पैंगोंग त्सो पर चीनी पुल | 30 May 2022
प्रिलिम्स के लिये:भारत-चीन गतिरोध, पैंगोंग त्सो झील, वास्तविक नियंत्रण रेखा, कैलाश रेंज। मेन्स के लिये:पैंगोंग त्सो झील के पार चीन का पुल निर्माण, भारत के लिये इसके निहितार्थ, भारत-चीन गतिरोध की पृष्ठभूमि। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की है कि चीन पैंगोंग त्सो झील पर दूसरे पुल का निर्माण कर रहा है।
- पुल की अवस्थिति ‘फिंगर 8’ से लगभग 20 किमी. पूर्व में झील के उत्तरी तट पर है- जहाँ से वास्तविक नियंत्रण रेखा गुज़रती है।
- हालाँकि सड़क मार्ग से वास्तविक दूरी पुल की अवस्थिति और ‘फिंगर 8’ के बीच 35 किमी. से अधिक है।
प्रमुख बिंदु
- निर्माण स्थल खुर्नक किले के ठीक पूर्व में है, जहाँ चीन के प्रमुख रक्षा ठिकाने स्थित हैं।
- चीन इसे रूटोंग देश कहता है।
- खुर्नक किले में इसकी एक सीमांत रक्षा कंपनी है और आगे पूर्व में बनमोझांग में एक ‘वाटर स्क्वाड्रन’ तैनात है।
- हालाँकि यह 1958 से चीन के नियंत्रण में आने वाले क्षेत्र में बनाया जा रहा है, लेकिन सटीक बिंदु भारत की दावा रेखा के ठीक पश्चिम में है।
- विदेश मंत्रालय इस क्षेत्र को चीन के अवैध कब्ज़े वाला क्षेत्र मानता है।
ये निर्माण चीन की मदद कैसे करेंगे?
- यह पुल झील के सबसे संकरे बिंदुओं में से एक है, जो LAC के करीब है।
- ये निर्माण झील के दोनों किनारों को जोड़ेंगे, जिससे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के लिये सैनिकों और बख्तरबंद वाहनों को स्थानांतरित करने में लगने वाले समय में काफी कमी आएगी।
- इस पुल के कारण G219 राजमार्ग (चीनी राष्ट्रीय राजमार्ग) से सैनिकों की आवाजाही में 130 किमी. की कमी आएगी।
पैंगोंग त्सो
- पैंगोंग त्सो समुद्र तल से 14,000 फीट यानी 4350 मीटर से अधिक की ऊंँचाई पर स्थित 135 किलोमीटर लंबी एक स्थलरुद्ध झील है।
- भारत और चीन के पास पैंगोंग त्सो झील का क्रमशः लगभग एक-तिहाई और दो-तिहाई हिस्सा है।
- लगभग 45 किमी. पैंगोंग त्सो झील भारत के नियंत्रण में है, जबकि झील का लगभग 60% हिस्सा (लंबाई में) चीन में स्थित है।
- पैंगोंग त्सो का पूर्वी छोर तिब्बत में स्थित है।
- हिमनदों के पिघलने से निर्मित इस झील में चांँग चेन्मो रेंज के पहाड़ नीचे की ओर झुके हुए हैं, जिन्हें उंँगलियों के रूप में संदर्भित किया जाता है।
- यह दुनिया की सबसे अधिक ऊंँचाई पर स्थित झीलों में से एक है जिसका जल खारा हैै।
- हालाँकि यह खारे पानी की झील है, लेकिन पैंगोंग त्सो पूरी तरह से जम जाती है।
- इस क्षेत्र के खारे पानी में सूक्ष्म वनस्पति बहुत कम पाई जाती है।
- सर्दियों के दौरान क्रस्टेशियन को छोड़कर इसमें कोई जलीय जीव या मछली नहीं पाई जाती है।
यह एक प्रकार का एंडोर्फिक (लैंडलॉक) बेसिन है, जिसका अर्थ है कि यह अपने जल को बनाए रखती है और अपने जल का बहिर्वाह अन्य बाहरी जल निकायों, जैसे कि महासागरों और नदियों में नहीं होने देता है।
- पैंगोंग त्सो अपनी बदलती रंग क्षमता के लिये लोकप्रिय है।
- इसका जल नीले से हरे और फिर लाल रंग में बदल जाता है।
चीन द्वारा इस अवस्थिति को चुनने का कारण:
- इसका निर्माण, मई 2020 में शुरू हुए गतिरोध का प्रत्यक्ष परिणाम है।
- यह अगस्त 2020 में भारतीय सेना द्वारा किये गए एक ऑपरेशन का परिणाम है, जहाँ भारतीय सैनिकों ने पैंगोंग त्सो के दक्षिणी तट पर चुशुल उप-क्षेत्र में कैलाश रेंज की चोटियों पर नियंत्रण करने के लिये पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था।
- इस अवस्थिति ने भारत को रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर स्पैंगुर गैप(Pangur Gap) पर नियंत्रण करने में सहायता की , जिसका इस्तेमाल चीन ने वर्ष 1962 में किया था।
- इससे भारत को चीन के मोल्डो गैरीसन (चीन का सैन्य अड्डा) पर प्रत्यक्ष निगरानी करने में सहायता प्राप्त हुई, यह चीन के लिये अत्यधिक चिंता का विषय था।
- इस ऑपरेशन के बाद भारत ने भी चीन की अवस्थिति की तुलना में खुद को ऊपर रखने के लिये झील के उत्तरी तट पर समायोजित किया।
- झील का उत्तरी तट मई 2020 में होने वाले संघर्ष के प्रमुख कारणों में से एक था।
- इस झड़प के दौरान दोनों पक्षों द्वारा चार दशकों में पहली बार चेतावनी के रूप में फायरिंग की गई।
- यह नया पुल चीनी सैनिकों की आवाजाही में लगने वाले समय को 12 घंटे से घटाकर लगभग चार घंटे कर देगा।
गतिरोध की वर्तमान स्थिति:
- भारत और चीन ने घातक झड़पों के बाद जून 2020 में गलवान घाटी में पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी)-14 से अपने सैनिकों को वापस बुला लिया।
- फरवरी 2021 में पैंगोंग त्सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से और अगस्त में गोगरा पोस्ट के पास PP17A से सैनिकों को वापस बुला लिया गया, लेकिन तब से बातचीत की प्रक्रिया रुकी हुई है।
- गतिरोध शुरू होने के बाद से दोनों पक्षों के कोर कमांडरों की लगभग 15 बार मुलाकात हो चुकी है।
भारत की प्रतिक्रिया:
- भारत सभी चीनी गतिविधियों की बारीकी से निगरानी कर रहा है।
- भारत ने अपने क्षेत्र में इस तरह के अवैध कब्जे और अनुचित चीनी दावे या ऐसी निर्माण गतिविधियों को कभी स्वीकार नहीं किया है।
- भारत उत्तरी सीमा पर बुनियादी ढांँचे के उन्नयन और विकास का काम भी कर रहा है।
- सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा वर्ष 2021 में सीमावर्ती क्षेत्रों में 100 से अधिक परियोजनाएंँ पूरी की गईं, जिनमें से अधिकांश चीन सीमा के करीब थीं।
- भारत LAC पर निगरानी में भी सुधार कर रहा है।
विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न: सियाचिन ग्लेशियर स्थित है: (2020) (a) अक्साई चिन के पूर्व में उत्तर: (D) व्याख्या:
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस