जैव विविधता और पर्यावरण
जलवायु-प्रेरित प्रवासन और आधुनिक दासता
- 23 Sep 2021
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:आधुनिक दासता, मानव तस्करी, जलवायु परिवर्तन, सुंदरबन मेन्स के लिये:जलवायु परिवर्तन : प्रवासन एवं चुनैतियाँ, आधुनिक दासता के रूप |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण और विकास संस्थान (IIED) तथा एंटी-स्लेवरी इंटरनेशनल ने जलवायु-प्रेरित प्रवासन एवं आधुनिक दासता (Climate-Induced Migration and Modern Slavery) नामक एक रिपोर्ट जारी की।
- IIED एक नीति और कार्य अनुसंधान संगठन है जो सतत् विकास को बढ़ावा देता है तथा स्थानीय प्राथमिकताओं को वैश्विक चुनौतियों से जोड़ता है। यह लंदन, यूके में स्थित है।
- एंटी-स्लेवरी इंटरनेशनल दुनिया का सबसे पुराना अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1839 में हुई थी। यह एकमात्र ब्रिटिश चैरिटी है जो विशेष रूप से सभी प्रकार की गुलामी/दासता को खत्म करने के लिये कार्यरत है।
प्रमुख बिंदु
- बढ़ती असमानताएँ:
- जलवायु परिवर्तन पृथ्वी को नष्ट कर रहा है, जिससे वैश्विक असमानता के साथ-साथ भूमि, जल और दुर्लभ संसाधनों के उपयोग पर विवाद बढ़ रहे हैं।
- बढ़ता प्रवासन:
- संसाधनों और आय की तलाश में लोग देश की सीमाओं के भीतर और बाहर पलायन करने के लिये मजबूर होते हैं।
- वर्ष 2020 में चरम मौसमी घटनाओं के कारण कम-से-कम 55 मिलियन लोग अपने देशों के भीतर आंतरिक रूप से विस्थापित हुए थे।
- विश्व बैंक की ग्राउंड्सवेल रिपोर्ट का अनुमान है कि वर्ष 2050 तक जलवायु संकट का प्रभाव (जैसे- फसल की कम पैदावार, जल की कमी और समुद्र का बढ़ता स्तर) उप-सहारा अफ्रीका, दक्षिण एशिया और लैटिन अमेरिका सहित छह क्षेत्रों में 216 मिलियन से अधिक लोगों को अपने देशों से स्थानांतरित करने के लिये मज़बूर कर सकता है।
- संसाधनों और आय की तलाश में लोग देश की सीमाओं के भीतर और बाहर पलायन करने के लिये मजबूर होते हैं।
- आधुनिक दासता:
- जलवायु परिवर्तन से प्रेरित चरम मौसमी घटनाओं ने महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों को आधुनिक दासता एवं मानव तस्करी जैसे खतरों की ओर धकेल दिया है। इस प्रकार की घटनाएँ अन्य देशों के साथ-साथ भारत में भी बढ़ रही है।
- दुनिया में 40.3 मिलियन लोग दासता में जीवनयापन कर रहे हैं।
- आधुनिक दासता के प्रति संवेदनशीलता के चालक जटिल हैं और जोखिम के कई चरणों से प्रभावित हैं। जबकि कई सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और संस्थागत जोखिम भेद्यता को आकार देते हैं लेकिन उन्हें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और पर्यावरणीय गिरावट से भी खराब माना जाता है।
- जलवायु परिवर्तन से प्रेरित चरम मौसमी घटनाओं ने महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों को आधुनिक दासता एवं मानव तस्करी जैसे खतरों की ओर धकेल दिया है। इस प्रकार की घटनाएँ अन्य देशों के साथ-साथ भारत में भी बढ़ रही है।
- सुंदरबन की स्थिति:
- सुंदरबन क्षेत्र में लोग तीव्र, बार-बार और अचानक शुरू होने वाली आपदाओं से प्रभावित रहते है, इस वजह से सुंदरबन में लाखों लोग वर्ष के अधिकांश समय काम करने में असमर्थ होते हैं।
- सुंदरबन डेल्टा में गंभीर चक्रवात और बाढ़ ने कृषि के लिये भूमि को भी कम कर दिया, जो आजीविका का प्रमुख स्रोत है।
- जबकि सीमावर्ती देशों द्वारा तस्करी पर प्रतिबंध लगाए गए थे फिर भी आपदा प्रभावित क्षेत्र में सक्रिय तस्करों द्वारा उन विधवाओं और पुरुषों को लक्षित किया गया जो रोज़गार की तलाश में सीमा पार कर भारत आने के इच्छुक थे।
