डिकिनसोनिया: प्राचीनतम ज्ञात प्राणी | 16 Feb 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में शोधकर्त्ताओं ने भीमबेटका में तकरीबन 550 मिलियन-वर्ष पुराने प्रारंभिक ज्ञात जानवर ‘डिकिनसोनिया’ के तीन जीवाश्मों की खोज की है।
- ये जीवाश्म ‘भीमबेटका शैलाश्रय में ‘ऑडीटोरियम केव’ नामक स्थान के ऊपरी हिस्से में पाए गए हैं।
नोट
- अब तक यह माना जाता था कि स्पंज सबसे पुराना जीवित जीव था, किंतु वर्तमान में ऐसा कोई सबूत मौजूद नहीं है कि 540 मिलियन वर्ष पूर्व स्पंज जैसे जानवर मौजूद थे।
- पृथ्वी पर जानवरों के सबसे प्रारंभिक साक्ष्य अब 558 मिलियन साल पुराना ‘डिकिनसोनिया’ अथवा अन्य एडिएकरन जानवर के हैं।
प्रमुख बिंदु
‘डिकिनसोनिया’ के बारे में
- खोज
- सितंबर 2018 में शोधकर्त्ताओं की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने विश्व के सबसे पुराने जीवाश्म ‘डिकिनसोनिया’ की खोज करने का दावा किया था, जो कि पहली बार 571 मिलियन से 541 मिलियन वर्ष पूर्व दिखाई दिया था।
- अवधि और क्षेत्र
- यह बेसल जानवर की एक विलुप्त प्रजाति है, जो एडिएकरन काल के दौरान वर्तमान ऑस्ट्रेलिया, रूस और यूक्रेन में रहती थी।
- बेसल जानवर ऐसे जानवर होते हैं, जिनके शरीर की संरचना में रेडियल समरूपता होती है। इनकी शारीरिक संरचना काफी सरल होती है और ये प्रायः डिप्लोब्लासटिक (केवल दो भ्रूण कोशिका परतों से व्युत्पन्न) होते हैं।
- यह बेसल जानवर की एक विलुप्त प्रजाति है, जो एडिएकरन काल के दौरान वर्तमान ऑस्ट्रेलिया, रूस और यूक्रेन में रहती थी।
- संरचना
- पृथ्वी पर जटिल बहुकोशिकीय जीवन के शुरुआती दौर में प्रायः सभी जीवों को शिकारी रहित वातावरण के कारण सख्त सुरक्षात्मक आवरण की आवश्यकता नहीं थी।
- उनकी सरल और स्क्विशी संरचना, नली तथा क्विलटीड पिलोज़ (Quilted Pillows) के आकार की होती थी तथा वे वर्तमान समय के जानवरों की शारीरिक संरचना से समानता रखते थे।
- पृथ्वी पर जटिल बहुकोशिकीय जीवन के शुरुआती दौर में प्रायः सभी जीवों को शिकारी रहित वातावरण के कारण सख्त सुरक्षात्मक आवरण की आवश्यकता नहीं थी।
- वर्गीकरण
- इसकी विशेषताओं के बारे में वर्तमान में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है, इसकी वृद्धि का तरीका एक स्टेम-ग्रुप बिलेटेरियन के समान है, हालाँकि कुछ शोधकर्त्ताओं का सुझाव है कि यह कवक या यहाँ तक कि एक ‘विलुप्त प्राणीजगत’ से संबंधित है।
- ‘डिकिनसोनिया’ के जीवाश्मों में कोलेस्ट्रॉल के अणुओं की खोज इस विचार का समर्थन करती है कि ‘डिकिनसोनिया’ एक जानवर था।
महत्त्व
- यह अतीत के वातावरण यानि पेलियोएनवायरनमेंट (Paleoenvironments) का एक साक्ष्य है और तकरीबन 550 मेगा वर्ष पूर्व गोंडवाना लैंड (Gondwanaland) की उपस्थिति की पुष्टि करता है।
- पेलियोएनवायरनमेंट का आशय प्रायः एक ऐसे परिवेश से है, जिसे चट्टानों के माध्यम से संरक्षित रखा गया है।
- मेगा वर्ष एक मिलियन वर्ष के बराबर समय की एक इकाई है।
- इस इकाई को अतीत में आमतौर पर वैज्ञानिक विषयों जैसे- भू-विज्ञान, जीवाश्म विज्ञान और आकाशीय यांत्रिकी में बहुत लंबे समय को संदर्भित करने हेतु प्रयोग किया जाता है।
- यह खोज वैज्ञानिकों को भू-विज्ञान और जीव विज्ञान के मध्य पारस्परिक संबंध को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकती है, जिसके कारण पृथ्वी पर जटिल जीवन के विकास की शुरुआत हुई।
भीमबेटका गुफाएँ
- इतिहास और काल अवधि
- भीमबेटका गुफाएँ मध्य भारत का एक पुरातात्त्विक स्थल है, जिसकी काल अवधि प्रागैतिहासिक पाषाण काल और मध्य पाषाण काल से लेकर ऐतिहासिक काल तक है।
- यह भारत में मानव जीवन के शुरुआती सकेतकों और पाषाण युग के साक्ष्य को प्रदर्शित करता है।
- तकरीबन 10 किलोमीटर क्षेत्र में फैले यूनेस्को के इस विश्व धरोहर स्थल में कुल सात पहाड़ियाँ और 750 से अधिक गुफाएँ शामिल हैं।
- खोज
- इसकी खोज 1957-58 में डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा की गई थी।
- अवस्थिति
- यह मध्य प्रदेश में होशंगाबाद और भोपाल के बीच रायसेन ज़िले में स्थित है।
- यह विंध्य पर्वत की तलहटी में भोपाल से लगभग 40 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में है।
- यह मध्य प्रदेश में होशंगाबाद और भोपाल के बीच रायसेन ज़िले में स्थित है।
- चित्र
- भीमबेटका की कुछ गुफाओं में प्रागैतिहासिक काल की विशेषताओं वाले गुफा चित्र मौजूद हैं जो कि लगभग 10,000 वर्ष पुराने हैं।
- अधिकांश चित्रों को गुफा की दीवारों पर लाल और सफेद रंग से बनाया गया है।
- यहाँ मौजूद चित्रों में कई तरह के विषयों को कवर किया गया था, जिसमें गायन, नृत्य, शिकार और वहाँ रहने वाले लोगों की अन्य सामान्य गतिविधियाँ आदि शामिल हैं।
- भीमबेटका में सबसे प्राचीन गुफा चित्र लगभग 12,000 वर्ष पूर्व का माना जाता है।