ध्रुवीय यौगिकों ( Total Polar Compounds-TPC) के लिये अधिकतम स्वीकार्य सीमा 25 प्रतिशत निर्धारित की गई है, इसके बाद कुकिंग आयल की खपत असुरक्षित मानी गई है|
भागीदारी
- एफएसएसएआई भारत के बायोडीज़ल एसोसिएशन और खाद्य उद्योग के साथ भागीदारी में भी काम कर रहा है ताकि प्रयुक्त कुकिंग आयल नियमों का प्रभावी अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।
- इस संबंध में एक मार्गदर्शन दस्तावेज़ प्रकाशित करने का प्रयास किया जा रहा है| यह अपने ई-चैनलों के माध्यम से कई जागरूकता अभियान भी चला रहा है।
- एफएसएसएआई ने बायोडीज़ल में प्रयुक्त कुकिंग आयल के संग्रह और रूपांतरण की प्रगति की निगरानी के लिये अतिरिक्त रूप से एक माइक्रो साइट लॉन्च की है।