सौर और पवन ऊर्जा क्षेत्र के लिये विवाद निपटारा प्रणाली | 22 Jun 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं के क्रियान्वयन को सुगम बनाने के लिये इस क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों और भारतीय सौर ऊर्जा निगम-SECI/NTPC के बीच अनपेक्षित विवादों को अनुबंध शर्तों से इतर निपटाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया गया। इस संदर्भ में एक विवाद निपटारा समिति गठित करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई है।
विवाद निपटान तंत्र की आवश्यकता
सौर और पवन ऊर्जा उद्योग अनपेक्षित विवादों के तेज़ी से निपटान हेतु पिछले कुछ समय से एक समिति के गठन की मांग की जा रही थी। मंत्रालय द्वारा इन मांगों पर गंभीरता से विचार करने के बाद एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रणाली विकसित करने की ज़रूरत महसूस की गई और इसके तहत ही विवाद निपटान समिति के गठन को मंज़ूरी दी गई।
प्रमुख बिंदु:
- नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री के अनुमोदन से एक तीन सदस्यीय विवाद निपटान समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें ऐसे व्यक्ति शामिल होंगे जिनकी सत्यनिष्ठा और ईमानदारी सवालों से परे होगी।
- समिति के सदस्यों की अधिकतम आयु सीमा 70 वर्ष होगी। इनका चयन दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से किया जाएगा ताकि इनके लिये हवाई यात्राओं और होटलों में रहने पर होने वाले खर्च न करने पड़ें।
- सदस्यों की चयन प्रक्रिया ऐसी होगी जिसमें किसी भी तरह के हितों का टकराव न हो।
- विवाद निपटान समिति की व्यवस्था SECI/NTPC के ज़रिये या उनके द्वारा क्रियान्वित सभी तरह की सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं, कार्यक्रमों और योजनाओं पर लागू होगी।
विवाद निपटान समिति द्वारा देखे जाने वाले मामले
SECI द्वारा दिये गए निर्णयों के खिलाफ अपील के सभी मामले:
- बाढ़, भूकंप जैसी सर्वमान्य अप्रत्याशित घटनाओं के कारण सौर पार्क डेवलपरों द्वारा भूमि सौंपने तथा कनेक्टिविटी आदि में होने वाली देरी के कारण समय सीमा बढाए जाने के सभी अनुरोधों का निपटान अनुबंध की शर्तों के कड़े अनुपालन के साथ किया जाएगा।
- ऐसे सभी मामलों में सौर ऊर्जा/पवन ऊर्जा डेवलपरों को अनुबंध में निर्धारित समय-सीमा के अनुरूप समय विस्तार के लिये आवेदन करना होगा। यदि ऐसा नहीं किया गया तो आवेदनों को SECI/NTPC द्वारा अस्वीकार कर दिया जाएगा। यदि आवेदन निर्धारित समय-सीमा में किया जाता है तो ऐसे आवेदनों की जाँच की जाएगी और इस पर निर्णय आवेदन की तारीख से 21 दिन के भीतर सुनाया जाएगा।
- दो या उससे अधिक कारणों के लिये अलग-अलग समय सीमा विस्तार की अनुमति नहीं दी जाएगी।
- यदि डेवलपर SECI/NTPC के निर्णय से संतुष्ट नहीं होते हैं, तो वे 21 दिनों के भीतर विवाद निपटारा समिति के समक्ष उसके द्वारा निर्धारित शुल्क अदा कर अपील कर सकते हैं।
- यह शुल्क किसी भी सूरत में SECI/NTPC के फैसले से पड़ने वाले प्रभाव के 5 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिये। यह शुल्क SECI/NTPC द्वारा संबंधित परियोजनाओं के लिये बनाए गए सुरक्षा कोष में जमा करना होगा। यदि सरकार निपटारा समिति के सुझावों को मानते हुए SECI के आदेश को खारिज कर देती है, तो ऐसी स्थिति में आवेदनकर्त्ता को यह शुल्क वापस कर दिया जाएगा। लेकिन इसके लिये विवाद निपटारा समिति की सिफारिश ज़रूरी होगी और केंद्र सरकार की ओर से इस संबंध में आदेश पारित किया जाएगा। यदि शुल्क वापस नहीं किया जाना है, तो इसे SECI/NTPC के सुरक्षा कोष में जमा कर दिया जाएगा।
अनुबंध के दायरे में नहीं आने वाले समय सीमा बढ़ाये जाने के आवेदन:
अप्रत्याशित मुद्दों/परिस्थितियों से जुड़े ऐसे सभी मामले, जो अनुबंध समझौते के दायरे में नहीं आते हैं। इनमें डेवलपर द्वारा खरीदी जाने वाली ज़मीन, लेकिन सरकार द्वारा नीति या पंजीकरण प्रक्रिया में बदलाव के कारण भूमि आवंटन में हो रही देरी, अदालत द्वारा रोक लगाए जाने के कारण प्रस्तावित कनेक्टिविटी के अनुदान में देरी आदि शामिल हैं। इन्हें DRC के समक्ष विचार के लिये रखा जाएगा, जो आगे मंत्रालय को इस संबंध में अपने सुझाव भेजेगी।
- विवाद निपटारा समिति उसके पास भेजे गए सभी मामलों की जाँच करेगी। इनमें वे मामले भी होंगे, जिसमें डेवलर SECI/NTPC के फैसले से संतुष्ट नहीं होंगे।
- ‘विवाद निपटारा समिति’ की सिफारिशों और उस पर मंत्रालय की राय को 21 दिनों के भीतर नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री के समक्ष अंतिम निर्णय के लिये रखा जाएगा।
- कोई भी निर्णय लेने के लिये विवाद निपटारा समिति संबंधित पक्षों के साथ विस्तार से चर्चा करने और उनकी दलीलें रिकॉर्ड करने के लिये स्वतंत्र है। समिति के समक्ष कोई भी मामला किसी अधिवक्ता के ज़रिये पेश करने की अनुमति नहीं है।