कृषि
डेयरी उद्योग से संबंधित पैनल का गठन
- 22 Feb 2020
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प्रीलिम्स के लियेराष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड मेन्स के लियेकिसानों की आय दोगुनी करने में डेयरी उद्योग की भूमिका |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने एक संकल्प प्रस्ताव के माध्यम से डेयरी उद्योग के लिये एक परामर्शदात्री निकाय स्थापित करने का निर्णय लिया है। यह निकाय डेयरी उद्योगों के विकास के लिये सरकार को सुझाव देगा तथा दोनों के बीच समन्वय स्थापित करेगा।
प्रमुख बिंदु
- डेयरी उद्योग की समस्याओं को सरकार तक पहुँचाने तथा दोनों के बीच बेहतर संवाद स्थापित करने के लिये निकाय दो माह के अंतराल पर एक समन्वय बैठक आयोजित करेगा।
- आँकड़ों के अनुसार पूरे देश में प्रतिदिन लगभग 2 करोड़ लीटर दुग्ध उत्पादन किया जाता है, जिसमें महाराष्ट्र की हिस्सेदारी लगभग 50% है।
- इसमें लगभग 60% दुग्ध संग्रहण निजी डेयरी संचालकों जैसे लैक्टेलिस प्रभात, पराग डेयरी, इंदापुर मिल्क एंड मिल्क प्रोडक्ट्स लिमिटेड द्वारा किया जाता है। शेष दुग्ध संग्रहण कोल्हापुर ज़िला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ, पुणे ज़िला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ, संगमनेर तालुका ज़िला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ तथा अन्य सहकारी संघों के द्वारा किया जाता है।
- दुग्ध विपणन के शीर्ष निकाय राज्य दुग्ध विपणन महासंघ द्वारा दुग्ध संग्रहण और विपणन के कार्य में सक्रिय भूमिका न होने के कारण महाराष्ट्र के डेयरी उद्योग गुजरात और कर्नाटक के डेयरी उद्योगों के समान एकीकृत रूप से संगठित नहीं हो पाए हैं।
- दुग्ध उत्पादों की कीमतों को लेकर निजी डेयरी उद्योग और सहकारी संघों के बीच प्रतिस्पर्द्धा के चलते कई बार संघों को नुकसान उठाना पड़ता है।
- अत्यधिक दुग्ध उत्पादन की स्थिति में निजी डेयरी उद्योगों को नुकसान उठाना पड़ता है क्योंकि इनके अधिकतर उत्पाद स्किम्ड मिल्क पाउडर से मिलकर बने होते हैं और अधिक उत्पादन की स्थिति में इन उत्पादों की मांग में कमी आ जाती है।
निकाय की आवश्यकता
- राज्य विधानमंडल के नागपुर सत्र के दौरान डेयरी उद्योग प्रमुखों ने सरकार के सम्मुख इस क्षेत्र के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करने के लिये एक निकाय के गठन का आग्रह किया था।
- दोनों के मध्य डेयरी उद्योग से संबंधित एक समिति के निर्माण पर सहमति हुई और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (National Dairy Development Board-NDDB) द्वारा इस क्षेत्र के लिये एक सेतु के रूप में कार्य करने का आश्वासन भी दिया गया।
निकाय की संरचना
- निकाय की कुल सदस्य संख्या 15 निर्धारित की गई है जिसमें 5 सदस्य सहकारी संघों का प्रतिनिधित्व करेंगे तथा 4 सदस्य निज़ी डेयरी उद्योग से संबंधित होंगे।
- शेष 6 सदस्य सरकार तथा राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के प्रतिनिधि होंगे।
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड
- NDDB की स्थापना जुलाई 1965 में गुजरात के आणंद नामक स्थान पर की गई थी।
- इसकी स्थापना ‘मिल्क मैन’ के उपनाम से प्रसिद्ध डॉ. वर्गीज़ कुरियन ने की थी।
उद्देश्य
- राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की स्थापना उत्पादकों के स्वामित्व और उनके द्वारा नियंत्रित संगठनों को प्रोत्साहित करने और उन्हें आर्थिक सहायता देने के उद्देश्य से की गई थी।
- राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के कार्यक्रम और गतिविधियों का उद्देश्य कृषक सहकारी संस्थाओं को सुदृढ़ करना तथा उन राष्ट्रीय नीतियों का समर्थन करना है जो ऐसी संस्थाओं के विकास के अनुकूल हैं।
- राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के गठन के केंद्र में सहकारी सिद्धांत एवं सहकारी नीतियाँ हैं।
निकाय के उद्देश्य
- निकाय का मुख्य उद्देश्य डेयरी उद्योग क्षेत्र और व्यापार की गतिशीलता पर सरकार को सलाह देना है।
- निकाय डेयरी उद्योग की आवश्यकताओं को समझकर उसके विकास हेतु सरकार को परामर्श देगा।
- डेयरी उद्योग और सरकार के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करेगा।
डेयरी उद्योग के प्रतिनिधियों की राय
- प्रदेश के सभी डेयरी संचालकों ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे डेयरी उद्योग के विकास की दिशा में एक आवश्यक कदम बताया।
- इससे पूर्व सरकार के पास इस क्षेत्र से संबंधित मुद्दों के बारे में जानकारी एकत्र करने का कोई विकल्प नहीं था।
- इस क्षेत्र को उम्मीद है कि यह निकाय नीतिगत सुधारों पर ज़ोर देगा तथा डेयरी उद्योग के लिये प्रत्यक्ष उत्पादन प्रोत्साहन नीति को लागू करने की मांग का समर्थन करेगा।
- डेयरी उद्योग के प्रतिनिधियों का सुझाव है कि अधिशेष दुग्ध उत्पादन की स्थिति में दूध की खपत हेतु मिड-डे-मील की भाँति एक अन्य वैकल्पिक व्यवस्था किये जाने की आवश्यकता है।