सामाजिक न्याय
चाइल्ड ऑनलाइन सेफ्टी टूलकिट
- 20 May 2022
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:एसडीजी, यूएनसीआरसी, यूनिसेफ, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मेन्स के लिये:बच्चों की इंटरनेट के प्रति संवेदनशीलता, बच्चों से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बच्चों के लिये ऑनलाइन अनुभव को सुरक्षित बनाने के प्रयास में चाइल्ड ऑनलाइन सुरक्षा टूलकिट लॉन्च किया गया है।
टूलकिट से लाभ:
- परिचय:
- यह ऑनलाइन विश्व में बच्चों को सुरक्षित रखने के लिये एक व्यापक, व्यावहारिक मार्गदर्शिका है।
- यह वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय समझौतों और सर्वोत्तम प्रथाओं पर आधारित है, जो विभिन्न पृष्ठभूमि के अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों के परामर्श से विकसित किया गया है।
- इसमें बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को व्यावहारिक बनाने हेतु ऑनलाइन और प्रिंट दोनों माध्यमों में वर्कशीट और संसाधन उपलब्ध हैं।
- टूलकिट निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय समझौतों और ढांँचे के कार्यान्वयन का समर्थन करता है:
- सतत् विकास लक्ष्य (एसडीजी)
- बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCRC) डिजिटल वातावरण में बच्चों के अधिकारों पर सामान्य समीक्षा संख्या 25 (2021)।
- सामान्य समीक्षा का उद्देश्य यह बताना है कि डिजिटल वातावरण के संबंध में राज्य पार्टियों को बाल अधिकार पर अभिसमय को कैसे लागू करना चाहिये।
- यह अभिसमय के तहत अपने दायित्वों के पूर्ण अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिये डिज़ाइन किये गए प्रासंगिक कानून, नीति और अन्य उपायों पर मार्गदर्शन भी प्रदान करता है।
- सामान्य समीक्षा का उद्देश्य यह बताना है कि डिजिटल वातावरण के संबंध में राज्य पार्टियों को बाल अधिकार पर अभिसमय को कैसे लागू करना चाहिये।
- वी प्रोटेक्ट ग्लोबल अलायंस मॉडल नेशनल रिस्पांस (WeProtect Global Alliance Model National Response):
- वी प्रोटेक्ट ग्लोबल अलायंस 200 से अधिक सरकारों, निजी क्षेत्र की कंपनियों और नागरिक समाज संगठनों का वैश्विक आंदोलन है, जो ऑनलाइन बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार के लिये वैश्विक प्रतिक्रिया में बदलाव के लिये एक साथ काम कर रहा है।
- बाल ऑनलाइन सुरक्षा पर अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ के दिशानिर्देश।
- यह बच्चों और युवाओं के लिये सुरक्षित और सशक्त ऑनलाइन वातावरण बनाने में मदद करने के तरीके पर बच्चों, माता-पिता तथा शिक्षकों, उद्योग व नीति निर्माताओं हेतु सिफारिशों का व्यापक समुच्चय है।
- इसने बच्चों के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर यूनिसेफ के ड्राफ्ट पॉलिसी गाइडेंस का भी इस्तेमाल किया।
- मार्गदर्शन का उद्देश्य सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई ) नीतियों और प्रथाओं में बच्चों के अधिकारों को बढ़ावा देना है, साथ ही इस बारे में जागरूकता बढ़ाना है कि एआई सिस्टम इन अधिकारों को कैसे बनाए रख सकता है या कम कर सकता है।
टूलकिट का महत्त्व:
- सुभेद्यता:
- भारत में 2019 में 34.4% (मुख्य रूप से महामारी के बाद के प्रभाव के रूप में) की तुलना में 2020 में 50% इंटरनेट की पहुंँच देखी गई है।
- इसलिये बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों में वृद्धि स्पष्ट हो जाती है क्योंकि भारत के 749 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं में से 232 मिलियन बच्चे हैं।
- इंटरनेट एक दोधारी तलवार के रूप में कार्य करता है जिसमें एक तरफ कनेक्टिविटी, ज्ञान तक पहुँच और मनोरंजन एवं दूसरी ओर हानिकारक व अनुचित सामग्री के संभावित जोखिम भी हैं।
- बाल यौन शोषण को संबोधित करना:
- न केवल ऑफलाइन बल्कि ऑनलाइन बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार प्रमुख चिंताएँ हैं।
- वर्ष 2020 में संयुक्त राज्य अमेरिका के ‘नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन’ को 65 मिलियन बाल यौन शोषण मामलों की सूचना दी गई थी, जबकि कई अन्य का पता नहीं चला था।
- न केवल ऑफलाइन बल्कि ऑनलाइन बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार प्रमुख चिंताएँ हैं।
- एक डिजिटल वातावरण का निर्माण:
- टूलकिट का तर्क है कि ऑनलाइन सुरक्षा की गारंटी केवल जोखिम और नुकसान के संबंध में नहीं है, इसका मतलब है कि सक्रिय रूप से एक ऐसा डिजिटल वातावरण तैयार करना जो हर बच्चे के लिये सुरक्षित हो।
- 18 वर्ष से कम आयु के तीन में से एक व्यक्ति के ऑनलाइन होने से बच्चों के जीवन में डिजिटल तकनीक की केंद्रीयता का अर्थ है कि इसे उनकी गोपनीयता, सुरक्षा और अधिकारों के साथ डिज़ाइन किया जाना चाहिये।
संबंधित कदम:
- ऑनलाइन शिकायत प्रबंधन प्रणाली:
- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एक ऑनलाइन शिकायत प्रबंधन प्रणाली स्थापित की है जो पीड़ितों (या उनके प्रतिनिधियों) के लिये बाल शोषण और यौन उत्पीड़न के मामलों की रिपोर्ट करने हेतु एक गोपनीय मंच को सक्षम बनाता है।
- गृह मंत्रालय ने 'महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध साइबर अपराध रोकथाम' योजना को मंजूरी दी है, जिसमें बाल अश्लीलता/बाल यौन शोषण सामग्री, बलात्कार/सामूहिक बलात्कार छवियों या यौन सामग्री के मामलों के लिये एक ऑनलाइन साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल शामिल है।
- बाल शोषण रोकथाम और जाँच इकाई:
- यह अन्य प्रासंगिक कानूनों के अलावा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत आने वाले अपराधों की जाँच करता है।
आगे की राह
- राष्ट्रीय संदर्भों के बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन यह आवश्यक है कि कानूनों और विनियमों को यथासंभव अधिकतम सीमा तक संरेखित किया जाए तथा सीमा पार सहयोग व समझ को बढ़ाया जाए।
- अंत में यह राष्ट्र या राष्ट्रों के भीतर विद्यमान संगठनों पर निर्भर करता है कि वे बच्चों के लिये ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर एक सुरक्षित वातावरण बनाने के लिये टूलकिट का उपयोग करना चाहते हैं, और क्या वे विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का पालन करने का इरादा रखते हैं; जिनकी उन्होंने पुष्टि की है।
- ऑनलाइन बाल सुरक्षा की व्यापक और महत्त्वपूर्ण प्रकृति बच्चों की सुरक्षा करने वाले नियमों एवं तंत्रों की मांग करती है।
- इस मुद्दे की पर्याप्त समझ सुनिश्चित करने के लिये बच्चे के सर्वोत्तम हितों को बढ़ावा देना और साइबर अपराधों के पीड़ितों के लिये उचित प्रतिपूरक सेवाएँ विकसित करना अनिवार्य है।
- चेतावनी और सलाह, कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रशिक्षण, साइबर फोरेंसिक सुविधाओं में सुधार आदि के माध्यम से जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।
विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs):प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (A) केवल 1 उत्तर: (B)
अतः विकल्प (B) सही है। |