इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली न्यूज़


प्रौद्योगिकी

नदी पारिस्थितिकी पर छोटे बांधों का भी गंभीर प्रभाव

  • 12 Jun 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

ऐसा माना जाता है कि छोटे बांध बड़े बांधों की तुलना में कम पर्यावरणीय समस्याओं का कारण बनते हैं। लेकिन भारत में छोटी जल विद्युत परियोजनाओं पर पहला अध्ययन साबित करता है कि छोटे बांध भी बड़े बांधों की तरह गंभीर पारिस्थितिकीय प्रभाव उत्पन्न करते हैं, जिसमें मछली समुदायों में परिवर्तन और नदी के प्रवाह का बदलना शामिल है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु 

  • यह देखने के लिये कि वास्तव में ऐसे छोटे बांध कितने पर्यावरण अनुकूल हैं, बंगलूरू फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल रिसर्च, एडवोकेसी एंड लर्निंग (FERAL) तथा अन्य संगठनों के वैज्ञानिकों ने तीन सहायक नदियों की लगभग 50 किलोमीटर क्षेत्र का तुलनात्मक अध्ययन किया|
  • इसमें पश्चिम में नेत्रवती नदी के दो बांध तथा कर्नाटक के घाट शामिल हैं|
  • उन्होंने तीन ज़ोनों का विस्तार से अध्ययन किया, बांध (अपस्ट्रीम) के ऊपर, बांध की दीवार और पावरहाउस के बीच का क्षेत्र जहाँ  कभी-कभी पानी बिल्कुल नहीं होता है तथा पावरहाउस से नीचे (downstream) जो कि पूरी तरह से जल रहित होता है|
  • यहां, उन्होंने पानी की गहराई और चौड़ाई में अंतर का अध्ययन किया, जो दर्शाता है कि नदी के बाशिंदों (denizens)  के लिये कितना आवास उपलब्ध है  और विघटित ऑक्सीजन सामग्री और पानी के तापमान सहित अन्य कारकों के माध्यम से आवासीय गुणवत्ता कैसी है|
  • उनके द्वारा किये गए अध्ययन के परिणामों से ज्ञात हुआ कि अवरुद्ध भाग के जल प्रवाह में हुए परिवर्तन ने धारा की गहराई और चौड़ाई को कम कर दिया है साथ ही इन हिस्सों में पानी भी गर्म था और घुलित ऑक्सीजन का स्तर भी कम था।
  • ये परिवर्तन 'जल निष्कासित' क्षेत्रों में सबसे स्पष्ट थे जबकि सूखे भागों में और भी खराब हो गए थे।

प्राकृतिक वास की गुणवत्ता

  • प्राकृतिक वास की मात्रा और गुणवत्ता में कमी का असर मछलियों की  विविधता में भी दिखाई दिया।
  • टीम द्वारा अध्ययन के दौरान अनियमित हिस्सों में मछली प्रजातियों की एक उच्च विविधता दर्ज की गई है, जिसमें स्थानिक प्रजातियाँ (जो केवल पश्चिमी घाटों में देखी गई हैं) शामिल हैं।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार, अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम का फैलाव वियोजित हो जाने से नदी के प्रवाह में बाधा आती है|
  • घाटों में नदियों पर काफी संख्या में बनने वाली ऐसी छोटी जलविद्युत परियोजनाओं को गंभीर चिंता का विषय माना गया है  क्योंकि इनके लिये पर्यावरणीय प्रभाव आकलन की आवश्यकता नहीं होती है।
  • सवाल छोटे बनाम बड़े बांधों का नहीं है, यदि उचित विनियम हैं तो छोटे बांध बुरे नहीं होते हैं|
  • विनियमों में नदी के बेसिन में बांधों की संख्या सीमित करना या उस नदी के बहाव पर बांधों के बीच न्यूनतम दूरी को बनाए रखना शामिल हो सकता है।

जल विद्युत परियोजना 

  • ऐसे हाइड्रोप्रोजेक्ट्स, जो आमतौर पर 25 मेगावाट से कम बिजली उत्पन्न करते हैं तथा नदी में दीवार बनाकर पानी को रोका जाता है जो नदी के प्रवाह में बाधा डालते हैं, एक बड़ी पाइप द्वारा एकत्रित पानी को टरबाइन के माध्यम से पावरहाउस में बिजली उत्पन्न करने के लिये प्रयोग किया जाता है और फिर कैनाल द्वारा पानी को वापस नदी में छोड़ दिया जाता है|
  • इन्हें  बड़े बांधों से बेहतर माना जाता है क्योंकि ये कम क्षेत्रों को जल प्लावित करते हैं और नदी के प्रवाह को बहुत कम प्रभावित करते हैं।
  • ऐसी परियोजनाओं को पर्यावरण अनुकूल होने के लिये वित्तीय सब्सिडी मिलती है यहाँ तक कि कार्बन क्रेडिट भी।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2