- महिलाओं की तस्करी कर अक्सर उन्हें कड़ी मेहनत और वेश्यावृत्ति के लिये मज़बूर किया जाता था, जिनमें से कुछ सीमा पर स्वेटशॉप (Sweatshop) में काम करती थीं।
- अपने गंतव्य स्थानों पर संसाधनों, कौशल या सामाजिक नेटवर्क के अभाव के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में विस्थापित और प्रवास करने वाले लोगों को एजेंटों और/या तस्करों द्वारा लक्षित किया जाता है।
- सुंदरबन क्षेत्र में लोग तीव्र, बार-बार और अचानक शुरू होने वाली आपदाओं से प्रभावित रहते है, इस वजह से सुंदरबन में लाखों लोग वर्ष के अधिकांश समय काम करने में असमर्थ होते हैं।
- सुझाव:
- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को पहचानना:
- जलवायु और विकास नीति-निर्माताओं को तत्काल यह पहचानने की आवश्यकता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण विस्थापित हुए लाखों लोग क्या गुलामी के शिकार हो रहे हैं या आने वाले दशकों में गुलामी के शिकार होंगे।
- लक्षित कार्रवाइयों को विकसित करना:
- नीति निर्माताओं को इस मुद्दे के समाधान हेतु राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लक्षित कार्रवाइयाँ विकसित करनी चाहिये। विकास और जलवायु नीति पर वैश्विक एवं क्षेत्रीय चर्चा में जलवायु आघातों के कारण होने वाली तस्करी तथा दासता के जोखिमों पर विचार किया जाना चाहिये।
- प्रतिबद्ध वित्तपोषण:
- जी 20 को जलवायु प्रभावों के कारण बार-बार होने वाले विस्थापन के संदर्भ में गुलामी-विरोधी प्रयासों (Anti-Slavery Efforts) को संबोधित करने हेतु दीर्घकालिक वित्तपोषण प्रदान करने के लिये प्रतिबद्ध होना चाहिये।
- पहलों का समन्वय करना:
- कई संचालित पहलें जिनमें विस्थापन पर वारसॉ इंटरनेशनल मैकेनिज़्म टास्क फोर्स (WIM TFD), सेंदाई फ्रेमवर्क आदि शामिल हैं, को जलवायु-प्रेरित प्रवास/विस्थापन तथा आधुनिक दासता के बढ़ते जोखिमों की समझ और उसके प्रति जगरूकता बढ़ाने के लिये समन्वित किया जाना चाहिये।
- आधुनिक दासता से निपटने का प्रयास:
- यह रिपोर्ट नवंबर 2021 में ग्लासगो में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन (CoP 26) से पहले विश्व नेताओं के लिये एक चेतावनी है।
- यह जलवायु आपातकाल के समाधान के साथ-साथ आधुनिक दासता से निपटने के लिये सुनिश्चित प्रयास करने का आह्वान करता है।
- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को पहचानना:
आधुनिक दासता के रूप
- मानव तस्करी: इसमें जबरन वेश्यावृत्ति, श्रम, अपराध, विवाह या मानव अंगों की चोरी जैसे उद्देश्यों के लिये लोगों का शोषण करना, हिंसा, धमकियों या उनके साथ जबरदस्ती करना, उन्हें बेचने या उन्हें परेशान करना शामिल है।
- जबरन मज़दूरी कराना: इसमें किसी भी कार्य या सेवा में संलग्न लोगों को उनकी इच्छा के विरुद्ध सज़ा के तौर पर कार्य करने के लिये मजबूर किया जाता है।
- ऋण बंधन/ बंधुआ मज़दूरी: यह गुलामी का विश्व में सबसे व्यापक रूप है। गरीबी में लोग जीवन यापन के लिये पैसे उधार लेते हैं और कर्ज चुकाने के लिये अमानवीय स्थिति में कार्य करने को मजबूर होते हैं, अपनी रोज़गार की स्थिति और कर्ज दोनों पर उनका नियंत्रण समाप्त हो जाता है।
- वंश-आधारित दासता: गुलामी का पारंपरिक रूप जिसमें लोगों को संपत्ति के रूप में माना जाता है तथा उनकी ‘गुलाम’ की स्थिति मातृ रेखा (Maternal Line) से नीचे चली जाती है।
- बच्चों को गुलाम बनाना: जब किसी और के लाभ के लिये किसी बच्चे का शोषण किया जाता है। इसमें बाल तस्करी, बाल सैनिक, बाल विवाह और बाल घरेलू दासता शामिल हो सकते हैं।
- जबरन और जल्दी शादी करना: जब किसी की शादी उसकी मर्जी के खिलाफ की जाती है और वह अपने साथी को छोड़ भी नहीं सकता। अधिकांश बाल विवाहों को दासता माना जा सकता है।