NSCN-IM के साथ सरकार द्वारा समझौते पर हस्ताक्षर | 20 Jul 2018
चर्चा में क्यों?
सरकार ने एक संसदीय पैनल को सूचित किया है कि उसने "विशेष स्थिति" के साथ भारतीय राज्य संघ के भीतर समझौते पर सहमत होने के बाद नेशनल सोशलिस्ट कौंसिल ऑफ नगालैंड-आइसक-मुइवा (NSCN-IM) के साथ एक ढाँचागत समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- यह पहली बार है कि 3 अगस्त, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हस्ताक्षरित इस समझौते का ब्योरा प्रकट हुआ है। समझौते का यह विवरण हाल ही में राज्यसभा में संसदीय स्थायी समिति द्वारा प्रस्तुत पूर्वोत्तर राज्यों की सुरक्षा स्थिति पर 213वीं रिपोर्ट का हिस्सा है।
- समिति को यह भी बताया गया है कि "रूपरेखा" को ढाँचागत समझौते में दर्शाया नहीं गया था, जो "भारत सरकार द्वारा नगा इतिहास की विशिष्टता की मान्यता के बारे में" था| समिति को यह भी बताया गया है कि नगाओं के लिये कुछ विशेष व्यवस्थाएँ की जानी चाहिये|
- यह पूछे जाने पर कि विशेष व्यवस्था क्या होगी, संसदीय पैनल को बताया गया कि नगालैंड के संबंध में संविधान के अनुच्छेद 371A में इस बात को स्पष्ट किया किया गया है कि नगा विशेष हैं और उन्हें विशेष दर्जा दिया गया है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ स्थानीय बदलावों के साथ एक समान प्रकार की स्थिति और पड़ोसी राज्यों में नगाओं की स्थिति में कुछ बदलावों की खोज की जा सकती है।
- रिपोर्ट के अनुसार, नगा अब सरकार के साथ एक आम तालमेल की स्थिति में पहुँच गए हैं| जैसे- "राज्यों की सीमाओं को नहीं छुआ जाएगा" और जहाँ कहीं वे हैं "उनके लिये कुछ विशेष व्यवस्था की जाएगी|”
- सरकार के साथ वार्ता की व्यापक स्थिति के बारे में समिति को अवगत कराया गया है कि किसी भी राज्य की सीमाएँ न तो बदली जाएंगी और न ही बदलेंगी|
- प्रारंभ में नगाओं के रिहायशी क्षेत्रों के एकीकरण के विचार पर मामला अटक गया था क्योंकि उन्होंने दृढ़ता से 'कोई एकीकरण नहीं, कोई समाधान नहीं' के अपने स्टैंड को बनाए रखा।
NSCN-IM क्या चाहता है?
- NSCN-IM 'ग्रेटर नगालैंड' या ‘नगालिम’ के लिये लड़ रहा है। यह 1.2 मिलियन नगाओं को एकजुट करने के लिये पड़ोसी राज्यों असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में नगा-वर्चस्व वाले क्षेत्रों सहित नगालैंड की सीमाओं का विस्तार करना चाहता है। तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपनी सीमाओं के साथ किसी भी फेरबदल के खिलाफ चेतावनी भी दी है।
- सरकार पिछले 20 सालों से NSCN-IM के साथ बात कर रही है| पिछले कई सालों में सरकार ने NSCN-IM के अलावा नागरिक समाज संगठनों, नगा जनजातीय निकायों और अन्य हितधारकों के ज़रिये बातचीत से किसी नतीजे पर पहुँचने का प्रयास किया जा रहा है|
क्या है नगा समझौता?
- पूर्वोत्तर में स्थित नगा समुदाय और नगा संगठन ऐतिहासिक तौर पर नगा बहुल इलाकों को मिलाकर एक ग्रेटर नगालिम राज्य बनाने की लंबे समय से मांग कर रहे हैं।
- ‘नगालिम' या ग्रेटर नगा राज्य का उद्देश्य मणिपुर, असम और अरुणाचल प्रदेश के नगा बहुल इलाकों का नगालिम में विलय करना है। यह देश की पुरानी समस्याओं में से एक है।
- प्रस्तावित ग्रेटर नगालिम राज्य के गठन की मांग के अनुसार, मणिपुर की 60% ज़मीन नगालैंड में जा सकती है। मैतेई और कुकी ये दोनों समुदाय मणिपुर के इलाकों का नगालिम में विलय का विरोध करते हैं।
1997 से चल रही है बातचीत
- यह संगठन इलाके के उन कई संगठनों में शामिल है जो चीन, म्याँमार, बांग्लादेश और भूटान से लगी सीमा के क्षेत्रों में सक्रिय हैं। ग्रेटर नगालिम की मांग को लेकर NSCN-IM नगा होमलैंड की मांग करता रहा है जिसमें पूर्वोत्तर के कई राज्यों के इलाकों के अलावा पड़ोसी म्याँमार के कुछ इलाके भी शामिल होंगे। यह संगठन 1997 से भारत सरकार के साथ बातचीत कर रहा है।