भारतीय अर्थव्यवस्था
राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग विधेयक मसौदा
- 20 Dec 2019
- 7 min read
प्रीलिम्स के लिये
राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग, संरचना
मेन्स के लिये
देश की आर्थिक संवृद्धि के मूल्यांकन में राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग की भूमिका
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सरकार द्वारा सांख्यिकी आँकड़ों पर देश की सर्वोच्च सलाहकार संस्था की स्वायत्तता बढ़ाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (National Statistical Commission-NSC) विधेयक पर मसौदा तैयार किया है तथा इस पर लोगों से प्रतिक्रिया मांगी गई है।
मुख्य बिंदु:
- इस विधेयक के मसौदे में राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग को देश के सभी सांख्यिकी मामलों के लिये सर्वोच्च तथा स्वायत्त बनाने का प्रावधान किया गया है और इसकी संरचना में भी परिवर्तन का प्रावधान किया गया है।
- इस मसौदे के अंतर्गत NSC की सलाहकार संस्था की भूमिका को बनाए रखते हुए यह प्रावधान किया गया है कि नीतियों से संबंधित प्रश्नों पर अंतिम निर्णय सरकार करेगी।
- भारत सरकार के सांख्यिकी तथा कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation- MoSPI) द्वारा 19 जनवरी, 2020 तक लोगों से इस मसौदे पर सुझाव एवं प्रतिक्रियाएँ मांगी गई हैं।
- ध्यातव्य है कि सरकार द्वारा हाल की कई सांख्यिकी आधारित रिपोर्टें नहीं जारी की गईं जिनमें बेरोज़गारी सर्वेक्षण (Unemployment Survey) तथा उपभोग व्यय सर्वेक्षण (Consumption Expenditure Survey) आदि शामिल थे।
राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग:
- जनवरी, 2000 में सरकार ने डॉ. सी. रंगराजन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जिसका उद्देश्य देश की समस्त सांख्यिकी प्रणाली तथा सरकार के सांख्यिकी आँकड़ों की समीक्षा करना था।
- अगस्त, 2000 में डॉ. सी. रंगराजन द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में सांख्यिकी के लिये एक राष्ट्रीय आयोग के गठन की बात कही गई।
- इसका कार्य देश की सभी प्रमुख सांख्यिकी गतिविधियों की निगरानी, विकास तथा इनके लिये उत्तरदायी विभिन्न संस्थाओं के मध्य सहयोग स्थापित करना था।
- रंगराजन समिति का सुझाव था कि शुरुआत में इस आयोग का गठन सरकार के आदेश द्वारा हो।
- समिति की अनुशंसा पर 1 जून, 2005 को राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग का गठन किया गया।
- इसमें एक अध्यक्ष, चार सदस्य, एक पदेन सदस्य तथा भारत के मुख्य सांख्यिकीविद् को NSC का सचिव बनाया गया।
- वर्तमान में नीति आयोग का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (Chief Executive Officer-CEO) NSC का पदेन सदस्य सदस्य (Ex-Officio Member) होता है।
- सांख्यिकी तथा कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव को भारत का मुख्य सांख्यिकीविद् (Chief Statistician of India-CSI) कहा जाता है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग विधेयक मसौदे के प्रमुख बिंदु:
- NSC की संरचना में बदलाव करते हुए इसके पदेन सदस्य के तौर पर नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के स्थान पर वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार (Chief Economic Advisor) को नियुक्त किया जाएगा।
- इसके अलावा वर्तमान में मौजूद NSC के सचिव को पहले की तरह भारत का मुख्य सांख्यिकीविद् ही कहा जाएगा।
- इसके तहत NSC में एक अध्यक्ष तथा पाँच पूर्णकालिक सदस्य होंगे। इसके अतिरिक्त अन्य सदस्य के तौर पर भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) के डिप्टी गवर्नर, भारत के मुख्य सांख्यिकीविद् तथा पदेन सदस्य के तौर पर वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार इसमें शामिल होंगे।
- NSC के अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति एक सर्च कमिटी की सलाह पर भारत सरकार द्वारा की जाएगी। सर्च कमिटी के किसी सदस्य की गैर मौजूदगी में हुई नियुक्ति को अमान्य नहीं माना जाएगा।
- भारत सरकार आवश्यकता पड़ने पर भारत की एकता और अखंडता, राज्यों की सुरक्षा, विदेशी राज्यों से मैत्रीपूर्ण संबंध, लोक व्यवस्था, अनुशासन तथा नैतिकता आदि हितों को ध्यान में रखते हुए में NSC को दिशा-निर्देश दे सकती है।
- विधेयक के अनुसार, NSC अपनी शक्तियों के प्रयोग अथवा कार्यों के कार्यान्वयन के दौरान सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को मानने के लिये बाध्य होगा।
- सरकारी आँकड़ों से संबंधित किसी मामले पर भारत सरकार NSC से सलाह मांग सकती है।
- इसके अलावा केंद्र सरकार या राज्य सरकार अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाली किसी सरकारी एजेंसी से NSC की सलाह को स्वीकार न करने के कारणों पर रिपोर्ट मांग सकती है।
- NSC की सलाह न मानने के कारणों पर बनाई गई रिपोर्ट संसद अथवा संबंधित राज्य की विधायिका में 30 दिनों के लिये प्रस्तुत की जाएगी।
- NSC को यह अधिकार होगा कि वह देश की किसी सरकारी संस्था की सांख्यिकी प्रणाली में निहित अवधारणा, परिभाषा, मानक, कार्य-पद्धति तथा नीतियों के संबंध में परामर्श दे।
- मसौदे में कहा गया है कि NSC सरकार से विचार-विमर्श के आधार पर राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (National Statistical Organisations- NSO) की कार्य-पद्धति, सांख्यिकी मानकों तथा वर्गीकरण के मामलों में भागीदारी करे।
- केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों तथा राज्य सरकारों में नियुक्त सभी नोडल अधिकारी सांख्यिकी के मूलभूत मामलों पर भारत के मुख्य सांख्यिकीविद् के प्रति उत्तरदायी होंगे।