भूटान के क्षेत्र पर चीन का दावा | 06 Jul 2020
प्रीलिम्स के लियेसकतेंग वन्यजीव अभ्यारण्य, वैश्विक पर्यावरण सुविधा मेन्स के लियेचीन की विस्तारवादी नीति. भारत पर इसके प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
अपनी विस्तारवादी नीति को आगे बढ़ाते हुए, चीन ने भारत के पारंपरिक सहयोगी भूटान के साथ एक नया सीमा विवाद पैदा कर दिया है।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि बीते माह आयोजित ‘वैश्विक पर्यावरण सुविधा’ (Global Environment Facility- GEF) की एक ऑनलाइन बैठक में पूर्वी भूटान स्थित ‘सकतेंग वन्यजीव अभयारण्य’ (Sakteng Wildlife Sanctuary) के विकास से संबंधित एक परियोजना पर आपत्ति जताते हुए चीन ने कहा था कि यह चीन और भूटान के बीच एक विवादित क्षेत्र है।
- हालाँकि भूटान ने चीन के दावे पर आपत्ति जताई और वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF) ने भूटान की परियोजना के वित्तपोषण के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी।
वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF)
- वर्ष 1992 में स्थापित वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF) पर्यावरण क्षेत्र में परियोजनाओं को वित्त प्रदान करने के लिये एक US-आधारित वैश्विक निकाय है।
- अपने रणनीतिक निवेश के माध्यम से GEF प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों से निपटने के लिये भागीदारों के साथ कार्य करता है।
चीन का दावा
- ‘सकतेंग वन्यजीव अभ्यारण्य’ चीन और भूटान के बीच विवादित क्षेत्र में स्थित है, जो कि चीन और भूटान सीमा वार्ता के एजेंडे में शामिल है।
- चीन के अनुसार, चीन और भूटान के बीच सीमा को कभी भी सीमांकित नहीं किया गया है। दोनों देशों के बीच पूर्वी, मध्य और पश्चिमी क्षेत्रों में लंबे समय से विवाद चल रहे हैं।
- चीन ने स्पष्ट किया है कि चीन सदैव दोनों देशों के बीच सीमा विवाद मुद्दों को लेकर बातचीत का पक्षधर रहा है और इस कार्य हेतु हमेशा तत्पर है।
भूटान का पक्ष
- वहीं परिषद में चीन के दावे को खारिज करते हुए कहा कि सकतेंग वन्यजीव अभ्यारण्य भूटान का एक अभिन्न और संप्रभु क्षेत्र है और भूटान तथा चीन के बीच सीमा पर चर्चा के दौरान यह कभी भी एक विवाद का विषय नहीं रहा है।
- ध्यातव्य है कि चीन और भूटान के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध न होने के कारण भूटान ने नई दिल्ली स्थित अपने दूतावास के माध्यम से चीन को अपनी स्थिति से अवगत कराया।
चीन के दावे का निहितार्थ
- विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन द्वारा किया गया यह दावा दोनों द्वारा सीमा विवाद को लेकर सुलझाने को लेकर चल रहे राजनयिक प्रयासों को कमज़ोर करता है।
- चीन द्वारा भूटान के पूर्वी हिस्से पर दावा करने का एक कारण भारत पर दबाव बनाना भी हो सकता है, गौरतलब है कि भूटान का यह पूर्वी हिस्सा भारत के अरुणाचल प्रदेश के पास स्थित है, जिस पर चीन ‘दक्षिणी तिब्बत’ के एक हिस्से के रूप में अपनी संपूर्णता का दावा करता है।
- भले ही चीन का दावा नया न हो, किंतु इसे मौजूदा भू-राजनीतिक परिस्थितियों के दृष्टिकोण से भारत और भूटान पर दबाव बनाने के एक रणनीतिक प्रयास के रूप में देखा जा सकता है।
चीन-भूटान संबंध और सीमा विवाद
- भूटान और चीन के बीच संबंधों में एक स्पष्ट विरोधाभास है। भूटान की भौगोलिक स्थिति इसे हिमालयी क्षेत्र में राजनीतिक और रणनीतिक दोनों ही दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण बना देती है।
- भूटान और तिब्बत के बीच पारस्परिक सांस्कृतिक एवं धार्मिक संबंधों की एक लंबी परंपरा रही है, इसके बावजूद भूटान चीन का एकमात्र पड़ोसी देश है, जिसके पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (People’s Republic of China- PRC) के साथ राजनयिक संबंध नहीं हैं।
- यहाँ तक कि दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक संपर्क भी काफी कम हैं।
- लगभग 500 किमी. क्षेत्र में फैली भूटान और चीन के बीच की सीमा के क्षेत्रीय विवाद का एक लंबा इतिहास रहा है।
- हालाँकि दोनों देशों के बीच अब तक केवल मध्य और पश्चिमी क्षेत्रों पर ही सीमा विवाद, किंतु चीन के नए दावे के साथ ही यह विवाद पूर्वी क्षेत्र तक विस्तारित हो गया है।
- चीन और भूटान ने वर्ष 1984 से वर्ष 2016 के बीच सीमा वार्ता के कुल 24 दौर आयोजित किये हैं। वर्ष 2017 में डोकलाम सीमा विवाद के बाद से दोनों देशों के बीच इस संबंध में कोई भी बैठक आयोजित नहीं की गई है।
सकतेंग वन्यजीव अभयारण्य
- उल्लेखनीय है कि सकतेंग वन्यजीव अभ्यारण्य (Sakteng Wildlife Sanctuary) भूटान के पूर्वी भाग में स्थित अभयारण्य है और यह लगभग 650 वर्ग किमी. का क्षेत्र कवर करता है।
- इससे पूर्व यह क्षेत्र कभी भी चीन और भूटान के बीच विवादित क्षेत्र नहीं रहा है।
- भूटान के पूर्वी क्षेत्र में काफी बड़ी संख्या में भूटानी लोग रहते हैं।
- यह अभयारण्य बांग्लादेश के अधिकांश पृथक खानाबदोश जनजाति के लोगों का निवास स्थान है।