उचित मूल्य की दुकानों पर इलेक्ट्रॉनिक माप तौल मशीनें | 23 Jun 2021
प्रिलिम्स के लिये:खाद्य सुरक्षा (राज्य सरकार के लिये सहायता नियम) 2015, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) मेन्स के लिये:उचित मूल्य की दुकानों पर इलेक्ट्रॉनिक माप तौल मशीनों की महत्ता, सार्वजनिक वितरण प्रणाली में और अधिक सुधार हेतु प्रयास |
चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से राशन की दुकानों हेतु इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल डिवाइस बचत (ePoS) से इलेक्ट्रॉनिक तौल मशीन खरीदने को कहा है।
- इसके लिये उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने ई-पीओएस उपकरणों के विवेकपूर्ण उपयोग के माध्यम से बचत करने हेतु राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिये खाद्य सुरक्षा नियम (राज्य सरकार के लिये सहायता नियम) 2015 में संशोधन किया है।
प्रमुख बिंदु
खाद्य सुरक्षा (राज्य सरकार के लिये सहायता नियम) 2015:
- उचित मूल्य की दुकानों के लिये अतिरिक्त मार्जिन: सभी स्तरों पर लेनदेन की पारदर्शी रिकॉर्डिंग सुनिश्चित करने हेतु प्रोत्साहन के रूप में ePoS के माध्यम से बिक्री के लिये उचित मूल्य की दुकान के डीलरों को अतिरिक्त मार्जिन देने के लिये नियम अधिसूचित किये गए थे।
- ePoS के माध्यम से बेचे जाने वाले खाद्यान्न पर मार्जिन को "उचित मूल्य की दुकान पर डीलर मार्जिन" के रूप में प्रदान किया जाता है।
- यह पॉइंट ऑफ़ सेल डिवाइस की खरीद, संचालन और रखरखाव की लागत, इसके संचालन के खर्च और इसके उपयोग के लिये प्रोत्साहन हेतु किये गए प्रयासों में से एक है।
संशोधन के लाभ:
- इलेक्ट्रॉनिक तौल तराजू के साथ ईपीओएस उपकरणों का एकीकरण, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के तहत सब्सिडी वाले खाद्यान्न के वितरण में लाभार्थियों को उनकी पात्रता के अनुसार लाभान्वित करेगा।
- यह सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) व्यवस्था में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा। इससे खाद्यान्न का रिसाव कम होगा।
- ईपीओएस उपकरणों के माध्यम से बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण द्वारा लक्षित लाभार्थी को सब्सिडी वाला खाद्यान्न प्रदान किया जाता है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013
- अधिसूचित: 10 सितंबर, 2013
- उद्देश्य: सम्मान के साथ जीवन जीने के लिये लोगों को सस्ती कीमतों पर पर्याप्त मात्रा में गुणवत्तापूर्ण भोजन तक पहुँच सुनिश्चित करके खाद्य और पोषण सुरक्षा प्रदान करना।
- कवरेज: लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने के लिये 75% ग्रामीण आबादी और 50% शहरी आबादी को कवरेज प्रदान किया गया है।
- NFSA कुल आबादी का लगभग 67% हिस्सा पूरा करता है।
- नीति आयोग ने NFSA के तहत ग्रामीण और शहरी कवरेज को क्रमशः 60% और 40% तक कम करने की सिफारिश की है।
पात्रता:
- राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्राथमिकता वाले परिवारों को TPDS के तहत कवर किया जाना है।
- मौजूदा अंत्योदय अन्न योजना के अंतर्गत आने वाले परिवार।
प्रावधान:
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत गरीबों को 2 रुपए प्रति किलो गेहूँ और 3 रुपए प्रति किलो चावल देने की व्यवस्था की गई है। इस कानून के तहत व्यवस्था है कि लाभार्थियों को उनके लिये निर्धारित खाद्यान्न हर हाल में मिले, इसके लिये खाद्यान्न की आपूर्ति न होने की स्थिति में खाद्य सुरक्षा भत्ते के भुगतान के नियम को जनवरी 2015 में लागू किया गया।
- इस अधिनियम के तहत समाज के अति निर्धन वर्ग के प्रत्येक परिवार को प्रत्येक माह अंत्योदय अन्न योजना में सब्सिडी दरों पर यानी तीन रुपए, दो रुपए, एक रुपए प्रति किलो चावल, गेहूँ और मोटा अनाज मिल रहा है।
- मौजूदा AAY परिवार को प्रतिमाह प्रति परिवार 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्राप्त होता रहेगा।
- गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को गर्भावस्था के दौरान और बच्चे के जन्म के छह महीने बाद तक 6,000 रुपए की राशि प्रदान करना।
- 14 वर्ष तक के बच्चों को भोजन।
- खाद्यान्न या भोजन की आपूर्ति न होने की स्थिति में लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा भत्ता।
- ज़िला और राज्य स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS):
- PDS उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत स्थापित एक भारतीय खाद्य सुरक्षा प्रणाली है।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) कम कीमत पर अनाज के वितरण और आपातकालीन स्थितियों में प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिये लाई गई एक प्रणाली है।
- जून 1997 में भारत सरकार ने गरीबों पर ध्यान केंद्रित करते हुए लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) शुरू की।
कार्य प्रणाली:
- चिन्हित लाभार्थियों को खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिये केंद्र और राज्य सरकारें ज़िम्मेदारियों को साझा करती हैं।
- केंद्र किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खाद्यान्न खरीदता है और इसे केंद्रीय निर्गम मूल्य पर राज्यों को बेचता है। यह प्रत्येक राज्य में अनाज को गोदामों तक पहुँचाने के लिये ज़िम्मेदार है।
- इन गोदामों से प्रत्येक उचित मूल्य की दुकान (राशन की दुकान) तक खाद्यान्न पहुँचाने की ज़िम्मेदारी राज्यों की है, जहाँ लाभार्थी कम केंद्रीय निर्गम मूल्य पर खाद्यान्न खरीदता है।
- कई राज्य लाभार्थियों को अनाज बेचने से पहले उसकी कीमत में और सब्सिडी देते हैं।