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दिल्ली मास्टर प्लान-2041

  • 09 Sep 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:  

मास्टर प्लान फॉर दिल्ली- 2041, ‘सतत् विकास लक्ष्य’

मेन्स के लिये:

शहरी विकास और प्रदूषण से संबंधित मुद्दे 

चर्चा में क्यों?

दिल्ली विकास प्राधिकरण (Delhi Development Authority- DDA) द्वारा ‘मास्टर प्लान फॉर दिल्ली- 2041’ (Master Plan for Delhi 2041) पर सार्वजनिक परामर्श लिया जा रहा है, गौरतलब है कि ‘मास्टर प्लान फॉर दिल्ली- 2041’  अगले दो दशकों के लिये शहर के विकास का एक विज़न डॉक्यूमेंट है।

प्रमुख बिंदु:

  • ध्यातव्य है कि दिल्ली विकास प्राधिकरण का वर्तमान ‘मास्टर प्लान-2021’ (Master Plan 2021) अगले वर्ष समाप्त हो जाएगा।
    • गौरतलब है कि दिल्ली के विकास के लिये पहला मास्टर प्लान 1 सितंबर, 1962 (वर्ष 1981 के परिपेक्ष्य में) को तथा दूसरा मास्टर प्लान 1 अगस्त, 1990 को जारी किया गया था।
  • इस मसौदे में कई विशेषताएँ हैं परंतु इसमें जल स्रोतों और उसके आस-पास की भूमि पर विशेष ध्यान देकर शहर को नया आकार देने की बात कही गई है।
  • मसौदे में जल स्रोतों और उसके आस-पास की भूमि से जुड़ी इसी नीति को ‘ग्रीन-ब्लू पॉलिसी’ (Green-Blue Policy) कहा गया है।
  • DDA के अनुसार, नए मास्टर प्लान के अंतर्निहित मुख्य सिद्धांत स्थिरता, समावेशिता और निष्पक्षता हैं।

क्या है ‘ग्रीन-ब्लू इंफ्रास्ट्रक्चर?

  • नीली अवसंरचना या ब्लू इंफ्रास्ट्रक्चर (Blue Infrastructure) से आशय नदियों, नहरों, तालाबों, वेटलैंड्स, बाढ़, और जल उपचार केंद्रों जैसे जल निकायों से है।
  • वहीं पेड़, लॉन, झाड़ियों, पार्क, खेत, और जंगल आदि को हरी अवसंरचना या ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर (Green Infrastructure) में शामिल किया गया है।
  • यह शहरी नियोजन की एक अवधारणा है, जहाँ जल निकाय और भूमि ‘अन्योन्याश्रित’ (Interdependent) होते हैं तथा पर्यावरणीय एवं सामाजिक लाभ उपलब्ध कराते हुए एक दूसरे की सहायता से विकसित होते हैं।

कार्य योजना:  

  • DDA द्वारा इसके पहले चरण के तहत ‘एजेंसियों की बहुलता’ (Multiplicity of Agencies) (जैसे- दिल्ली जल बोर्ड, बाढ़ और सिंचाई विभाग, और नगर निगम आदि) की समस्या से निपटने की योजना बनाई जा रही है। 
  • इसके तहत DDA द्वारा पहले क्षेत्राधिकार से जुड़े मुद्दों पर, नालियों और उसके आस-पास के क्षेत्र पर विभिन्न एजेंसियों द्वारा किये जा रहे काम पर जानकारी जुटाने का कार्य किया जाएगा।
  • इसके पश्चात एक व्यापक नीति तैयार की जाएगी, जो सभी एजेंसियों के लिये एक सामान्य दिशा-निर्देश के रूप में कार्य करेगी
    • उदाहरण के लिये-वर्तमान में दिल्ली में लगभग 50 बड़े नाले हैं जिनका प्रबंधन अलग-अलग एजेंसियों द्वारा किया जाता है, इनकी खराब स्थिति और अतिक्रमण जैसी समस्याओं के कारण इनके आस-पास की भूमि भी प्रभावित होती है।
  • DDA द्वारा अन्य एजेंसियों के सहयोग से इन्हें एकीकृत किया जाएगा और अनुपचारित अपशिष्ट जल के स्त्रोत की जाँच कर इन्हें प्रदूषण मुक्त किया जाएगा।

