ई-वे बिल : क्या और कैसे का स्पष्टीकरण | 02 Apr 2018
चर्चा में क्यों?
जीएसटी के तहत शुरू किया गया इलेक्ट्रानिक वे बिल (ई-वे बिल) सिस्टम 1 अप्रैल से देश भर में लागू हो गया है। फिलहाल ई-वे बिल सिस्टम को पचास हज़ार रुपए से अधिक के सामान को सड़क, रेल, वायु या जलमार्ग से एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने पर लागू किया गया है। ई-वे बिल को किस प्रकार प्रबंधित किया जाएगा तथा किस प्रकार से इसका निर्धारण किया जाएगा? इसके विषय में अभी तक संशय की स्थिति बनी हुई है। इस स्थिति से उबरने के लिये ही हमने इस लेख में इस मुद्दे से संबंधित सभी पक्षों पर विचार करने का प्रयास किया है?
क्या है ई-वे बिल सिस्टम?
- ई-वे बिल, जी.एस.टी. के तहत एक बिल प्रणाली है जो वस्तुओं के हस्तांतरण की स्थिति में जारी की जाती है। इसमें हस्तांतरित की जाने वाली वस्तुओं का विवरण तथा उस पर लगने वाले जी.एस.टी. की पूरी जानकारी होती है।
- नियमानुसार 50000 रुपए से अधिक मूल्य की वस्तु, जिसका हस्तांतरण 10 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक किया जाना है, उस पर इसे आरोपित करना आवश्यक होगा। जनता की सुविधा के लिये लिक्विड पेट्रोलियम गैस, खाद्य वस्तुओं, गहने इत्यादि 150 उत्पादों को इससे मुक्त रखा गया है।
एक स्थिति के अनुसार
- यहाँ हमने ई-वे बिल के अधिरोपण हेतु एक स्थिति प्रस्तुत की है जिसके मध्यम से हम समझने का प्रयास करेंगे कि ई-वे बिल सिस्टम का निर्धारण किस प्रकार किया जाएगा?
- एक स्थिति की कल्पना कीजिये जहाँ किसी माल को शहर A से शहर B तक ले जाने के लिये एक प्रेषक की आवश्यकता है। वह प्रेषक अपने सामान के परिचालन के लिये परिवाहक a को नियुक्त करता है।
- परिवाहक a, शहर A से शहर C तक माल ले जाता है। सामान के परिचालन को पूरा करने के लिये अर्थात् शहर C से शहर B तक सामान पहुँचाने के लिये परिवाहक a अब सामान को परिवाहक b को सौंपता है।
- उसके बाद सामान गंतव्य स्थान पर ले जाया जाता है अर्थात् परिवाहक b द्वारा शहर C से शहर B तक सामान पहुँचाया जाता है। ऐसी स्थिति में ई-वे बिल का निर्धारण किस प्रकार किया जाएगा?
ई-वे बिल का निर्धारण
- ऐसी स्थिति में ई-वे बिल किस प्रकार सहायक साबित होगा, आइये यह देखते है। अब इस स्थिति में जीएसटी के एक फॉर्म ईडब्ल्यूबी-01 के भाग A को प्रेषक द्वारा भरा जा सकता है। इसके बाद प्रेषक द्वारा ई-वे बिल को परिवाहक a को सौंपा जाएगा।
- परिवाहक a, जीएसटी फॉर्म ईडब्ल्यूबी-01 के भाग बी में वाहन विवरण आदि भरेगा और सामान को शहर A से शहर C तक पहुँचाएगा। शहर C तक सामान पहुँचने पर, परिवाहक a इस ई-वे बिल को परिवाहक b को सौंप देगा।
- उसके बाद, परिवाहक b जीएसटी फॉर्म ईडब्ल्यूबी-01 के भाग बी के विवरण को अपडेट करेगा। परिवाहक b अपने वाहन का विवरण भरेगा और शहर C से शहर B तक सामान लेकर जाएगा।
एक अन्य स्थिति के अनुसार
- अब एक ऐसी स्थिति पर विचार करते है जहाँ मालवाहक अपने सामान को शुक्रवार को परिवहन के लिये परिवाहक को सौंपता है लेकिन परिवाहक सोमवार को सामान का परिचालन शुरू करता है। ऐसी स्थिति में ई-वे बिल की वैधता की गणना कैसे की जाएगी?
ई-वे बिल का निर्धारण
- ऐसी किसी स्थिति में जीएसटी फॉर्म ईडब्ल्यूबी-01 के भाग बी में परिवाहक द्वारा पहली बार विवरण दिये जाने के बाद ई-वे बिल की वैधता अवधि आरंभ हो जाती है।
- ऊपर दी गई परिस्थिति में, प्रेषक शुक्रवार को जीएसटी फॉर्म ईडब्ल्यूबी-01 के भाग ए में विवरण भरता है और अपने सामान को परिवाहक को सौंप सकता है।
- जब परिवाहक सामान को पहुँचाने के लिये तैयार होता है, वह जीएसटी फॉर्म ईडब्ल्यूबी-01 के भाग बी को भरता है अर्थात परिवाहक जीएसटी फॉर्म ईडब्ल्यूबी-01 के भाग बी को सोमवार को भरता है, इस प्रकार ई-वे बिल की वैधता अवधि सोमवार से आरंभ होती है।
ई-वे बिल प्रणाली की उपयोगिता
- इससे कर योग्य वस्तु पर निगरानी रखना आसान होगा तथा कर चोरी में कमी आएगी। इससे पूर्व वैट के तहत भी वस्तुओं के अंतर-राज्यीय हस्तांतरण पर कर एवं बिल के प्रावधान थे। इस बिल के जारी होने से अंतर-राज्यीय स्तर पर भी इसका विस्तार होगा।
- इससे संपूर्ण भारत में जी.एस.टी. के निर्धारण में एकरूपता आएगी और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
- सरकार का कर संग्रहण बढ़ेगा और उसका प्रयोग सामाजिक आर्थिक समावेशन में होगा।
- वस्तुओं की आवाजाही का रिकॉर्ड रखने से उनके लिये उत्तरदायित्व तय किये जा सकेंगे, इससे अपराधों में भी कमी आ सकती है।
पहले दिन की सफलता
- वित्त मंत्रालय द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, इस नए सिस्टम से पहले ही दिन में तकरीबन 1.7 लाख से अधिक ई-वे बिल उत्पन्न हुए हैं।
- ई-वे बिल पोर्टल पर अभी तक कुल 10,96,905 करदाताओं द्वारा पंजीकरण कराया गया है। इसके अतिरिक्त 19,796 ट्रांसपोर्टरों ने भी पोर्टल पर पंजीकरण कराया है। हालाँकि वे जीएसटी चक्र में शामिल नहीं हैं।