सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना पर केंद्र का पक्ष | 05 Nov 2020
प्रिलिम्स के लिये:सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना, सेंट्रल विस्टा मेन्स के लिये:सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना |
चर्चा में क्यों?
सर्वोच्च न्यायालय में हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित 'सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना' के तहत एक नए संसद भवन के निर्माण के अपने निर्णय को सही ठहराने के पक्ष में दलीलें पेश की गईं।
प्रमुख बिंदु:
- याचिकाकर्त्ताओं द्वारा नवीन संसद भवन के निर्माण के केंद्र सरकार के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी।
- याचिका में उठाए गए मुद्दों में से एक यह भी था कि क्या संसद के मौजूदा भवन का नवीनीकरण और उपयोग संभव है?
सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना (Central Vista Redevelopment Project):
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केंद्र का पक्ष:
- प्रस्तावित परियोजना की लागत और बुनियादी ढाँचे के लाभों को रेखांकित करते हुए केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि नए संसद भवन के बारे में नीतिगत निर्णय लेने के लिये केंद्र सरकार हकदार है।
- भारत सरकार ने संसद परिसर और केंद्रीय सचिवालय के निर्माण संबंधी निर्णय मौज़ूदा व्यवस्था में व्याप्त दबाव को ध्यान में रखकर किया है। इसके अलावा वर्तमान परियोजना को नोएडा या अन्य जगहों पर नहीं बल्कि सेंट्रल विस्टा में ही स्थापित किया जा सकता है।
नए संसद भवन की आवश्यकता पर केंद्र के तर्क:
- स्वतंत्रता पूर्व की इमारत:
- वर्तमान संसद भवन का निर्माण वर्ष 1927 में हुआ था, जिसका निर्माण वर्तमान द्विसदनीय व्यवस्था के अनुकूल नहीं किया गया था।
- स्थान की कमी:
- भविष्य में लोकसभा और राज्यसभा की सीटों की संख्या में वृद्धि किये जाने की संभावना है, जिससे संसद में सदस्यों के बैठने के लिये पर्याप्त स्थान नहीं होगा। वर्तमान सदन संसद की संयुक्त बैठक के अनुकूल नहीं है। संयुक्त बैठक के दौरान अनेक सदस्यों को प्लास्टिक की कुर्सियों पर बैठना पड़ता है।
- सुरक्षा चिंताएँ:
- मौजूदा इमारत अग्नि सुरक्षा मानदंडों के अनुरूप नहीं है। पानी और सीवर लाइनें भी बेतरतीब हैं और यह अपनी विरासत की प्रकृति को नुकसान पहुँचा रही है।
- वर्ष 2001 के संसद पर हमले के मद्देनज़र सुरक्षा की चिंता इसकी कमज़ोर प्रकृति को दर्शाती है।
- यह भवन भूकंप-रोधी भी नहीं है।
- लागत लाभ:
- कई केंद्रीय मंत्रालयों के भवनों के लिये किराये का भुगतान करना पड़ता है। नया भवन तथा एक नया केंद्रीय सचिवालय बनने से इस लागत में कमी आएगी।
- पर्यावरणीय लाभ:
- विभिन्न मंत्रालयों तक आने-जाने के लिये लोगों और अधिकारियों को शहर के विभिन्न हिस्सों का चक्कर लगाना पड़ता है, इससे यातायात और प्रदूषण भी बढ़ता है।
- इस परियोजना में मेट्रो स्टेशनों के इंटरलिंकिंग का भी प्रस्ताव है जो वाहनों के उपयोग को कम करेगा।
आलोचना:
- इस पुनर्विकास परियोजना में बहुत बड़ी धनराशि की आवश्यकता पड़ेगी। वैश्विक महामारी के दौरान इतनी बड़ी राशि व्यय करना उचित निर्णय नहीं है। इससे परियोजना में पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया जा रहा है।
- अनेक पर्यावरणविदों ने परियोजना की आवश्यकता और पर्यावरण, यातायात तथा प्रदूषण पर इसके प्रभाव का पता लगाने के लिये अध्ययन की कमी को लेकर सवाल उठाया है। व्यापक पैमाने पर भवन निर्माण से क्षेत्र में पर्यावरण प्रदूषण बढ़ने की संभावना है।
- मंत्रालयों व विभागों के कार्यालय स्थापित होने से इस क्षेत्र को आम जनता के लिये प्रतिबंधित किया जा सकता है।