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महाराष्ट्र में नए डॉप्लर रडार: IMD

  • 24 Jun 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत मौसम विज्ञान विभाग, डॉप्लर वेदर रडार, रडार

मेन्स के लिये:

महत्त्वपूर्ण नहीं

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD) ने घोषणा की है कि वह वर्ष 2021 में मुंबई सहित महाराष्ट्र में सात नए डॉप्लर रडार (Doppler Radars) स्थापित करेगा।

  • जनवरी 2021 में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने हिमालय पर मौसम परिवर्तन की सूक्ष्मता से निगरानी करने हेतु स्वदेशी रूप से निर्मित दस में से दो एक्स-बैंड डॉप्लर वेदर रडार (Doppler Weather Radars- DWR) को चालू किया था।

प्रमुख बिंदु:

परिचय:

  • आमतौर पर IMD द्वारा अलग-अलग आवृत्तियों (एस-बैंड, सी-बैंड और एक्स-बैंड) के डॉप्लर रडार का उपयोग लगभग 500 किमी. के कवरेज़ क्षेत्र में मौसम प्रणालियों, क्लाउड बैंड और गेज वर्षा की गति का पता लगाने तथा ट्रैक करने के लिये किया जाता है।
  • मुंबई के ऊपर चार एक्स-बैंड और एक सी-बैंड रडार स्थापित किये जाएंगे। इसके अलावा रत्नागिरी में एक नया सी-बैंड और वेंगुर्ला में एक एक्स-बैंड स्थापित किया जाएगा। प्रत्येक रडार कई उद्देश्यों के लिये कार्य करेगा।

मौज़ूदा रडार:

  • पूर्वी तट: कोलकाता, पारादीप, गोपालपुर, विशाखापत्तनम, मछलीपट्टनम, श्रीहरिकोटा, कराईकल और चेन्नई।
  • पश्चिमी तट: तिरुवनंतपुरम, कोच्चि, गोवा और मुंबई।
  • अन्य रडार: श्रीनगर, पटियाला, कुफरी, दिल्ली, मुक्तेश्वर, जयपुर, भुज, लखनऊ, पटना, मोहनबार, अगरतला, सोहरा, भोपाल, हैदराबाद और नागपुर।

महत्त्व:

  • ये रडार, चरम मौसम की घटनाओं जैसे चक्रवात और भारी वर्षा के समय मौसम विज्ञानियों का मार्गदर्शन करेंगी।
  • चूँकि रडार अवलोकन हर 10 मिनट में अपडेट किये जाएंगे इसलिये पूर्वानुमानकर्त्ता मौसम प्रणालियों के विकास के साथ-साथ उनकी अलग-अलग तीव्रताओं को ट्रैक करने में सक्षम होंगे और तदनुसार मौसम की घटनाओं तथा उनके प्रभाव की भविष्यवाणी कर सकेंगे।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD):

  • IMD की स्थापना वर्ष 1875 में की गई थी।
  • यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक एजेंसी है।
  • यह मौसम संबंधी जानकारियों, मौसम पूर्वानुमान तथा भूकंपीय विज्ञान से संबंधित प्रमुख एजेंसी है।

रडार:

रडार (Radio Detection and Ranging):

  • यह एक ऐसा उपकरण है जो स्थान (गति और दिशा), ऊँचाई और तीव्रता, गतिमान एवं गैर-गतिमान वस्तुओं की आवाजाही का पता लगाने के लिये सूक्ष्म तरंगीय क्षेत्र में विद्युत चुंबकीय तरंगों का उपयोग करता है।

डॉप्लर रडार:

  • यह एक विशेष रडार है जो एक दूसरे से कुछ दूरी पर स्थित वस्तुओं के वेग से संबंधित आँकड़ों को एकत्रित करने के लिये डॉप्लर प्रभाव का उपयोग करता है।
    • डॉप्लर प्रभाव: किसी तरंग स्रोत तथा प्रेक्षक के मध्य सापेक्षिक गति के कारण प्रेक्षक को तरंग की आवृत्ति बदली हुई प्रतीत होती है। तरंग की आवृत्ति में इस आभासी परिवर्तन को डॉप्लर प्रभाव या डॉप्लर परिवर्तन (Doppler Shift) कहते हैं।

Doppler-Effect

  • यह एक वांछित लक्ष्य (वस्तु) को माइक्रोवेव सिग्नल के माध्यम से लक्षित करता है और विश्लेषण करता है कि लक्षित वस्तु की गति ने वापस आने वाले सिग्नलों की आवृत्ति को कैसे बदल दिया है।
  • यह रूपांतरण रडार के सापेक्ष लक्ष्य के वेग के रेडियल घटक का प्रत्यक्ष और अत्यधिक सटीक माप देती है।

डॉप्लर वेदर रडार (DWR):

  • डॉप्लर सिद्धांत के आधार पर रडार को एक ‘पैराबॉलिक डिश एंटीना’ (Parabolic Dish Antenna) और एक फोम सैंडविच स्फेरिकल रेडोम (Foam Sandwich Spherical Radome) का उपयोग कर मौसम पूर्वानुमान एवं निगरानी की सटीकता में सुधार करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • DWR में वर्षा की तीव्रता, वायु प्रवणता और वेग को मापने के उपकरण लगे होते हैं जो चक्रवात के केंद्र और धूल के बवंडर की दिशा के बारे में सूचित करते हैं।

Magnetic-Waves

डॉप्लर रडार के प्रकार: डॉप्लर रडार को तरंगदैर्ध्य के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है, जैसे- एल( L), एस(S), सी(C), एक्स(X), के(K)

Frequency-Bonds

  • X-बैंड रडार:
    • ये 2.5-4 सेमी. की तरंगदैर्ध्य और 8-12 गीगाहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर कार्य करते हैं। छोटे तरंगदैर्ध्य के कारण X-बैंड रडार अत्यधिक संवेदनशील होते हैं जो सूक्ष्म कणों का पता लगाने में सक्षम होते हैं।
    • इसका उपयोग तूफान और बिजली गिरने का पता लगाने के लिये किया जाता है।
  • C-बैंड रडार:
    • ये रडार 4-8 सेमी की तरंग दैर्ध्य और 4-8 गीगाहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर कार्य करते हैं। तरंग दैर्ध्य और आवृत्ति के कारण, डिश का आकार बहुत बड़ा होने की आवश्यकता नहीं है।
    • इसमें सिग्नल अधिक आसानी से क्षीण हो जाते हैं, इसलिये इस प्रकार के रडार का उपयोग कम दूरी के मौसम अवलोकन के लिये सबसे उपयुक्त है।
      • यह चक्रवात ट्रैकिंग के समय मार्गदर्शन करता है।
  • S-बैंड रडार:
    • यह 8-15 सेमी की तरंग दैर्ध्य और 2-4 गीगाहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर कार्य करता है। तरंग दैर्ध्य और आवृत्ति के कारण एस बैंड रडार आसानी से क्षीण नहीं होते हैं।
    • यह विशेषता इन्हें निकट और दूर के मौसम के अवलोकन के लिये उपयोगी बनाती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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