मुख्य सचिव के स्थानांतरण संबंधी मुद्दा | 01 Jun 2021
प्रिलिम्स के लियेकैबिनेट की नियुक्ति समिति, अखिल भारतीय सेवाएँ, मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ, संघ लोक सेवा आयोग मेन्स के लियेअखिल भारतीय सेवाओं की भूमिका, मुख्य सचिव की नियुक्ति, पदास्थिति, कार्यकाल, संघ लोक सेवा आयोग की भूमिका एवं कार्य |
चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है, क्योंकि वह पूर्व-आदेशानुसार नई दिल्ली में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) को रिपोर्ट करने में विफल रहे हैं।
- कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC) ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (कैडर) नियम, 1954 के नियम 6(1) के प्रावधानों के अनुसार मुख्य सचिव की सेवाओं की नियुक्ति (Placement of Services) को मंज़ूरी दे दी है।
- ACC का नेतृत्व प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है और गृह मंत्री इसका सदस्य होता है।
प्रमुख बिंदु
राज्य का मुख्य सचिव:
- नियुक्ति:
- मुख्य सचिव का चुनाव (Chosen) मुख्यमंत्री द्वारा किया जाता है।
- चूँकि मुख्य सचिव की नियुक्ति मुख्यमंत्री की कार्यकारी आदेश से होती है, इसलिये इसे राज्य के राज्यपाल द्वारा नामित किया जाता है।
- पदास्थिति:
- मुख्य सचिव (Chief Secretary) भारतीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सिविल सेवाओं का वरिष्ठतम पद है।
- यह पद भारतीय प्रशासनिक सेवा की संवर्ग या कॉडर (Cadre ) पद है।
- मुख्य सचिव राज्य प्रशासन (मंत्रिमंडल) से जुड़े सभी मामलों में मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार के रूप में कार्य करता है ।
- कार्यकाल:
- मुख्य सचिव के पद को कार्यकाल प्रणाली के संचालन से बाहर रखा गया है।
- इस पद के लिये कोई निश्चित कार्यकाल निर्धारित नहीं है।
अखिल भारतीय सेवाएँ (AIS):
- स्वतंत्रता पूर्व:
- भारतीय सिविल सेवा (ICS) भारत में ब्रिटिश शासन (CROWN) की सेवाओं में सबसे वरिष्ठ थी।
- भारतीय सिविल सेवा के अतिरिक्त ब्रिटिश शासन के दौरान यहाँ 'इंपीरियल पुलिस' व्यवस्था भी थी।
- स्वतंत्रता-पश्चात् :
- स्वतंत्रता-पश्चात् राष्ट्र की एकता, अखंडता और स्थिरता बनाए रखने के लिये अखिल भारतीय सेवाओं की आवश्यकता थी।
- संवैधानिक प्रावधान: केंद्र और राज्यों के लिये एक समान एक या अधिक अखिल भारतीय सेवाओं का सृजन करने हेतु संविधान के अनुच्छेद 312 में प्रावधान किया गया है।
- भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) का गठन को संविधान के अनुच्छेद 312 के तहत संसद द्वारा किया गया है।
- संविधान की घोषणा के पश्चात् वर्ष 1966 में एक नई अखिल भारतीय सेवा, अर्थात् भारतीय वन सेवा (IFS) का गठन किया गया।
- भर्ती और पोस्टिंग:
- केंद्र द्वारा इन सेवाओं हेतु सदस्यों की भर्ती की जाती है, परंतु उनकी सेवाएँ विभिन्न राज्य संवर्गों में दी जाती हैं और उनके लिये राज्य तथा केंद्र दोनों के अधीन सेवा देने का दायित्व होता है।
- अखिल भारतीय सेवाओं का यह पहलू भारतीय संघ के एकात्मक चरित्र को मज़बूती प्रदान करता है।
- नियंत्रण प्राधिकरण:
- कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय IAS के लिये संवर्ग नियंत्रण प्राधिकरण है।
- भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों के लिये केंद्रीय गृह मंत्रालय कैडर नियंत्रक प्राधिकरण (Controller Authority) है।
- तीनों अखिल सेवाओं में भर्ती प्रक्रिया संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित की जाती है।
- इन अधिकारियों की भर्ती केंद्र सरकार द्वारा की जाती है और प्रशिक्षण के पश्चात् उन्हें राज्य संवर्ग आवंटित किया जाता है।
- कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय IAS के लिये संवर्ग नियंत्रण प्राधिकरण है।
- IAS संवर्ग (Cadre) नियम:
- अखिल भारतीय सेवा अधिनियम, 1951 के प्रभावी होने के पश्चात् वर्ष 1954 में IAS संवर्ग (Cadre) के लिये नियम बनाया गया।
- संवर्ग अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति: आईएएस संवर्ग नियमों के अनुसार एक अधिकारी को “संबंधित राज्य सरकार और केंद्र सरकार की सहमति से ही केंद्र सरकार या किसी अन्य राज्य सरकार के अधीन सेवा के लिये प्रतिनियुक्त किया जा सकता है।
- असहमति का प्रावधान: किसी भी असहमति के मामले में प्रकरण पर केंद्र सरकार द्वारा निर्णय लिया जाएगा और राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार के निर्णय को लागू किया जाएगा।
- केंद्र को अधिक विवेकाधीन अधिकार देने वाले प्रतिनियुक्ति के मामले में उक्त नियम मई 1969 में जोड़ा गया था।
- सेवा का विस्तार:
- मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ (DCRB) के नियम 16(1) में कहा गया है कि “सेवा का एक सदस्य जो बजट संबंधित कार्य करता है या एक समिति के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में काम करता है, जिसे एक छोटी अवधि के भीतर समाप्त किया जाना है। केंद्र सरकार के पूर्वानुमोदन से जनहित में तीन महीने से अनधिक अवधि के लिये सेवा विस्तार दिया जाए।”
- किसी राज्य के मुख्य सचिव के पद पर नियुक्त अधिकारी के लिये यह विस्तार छह महीने की अवधि तक हो सकता है।
प्रतिनियुक्ति में वरीयता:
- सहमति आवश्यक: AIS के किसी अधिकारी को केंद्र में प्रतिनियुक्ति के लिये बुलाए जाने से पूर्व उसकी सहमति आवश्यक है।
- प्रक्रिया: DoPT में स्थापित अधिकारी राज्य सरकारों से नामांकन आमंत्रित करता है।
- एक बार नामांकन प्राप्त होने के पश्चात् एक पैनल द्वारा उनकी पात्रता की जाँच की जाती है और फिर एक प्रस्ताव सूची तैयार की जाती है, जो परंपरागत रूप से राज्य सरकार के साथ साझा की जाती है।
- केंद्रीय मंत्रालय और कार्यालय प्रस्तावित अधिकारियों की सूची में से उसे चुन सकते हैं।
- आदेश अस्वीकार करने पर कार्रवाई का प्रावधान:
- अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम, 1969 ऐसे मामलों के संदर्भ में सज़ा या दंड के प्रावधान स्पष्ट नहीं हैं।
- दंड प्राधिकरण: नियम 7 में यह प्रावधान है कि कार्यवाही शुरू करने और जुर्माना लगाने का अधिकार राज्य सरकार को होगा जबकि वह "राज्य के मामलों के संबंध में सेवा कर रहा था।"