विकास के अन्य प्रयास:

  • वर्तमान योजना के अनुसार, इन क्षेत्रों में योग, खेल , साइकिल चलाने और पैदल चलने की सुविधा, नौका विहार की सुविधा आदि के विकास का प्रयास किया जा सकता है। 
  • साथ ही इन क्षेत्रों में  संग्रहालय, सूचना केंद्र, खुले थिएटर, ग्रीनहाउस, सामुदायिक सब्जी उद्यान, रेस्तरां आदि के विकास को इस परियोजना के हिस्से के रूप में प्रोत्साहित किया जा सकता है। 
  • DDA के अनुसार, सार्वजनिक पहुंच की सीमा, वनस्पति का प्रकार, जल प्रबंधन आदि का निर्धारण अलग-अलग मामलों के आधार पर और वैज्ञानिक आकलन के माध्यम से किया जाएगा तथा इसके पश्चात एकीकृत गलियारों के आस-पास रियल स्टेट का विकास किया जाएगा।

लाभ:

  • DDA के इस प्रयास के माध्यम से अलग-अलग निकायों और विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित कर विकास कार्यों को गति प्रदान करने में सहायता प्राप्त होगी।
  • जल निकास  बेहतर प्रबंधन और ग्रीन मोबिलिटी (Green Mobility) को बढ़ावा देने जैसे प्रयास ‘संयुक्त राष्ट्र’ द्वारा निर्धारित ‘सतत् विकास लक्ष्य’ (Sustainable Development Goal-SDG) को प्राप्त करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है।     

चुनौतियाँ:

  • DDA के लिये विभिन्न निकायों (दिल्ली जल बोर्ड, नगर निगम आदि) को इस परियोजना में हितधारकों के रूप में साथ लाना एक बड़ी चुनौती होगी, विशेषकर जब DDA के पास इन निकायों के ऊपर कोई पर्यवेक्षी शक्ति नहीं है।
  • लंबे समय से खराब प्रबंधन और अतिक्रमण जैसी समस्याओं के कारण DDA के लिये नालों और अन्य जल निकायों की सफाई भी एक जटिल चुनौती होगी।
  • इससे पहले भी DDA द्वारा यमुना नदी में कचरा पाटने की निगरानी के लिये एक विशेष कार्य बल का गठन किया गया था परंतु यह योजना सफल नहीं हो सकी।

आगे की राह:

  • राष्ट्रीय राजधानी के विकास हेतु विभिन्न निकायों के बीच समन्वय बढ़ाना बहुत अधिक आवश्यक होगा।
  • अपशिष्ट जल में प्रदूषण स्तर की जाँच और कचरे के प्रबंधन हेतु आधुनिक तकनीकों जैसे- सेंसर, ड्रोन कैमरे और सैटेलाइट आदि के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
  • जल प्रदूषण और सतत् विकास की अन्य चुनौतियों के संदर्भ में  जन जागरूकता पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये।

दिल्ली विकास प्राधिकरण (Delhi Development Authority- DDA):

  • दिल्ली विकास प्राधिकरण की स्थापना ‘दिल्ली विकास अधिनियम, 1957’ के तहत वर्ष 1957 में की गई थी।

उद्देश्य: 

  • दिल्ली के विकास हेतु एक मास्टर प्लान तैयार करना और इसके अनुरूप विकास को बढ़ावा देना।
  • भवन, इंजीनियरिंग, खनन और अन्य कार्यों को पूरा करना।
  • भूमि और अन्य संपत्ति के अधिग्रहण, धारण, प्रबंधन और निपटान आदि। 

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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