कॉप-25 जलवायु सम्मेलन | 01 Nov 2019

प्रीलिम्स के लिये:

UNFCCC, COP-25

मेन्स के लिये:

COP-25 के आयोजन से संबंधित समस्याएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में चिली ने सेंटियागो में ‘संयुक्त राष्ट्र का जलवायु परिवर्तन पर फ्रेमवर्क कन्वेंशन’ (United Nations Framework Convention On Climate Change- UNFCCC) द्वारा आयोजित जलवायु परिवर्तन सम्मेलन COP-25 की मेज़बानी में असमर्थता जताई है।

मुख्य बिंदु:

  • चिली ने देश में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए 2 दिसंबर से 13 दिसंबर तक होने वाले जलवायु परिवर्तन सम्मेलन COP-25 के आयोजन में असमर्थता जताई है।
  • UNFCCC ने कहा है कि वह इस सम्मेलन की मेज़बानी के लिये वैकल्पिक स्थान की खोज कर रहा है।
  • यदि इस बार COP-25 का आयोजन दिसंबर में नहीं हो पाता है तो 1995 के बाद यह पहली बार होगा जब किसी कैलेंडर वर्ष में UNFCCC के COP सम्मेलन का आयोजन नहीं हुआ।

असमर्थता का कारण:

  • इस सम्मेलन का आयोजन हर वर्ष विश्व के अलग-अलग क्षेत्रों में किया जाता है। इस वर्ष COP-25 के आयोजन की जिम्मेदारी दक्षिण अमेरिका महाद्वीप में स्थित चिली को सौंपी गई थी।
  • चिली में दो सप्ताह पहले हुई उपनगरीय रेल के किराये में वृद्धि को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। यह विरोध प्रदर्शन अब एक बड़े जन आंदोलन में बदल गया है। जिसके माध्यम से अब चिली की जनता अधिक से अधिक समानता, बेहतर सार्वजनिक सुविधाओं तथा संविधान में परिवर्तन की मांग कर रही है।
  • चिली प्रारंभ से ही COP-25 की मेज़बानी को लेकर अनिच्छुक था परंतु दक्षिण अमेरिकी क्षेत्र में किसी अन्य देश द्वारा COP-25 की मेज़बानी स्वीकार नहीं किये जाने पर UNFCCC के आग्रह के बाद चिली ने COP-25 की मेज़बानी स्वीकार की थी।
  • आमतौर पर किसी भी मेज़बान स्थल का निर्धारण दो वर्ष पूर्व किया जाता है ताकि लगभग 20,000 प्रतिनिधियों की भागीदारी वाले सम्मेलन के आयोजन के लिये उचित समय मिल सके।
  • एक मुख्य कारण यह भी है कि दिसंबर 2018 में पोलैंड के कार्टोविस में आयोजित COP-24 सम्मेलन के अंत तक COP-25 के मेजबान का फैसला नहीं हो पाया था क्योंकि चिली और कोस्टारिका के बीच मेज़बानी को लेकर अनिश्चितता बनी रही।
  • चिली ने एक अन्य कारण बताते हुए कहा कि उसने इसी वर्ष नवंबर में ‘एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग’ (Asia Pacific Economic Cooperation- APEC) के प्रमुखों के शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की है, अतः वह दिसंबर में एक और अन्य बड़े सम्मेलन के आयोजन के लिये स्वयं को तैयार नहीं कर सकता।

UNFCCC तथा COP सम्मेलन:

  • UNFCCC जलवायु परिवर्तन पर प्रथम बहुपक्षीय कन्वेंशन था।
  • वर्ष 1992 में आयोजित पृथ्वी शिखर सम्मेलन में तीन कन्वेंशन की घोषणा की गयी थी, उनमें से एक UNFCCC का उद्देश्य जलवायु तंत्र के साथ खतरनाक मानवीय हस्तक्षेप को रोकना है।
  • यह कन्वेंशन 21 मार्च, 1994 से प्रभाव में आया।
  • वर्तमान में 197 देशों ने कन्वेंशन को सत्यापित किया है, यही देश कॉन्फ्रेंस के पार्टीज़ (Parties of the Conference) कहलाते हैं तथा इन्हीं देशों की जलवायु परिवर्तन पर वार्षिक बैठक को COP सम्मेलन कहते हैं ।
  • UNFCCC का प्रथम COP सम्मेलन वर्ष 1995 में बर्लिन में हुआ था।
  • वर्ष 2015 में पेरिस में संपन्न हुए COP-21 में पेरिस समझौते के रूप में जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध एक नई अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था ने जन्म लिया जिसके प्रावधान अगले वर्ष क्योटो प्रोटोकॉल की अवधि समाप्त होने के बाद लागू हो जाएंगे।

अन्य तथ्य:

  • वर्ष 2017 में फिजी ने भी इतने बड़े सम्मेलन के लिये संसाधनों की कमी बताते हुए इसके आयोजन से इनकार कर दिया था तथा उस वर्ष यह सम्मेलन जर्मनी के बॉन में आयोजित किया गया था।
  • अमीर देश आमतौर तौर पर इस सम्मेलन की मेज़बानी से कतराते रहे हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका, पश्चिमी यूरोप के कई देशों तथा ऑस्ट्रेलिया ने इस सम्मेलन की मेज़बानी कभी नहीं की है।
  • यूनाइटेड किंगडम वर्ष 2020 में पहली बार ग्लासगो में COP-26 की मेज़बानी करेगा।
  • COP-सम्मेलन की मेज़बानी पोलैंड चार बार तथा मोरक्को दो बार कर चुका है।

स्रोत-द इंडियन एक्सप्रेस