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शासन व्यवस्था

फास्टैग और आवागमन की स्वतंत्रता का अधिकार

  • 19 Apr 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर चलने वाले सभी वाहनों के लिये FASTag (इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम) को अनिवार्य बनाना किसी भी तरह से आवागमन की स्वतंत्रता के नागरिकों के मौलिक अधिकार को भंग नहीं करता है।

  • केंद्र के राष्ट्रीय राजमार्गों पर सभी वाहनों के लिये अनिवार्य FASTag, इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह चिप, अनिवार्य करने के फैसले को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका कोर्ट में दाखिल की गई है।

प्रमुख बिंदु: 

फास्टैग (FASTag) के बारे:

  • फास्टैग एक पुनः लोड करने योग्य (reloadable) टैग है जो स्वचालित रूप से टोल शुल्कों को काट लेता है और वाहनों को बिना रुके टोल शुल्क जमा करने की सुविधा प्रदान करता है।
  • फास्टैग एक रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक है जिसके सक्रिय होने के बाद  वाहन की विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है।
    • RFID के तहत किसी ऑब्जेक्ट से जुड़े टैग पर संग्रहीत जानकारी को पढ़ने और कैप्चर करने के लिये  रेडियो तरंगों का उपयोग किया जाता है।
    • यह टैग कई फीट दूर से वस्तु की पहचान कर सकता है और इसे ट्रैक करने के लिये वस्तु का  प्रत्यक्ष लाइन-ऑफ-व्यू के भीतर होने की आवश्यकता नहीं है।

सरकार की प्रतिक्रिया:

  • फास्टैग यह सुनिश्चित करता है कि निर्बाध यातायात व्यवस्था, यात्रा के समय में कटौती और सभी निर्णय केंद्रीय मोटर वाहन (CMV) नियमों के अनुसार लिये गए हैं।
    • मोटर वाहन संशोधन अधिनियम 2019 की धारा 136 क के अंतर्गत सड़क सुरक्षा की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और प्रवर्तन को मज़बूत बनाया जाएगा।
    • यातायात नियमों के उल्लंघन को रोकने के लिये मज़बूत इलेक्ट्रॉनिक प्रवर्तन की स्थापना हेतु एक कानून का निर्माण है जिसके परिणामस्वरूप मानव हस्तक्षेप और संबंधित भ्रष्टाचार में कमी आएगी।
    • एक मज़बूत इलेक्ट्रॉनिक प्रवर्तन प्रणाली जिसमें स्पीड कैमरा, क्लोज-सर्किट टेलीविज़न कैमरा, स्पीड गन और इस तरह की अन्य तकनीकें शामिल हैं जिससे बड़े पैमाने पर  उल्लंघन की घटनाओं को कैप्चर किया जा सकेगा।
  • जिन वाहनों में फास्टैग नहीं था, उनमें चिप लगाने के लिये नेशनल हाईवे के सभी टोल प्लाज़ा पर प्रावधान किये गए थे।
    • ऐसे मामलों में जहाँ किसी भी कारण से फास्टैग वाले वाहनों को निगमित करना संभव नहीं था उन्हें फास्टैग लेन के बिल्कुल बाई तरफ वाहनों को राजमार्गों पर चलाने की अनुमति थी।
    • हालाँकि ऐसे वाहनों को टोल राशि का दोगुना भुगतान करना पड़ता था।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दर निर्धारण एवं संग्रह) नियम, 2008 के अनुसार, टोल प्लाज़ा में फास्टैग लेन केवल फास्टैग उपयोगकर्त्ताओं की आवाजाही के लिये आरक्षित होती है। इस नियम के अंतर्गत प्रावधान है कि गैर-फास्टैग उपयोगकर्त्ताओं द्वारा फास्टैग लेन से गुज़रने पर उनसे दोहरा शुल्क वसूला जाता है।
  • ऐसी याचिकाओं को दर्ज करने से भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को "अपूरणीय क्षति" होगी ।

आवागमन की स्वतंत्रता का अधिकार

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के अंतर्गत भ्रमण या आवागमन की स्वतंत्रता के अधिकार का प्रावधान है। यह प्रत्येक नागरिक को देश के पूरे क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से आने जाने का अधिकार देता है।
  • यह अधिकार केवल राज्य के खिलाफ सुरक्षित है, न कि निजी व्यक्तियों के खिलाफ। इसके अलावा यह केवल नागरिकों और किसी कंपनी के शेयरधारकों के लिये उपलब्ध है, लेकिन विदेशी या कानूनी व्यक्तियों जैसे कंपनियों या निगमों, आदि के लिये नहीं।
  • इस स्वतंत्रता पर प्रतिबंध केवल दो आधारों पर लगाया जा सकता  हैं जो संविधान के अनुच्छेद 19 में वर्णित हैं, अर्थात् आम जनता के हित और किसी अनुसूचित जनजाति के हितों की रक्षा।
    • जनजातीय क्षेत्रों में बाहरी लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित है क्योंकि इसमें अनुसूचित जनजातियों की विशिष्ट संस्कृति, भाषा, रीति-रिवाजों और शिष्टाचार की रक्षा एवं शोषण के खिलाफ उनके पारंपरिक व्यवसाय तथा  मूल्यों  की रक्षा करने का प्रावधान है।
    • सुप्रीम कोर्ट ने माना कि वेश्याओं के आंदोलन का अधिकार सार्वजनिक स्वास्थ्य के आधार पर और सार्वजनिक नैतिकता के हित में प्रतिबंधित किया जा सकता है। 
  • आवागमन की स्वतंत्रता के दो आयाम हैं, आंतरिक (देश के भीतर जाने का अधिकार) और बाह्य (देश से बाहर जाने का अधिकार और देश में वापस आने का अधिकार)।
    • अनुच्छेद 19 केवल पहले आयाम की रक्षा करता है। दूसरे आयाम का प्रावधान अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के अंतर्गत शामिल है।

स्रोत- द हिंदू

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